दुमका: जिले में इस वर्ष बारिश नहीं होने से झारखंड में सूखे (Drought In Jharkhand) जैसी स्थिति है. तमाम जलाशय या तो सूखे पड़े हैं या फिर उसमें काफी कम पानी है. पानी नहीं एकत्रित नहीं रहने से सबसे ज्यादा नुकसान मत्स्य पालकों को हुआ है. इस वर्ष उनका मछली उत्पादन नहीं होगा और उनको आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ेगा.
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क्या है पूरा मामला: इस साल बारिश नहीं होने की वजह से सुखाड़ की स्थिति है (Drought In Jharkhand). आमतौर पर लोग यह चिंता कर रहे हैं कि धान और काफी हद तक मकई की फसल बर्बाद हो गई तो किसानों की आजीविका कैसे चलेगी, लेकिन अल्पवृष्टि से मछली पालकों को भी काफी नुकसान हुआ है. पहले किसान जुलाई में मछली का बीज तालाबों में डालते थे और फरवरी-मार्च में उसे निकालकर बेचते थे. जिससे उन्हें अच्छी आमदनी होती थी, लेकिन इस साल तालाबों में पानी ही नहीं है ऐसे में मछली पालकों को काफी नुकसान हुआ है. उन्हें चिंता इस बात की सता रही है कि आने वाले साल में उनका भरण पोषण कैसे होगा.
क्या कहते हैं मत्स्य पालक: दुमका के भुरकुंडा पंचायत के दौंदिया गांव के ग्राम प्रधान सलीम मरांडी समेत कुछ मछली पालकों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मछली पालन उनका एक प्रमुख व्यवसाय है. उनका कहना है कि इस बार बारिश नहीं हुई है ऐसे में तालाब में पानी ही नहीं है जो मछली का जीरा डाल सकें, वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
क्या कहते हैं कृषि मंत्री: झारखंड सरकार के कृषि-मत्स्य पालन विभाग के मंत्री बादल पत्रलेख से जब मत्स्य पालकों की परेशानी के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकार की पैनी नजर सुखाड़ की स्थिति पर है. बारिश नहीं होने से निश्चित तौर पर मछली पालक प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा मत्स्य पालकों को यह आश्वस्त दिया कि सरकार उनके लिए खड़ी है और हर संभव मदद करेगी.