दुमका: चुनाव आयोग का लक्ष्य है कि लोकसभा चुनाव में सबकी भागीदारी सुनिश्चित हो. ज्यादा से ज्यादा लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करें. इसे लेकर इस बार चुनाव आयोग ने पहली बार दिव्यांगों को पोलिंग बूथ तक पहुंचाने के लिये प्रमंडलीय आयुक्त को एक्सेसिबल ऑब्जर्वर बनाया है.
संथाल परगना प्रमण्डल के आयुक्त भगवान दास ने ईटीवी भारत को बताया कि चुनाव आयोग का उद्देश्य लोकसभा चुनाव में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करना है. जो दिव्यांग हैं वो वोट कई वजहों से अपना वोट देने बूथ तक नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे में पहली बार चुनाव आयोग ने मुझे उन दिव्यांगों को पोलिंग बूथ तक पहुंचाने के लिए एक्सेसिबल ऑब्जर्वर बनाया है. संथालपरगना प्रमण्डल के सभी 6 जिलों में इसके लिए 1-1 नोडल अधिकारी बनाया गया है. इसके साथ ही इस प्रमण्डल के सभी 18 विधानसभा में इसके लिए 1-1 अधिकारी भी रहेंगे.
दिव्यांगों के लिए क्या होगी विशेष व्यवस्था
दिव्यांगों को बूथ तक लाने के लिए वॉलेंटियर्स होंगे. अगर उनके घर से बूथ की दूरी ज्यादा है, तो ट्राई साइकिल या वाहन की व्यवस्था होगी. अगर देख नहीं पाते तो वोटर पर्ची ब्रेललिपि में होगी. बूथ पर रैम्प की व्यवस्था होगी. पीठासीन अधिकारी उन्हें क्यू में प्राथमिकता देंगे. इसका प्रचार प्रसार वोटिंग डे के कई दिनों पहले से किया जाएगा, ताकि दिव्यांगों को पता हो कि हमारे लिए सारी व्यवस्था की गई है और हमें वोट करने जाना है.
प्रमण्डल के सभी छह जिलों में दिव्यांग वोटर की संख्या पर एक नजर
संथालपरगना प्रमण्डल के सभी छह जिले देवघर, गोड्डा, पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा और दुमका में दिव्यांग वोटर की कुल संख्या 23003 (तेईस हजार तीन) है.
अगर जिलावार संख्या की बात करें तो वो इस प्रकार है.
1 . दुमका - 5332
2. देवघर- 4349
3. गोड्डा - 4818
4. पाकुड़- 2030
5.साहेबगंज - 2290
6. जामताड़ा - 4184
ये आंकड़े बताते हैं कि दिव्यांग वोट देने वाले मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है. ऐसे में चुनाव आयोग इनकी वोटिंग सुनिश्चित कराना चाहता है, तो यह काफी सकरात्मक पहल कहा जा सकता है. इसे घर से बूथ तक लाने और वोट दिलाने के लिए जो सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी वो भी जरूरी है. इसके साथ ही प्रमण्डल के सबसे वरीय पदाधिकारी आयुक्त को इसका जिम्मा दे देना यह दर्शाता है कि उद्देश्य है कि कोई कमी न रह जाए.