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महंगा पड़ा 'जनरल' होना, संथाल परगना महिला कॉलेज छात्रावास में 4 साल तक नहीं मिली एंट्री - girls hostel in dumka

महज एक शब्द ने दुमका के संथाल परगना महिला कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों को 4 साल तक परेशान करके रखा. इसे कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही या संवेदनहीनता कह सकते हैं कि एक शब्द 'जनरल' की वजह से संथाल परगना महिला कॉलेज हॉस्टल बनने के 4 साल बाद तक बंद रहा. हालांकि ईटीवी भारत पर खबर प्रकाशित करने के बाद इस हॉस्टल को खुलवाने की कवायद शुरू हो चुकी है.

संथाल परगना महिला कॉलेज छात्रावास
4 साल तक कॉलेज हॉस्टल में नहीं मिली एंट्री
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Published : Nov 26, 2021, 12:44 PM IST

Updated : Nov 26, 2021, 4:41 PM IST

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका में लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए संथाल परगना महिला कॉलेज है. इस कॉलेज के परिसर में 4 साल पहले एक करोड़ की लागत से एक हॉस्टल बना था, जो आज तक चालू नहीं हो सका. संथाल परगना महिला कॉलेज हॉस्टल के 4 साल तक बंद होने की वजह अजीब है. सिर्फ एक शब्द जनरल जुड़ा होने की वजह से इसे अब तक शुरू नहीं किया जा सका. हालांकि अब इसे चालू करने की दिशा में कवायद शुरू की गई है, जिससे छात्राओं में काफी हर्ष है.

ये भी पढ़ेंः विधानसभा की समिति के अध्यक्ष ने आदिवासी कल्याण छात्रावास का किया निरीक्षण, छात्राओं की समस्या सुनी

क्या है पूरा मामला

झारखंड की उपराजधानी दुमका में सैकड़ों छात्राएं ऐसी हैं जो अगल-बगल के जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों से आकर किराये के कमरे में रहकर कॉलेज में पढ़ाई करती हैं. इसमें से कई ऐसी छात्राएं भी हैं, जो अत्यंत गरीब हैं और उनके लिए कमरे का रेंट देना काफी मुश्किल होता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

इसे देखते हुए सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के संथाल परगना महिला कॉलेज परिसर में यूजीसी के फंड से 2017 में एक करोड़ की लागत से एक हॉस्टल का निर्माण हुआ. इसके साथ ही इसमें लगभग बीस लाख की लागत से दैनिक इस्तेमाल होने वाले सामान खरीदे गए. इसे छात्राओं को उपलब्ध कराना था. लेकिन 4 साल तक यह हॉस्टल शुरू नहीं हुआ.

हॉस्टल के शुरू नहीं होने की वजह महज एक शब्द है, जो इस हॉस्टल के साथ जुड़ा था. वह था ' जनरल '. इस शब्द का अर्थ लगाया गया जनरल केटेगरी मतलब सिर्फ अनारक्षित श्रेणी की छात्राओं के लिए. इधर पर्याप्त संख्या में अनारक्षित श्रेणी की छात्राओं का रुझान इस हॉस्टल की तरफ हुआ ही नहीं और यह हॉस्टल चालू ही नहीं हो सका. लेकिन कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ रीना नीलिमा लकड़ा ने इसका हल निकाल लिया है. अब जनरल शब्द का मतलब सभी के लिए लगाया गया है और इस सत्र से यह हॉस्टल चालू हो रहा है.


क्या कहती है कॉलेज की प्रिंसिपल

कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ रीना नीलिमा लकड़ा का कहना है कि जनरल मतलब सभी श्रेणी की छात्राओं के लिए यह हॉस्टल उपलब्ध होगा. इस सत्र से संथाल परगना महिला कॉलेज हॉस्टल चालू कराया जा रहा है. इससे छात्राओं को काफी लाभ मिलेगा. एक तो उन्हें मामूली दर पर इस हॉस्टल में रहने की जगह दी जाएगी. दूसरा जो सबसे बड़ा लाभ होगा कि एक सुरक्षित माहौल में छात्राएं रहेंगी.

हॉस्टल चालू करने की घोषणा से छात्राओं में हर्ष

संथाल परगना महिला कॉलेज प्रबंधन द्वारा 4 साल पहले बने इस हॉस्टल के चालू करने की घोषणा के बाद छात्राओं में काफी हर्ष है. उनका कहना है कि अब हमें ऊंची कीमत पर लॉज या कमरा लेकर नहीं रहना पड़ेगा. बल्कि कॉलेज परिसर में बने इसी हॉस्टल में हम सुरक्षित माहौल में रहेंगे.

ईटीवी भारत ने दिखाई थी खबर

शब्दों की हेराफेरी की वजह से संथाल परगना महिला कॉलेज हॉस्टल वर्षों तक बंद पड़ा रहा. ईटीवी भारत ने इस मामले की पड़ताल करते हुए इस खबर को प्रमुखता से दिखाया था. इसके साथ ही कॉलेज प्रशासन से हॉस्टल चालू करने की दिशा में क्या कदम उठाये जा रहे हैं इस पर विमर्श किया था.

कॉलेज प्रबंधन ने अब दिखाई जल्दबाजी

4 साल तक बंद रहने से यह छात्रावास बिना इस्तेमाल के ही जर्जर प्रतीत हो रहा है. इसके सामान खराब हो रहे हैं. अब जब यह चालू होने जा रहा है तो इसमें जल्दबाजी करनी चाहिए और पर्याप्त सुविधा बहाल करते हुए छात्राओं को रहने की बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए.

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका में लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए संथाल परगना महिला कॉलेज है. इस कॉलेज के परिसर में 4 साल पहले एक करोड़ की लागत से एक हॉस्टल बना था, जो आज तक चालू नहीं हो सका. संथाल परगना महिला कॉलेज हॉस्टल के 4 साल तक बंद होने की वजह अजीब है. सिर्फ एक शब्द जनरल जुड़ा होने की वजह से इसे अब तक शुरू नहीं किया जा सका. हालांकि अब इसे चालू करने की दिशा में कवायद शुरू की गई है, जिससे छात्राओं में काफी हर्ष है.

ये भी पढ़ेंः विधानसभा की समिति के अध्यक्ष ने आदिवासी कल्याण छात्रावास का किया निरीक्षण, छात्राओं की समस्या सुनी

क्या है पूरा मामला

झारखंड की उपराजधानी दुमका में सैकड़ों छात्राएं ऐसी हैं जो अगल-बगल के जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों से आकर किराये के कमरे में रहकर कॉलेज में पढ़ाई करती हैं. इसमें से कई ऐसी छात्राएं भी हैं, जो अत्यंत गरीब हैं और उनके लिए कमरे का रेंट देना काफी मुश्किल होता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

इसे देखते हुए सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के संथाल परगना महिला कॉलेज परिसर में यूजीसी के फंड से 2017 में एक करोड़ की लागत से एक हॉस्टल का निर्माण हुआ. इसके साथ ही इसमें लगभग बीस लाख की लागत से दैनिक इस्तेमाल होने वाले सामान खरीदे गए. इसे छात्राओं को उपलब्ध कराना था. लेकिन 4 साल तक यह हॉस्टल शुरू नहीं हुआ.

हॉस्टल के शुरू नहीं होने की वजह महज एक शब्द है, जो इस हॉस्टल के साथ जुड़ा था. वह था ' जनरल '. इस शब्द का अर्थ लगाया गया जनरल केटेगरी मतलब सिर्फ अनारक्षित श्रेणी की छात्राओं के लिए. इधर पर्याप्त संख्या में अनारक्षित श्रेणी की छात्राओं का रुझान इस हॉस्टल की तरफ हुआ ही नहीं और यह हॉस्टल चालू ही नहीं हो सका. लेकिन कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ रीना नीलिमा लकड़ा ने इसका हल निकाल लिया है. अब जनरल शब्द का मतलब सभी के लिए लगाया गया है और इस सत्र से यह हॉस्टल चालू हो रहा है.


क्या कहती है कॉलेज की प्रिंसिपल

कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ रीना नीलिमा लकड़ा का कहना है कि जनरल मतलब सभी श्रेणी की छात्राओं के लिए यह हॉस्टल उपलब्ध होगा. इस सत्र से संथाल परगना महिला कॉलेज हॉस्टल चालू कराया जा रहा है. इससे छात्राओं को काफी लाभ मिलेगा. एक तो उन्हें मामूली दर पर इस हॉस्टल में रहने की जगह दी जाएगी. दूसरा जो सबसे बड़ा लाभ होगा कि एक सुरक्षित माहौल में छात्राएं रहेंगी.

हॉस्टल चालू करने की घोषणा से छात्राओं में हर्ष

संथाल परगना महिला कॉलेज प्रबंधन द्वारा 4 साल पहले बने इस हॉस्टल के चालू करने की घोषणा के बाद छात्राओं में काफी हर्ष है. उनका कहना है कि अब हमें ऊंची कीमत पर लॉज या कमरा लेकर नहीं रहना पड़ेगा. बल्कि कॉलेज परिसर में बने इसी हॉस्टल में हम सुरक्षित माहौल में रहेंगे.

ईटीवी भारत ने दिखाई थी खबर

शब्दों की हेराफेरी की वजह से संथाल परगना महिला कॉलेज हॉस्टल वर्षों तक बंद पड़ा रहा. ईटीवी भारत ने इस मामले की पड़ताल करते हुए इस खबर को प्रमुखता से दिखाया था. इसके साथ ही कॉलेज प्रशासन से हॉस्टल चालू करने की दिशा में क्या कदम उठाये जा रहे हैं इस पर विमर्श किया था.

कॉलेज प्रबंधन ने अब दिखाई जल्दबाजी

4 साल तक बंद रहने से यह छात्रावास बिना इस्तेमाल के ही जर्जर प्रतीत हो रहा है. इसके सामान खराब हो रहे हैं. अब जब यह चालू होने जा रहा है तो इसमें जल्दबाजी करनी चाहिए और पर्याप्त सुविधा बहाल करते हुए छात्राओं को रहने की बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए.

Last Updated : Nov 26, 2021, 4:41 PM IST
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