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झारखंड में बिगड़ रही मत्स्य पालकों की हालात, सूखे पड़े तालाब, आंखों में भरा पानी!

Jharkhand में इस साल बारिश 50 फीसदी से भी कम हुई है. ऐसे में प्रदेश में सूखे का खतरा मंडराने लगा है. सूखे की वजह से मत्स्य पालकों को भी भारी नुकसान हो रहा है. उन्होंने सरकार से मदद की अपील की है.

Drought in Jharkhand worries fishers
Drought in Jharkhand worries fishers
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Published : Aug 10, 2022, 7:58 PM IST

Updated : Aug 10, 2022, 8:21 PM IST

दुमका: जिले में इस वर्ष बारिश नहीं होने से झारखंड में सूखे (Drought In Jharkhand) जैसी स्थिति है. तमाम जलाशय या तो सूखे पड़े हैं या फिर उसमें काफी कम पानी है. पानी नहीं एकत्रित नहीं रहने से सबसे ज्यादा नुकसान मत्स्य पालकों को हुआ है. इस वर्ष उनका मछली उत्पादन नहीं होगा और उनको आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: इस विधि से मछली पालन के लिए नहीं पड़ेगी तालाब की जरूरत, सरकार उठाएगी आधा खर्च



क्या है पूरा मामला: इस साल बारिश नहीं होने की वजह से सुखाड़ की स्थिति है (Drought In Jharkhand). आमतौर पर लोग यह चिंता कर रहे हैं कि धान और काफी हद तक मकई की फसल बर्बाद हो गई तो किसानों की आजीविका कैसे चलेगी, लेकिन अल्पवृष्टि से मछली पालकों को भी काफी नुकसान हुआ है. पहले किसान जुलाई में मछली का बीज तालाबों में डालते थे और फरवरी-मार्च में उसे निकालकर बेचते थे. जिससे उन्हें अच्छी आमदनी होती थी, लेकिन इस साल तालाबों में पानी ही नहीं है ऐसे में मछली पालकों को काफी नुकसान हुआ है. उन्हें चिंता इस बात की सता रही है कि आने वाले साल में उनका भरण पोषण कैसे होगा.

देखें वीडियो
दुमका में लगभग 11 हजार तालाब: सरकारी आंकड़ों की माने तो दुमका में निजी और बंदोबस्त वाले लगभग 11 हजार तालाब हैं, इसके साथ ही लगभग नौ हजार लोग मछली पालन कर अपनी आजीविका चलाते हैं. इस साल बारिश नहीं होने से तमाम तालाब सूखे नजर आ रहे हैं. अगर कोई लोवर लैंड में तालाब स्थित है तो उसमें भी एक-दो फीट ही पानी है जिसमें मछली पालन संभव नहीं है. मछली के बीज जुलाई महीने में डाले जाते हैं और वह मछली फरवरी-मार्च तक लगभग चार सौ ग्राम से लेकर आधा किलो वजन के हो जाते हैं. जिसके बाद अधिकांश मत्स्य पालक उसे निकालकर बाजार में बेच देते हैं, लेकिन इस साल किसान तालाब में बीज ही नहीं डाल पाए हैं.


क्या कहते हैं मत्स्य पालक: दुमका के भुरकुंडा पंचायत के दौंदिया गांव के ग्राम प्रधान सलीम मरांडी समेत कुछ मछली पालकों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मछली पालन उनका एक प्रमुख व्यवसाय है. उनका कहना है कि इस बार बारिश नहीं हुई है ऐसे में तालाब में पानी ही नहीं है जो मछली का जीरा डाल सकें, वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

क्या कहते हैं कृषि मंत्री: झारखंड सरकार के कृषि-मत्स्य पालन विभाग के मंत्री बादल पत्रलेख से जब मत्स्य पालकों की परेशानी के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकार की पैनी नजर सुखाड़ की स्थिति पर है. बारिश नहीं होने से निश्चित तौर पर मछली पालक प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा मत्स्य पालकों को यह आश्वस्त दिया कि सरकार उनके लिए खड़ी है और हर संभव मदद करेगी.

दुमका: जिले में इस वर्ष बारिश नहीं होने से झारखंड में सूखे (Drought In Jharkhand) जैसी स्थिति है. तमाम जलाशय या तो सूखे पड़े हैं या फिर उसमें काफी कम पानी है. पानी नहीं एकत्रित नहीं रहने से सबसे ज्यादा नुकसान मत्स्य पालकों को हुआ है. इस वर्ष उनका मछली उत्पादन नहीं होगा और उनको आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ेगा.

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क्या है पूरा मामला: इस साल बारिश नहीं होने की वजह से सुखाड़ की स्थिति है (Drought In Jharkhand). आमतौर पर लोग यह चिंता कर रहे हैं कि धान और काफी हद तक मकई की फसल बर्बाद हो गई तो किसानों की आजीविका कैसे चलेगी, लेकिन अल्पवृष्टि से मछली पालकों को भी काफी नुकसान हुआ है. पहले किसान जुलाई में मछली का बीज तालाबों में डालते थे और फरवरी-मार्च में उसे निकालकर बेचते थे. जिससे उन्हें अच्छी आमदनी होती थी, लेकिन इस साल तालाबों में पानी ही नहीं है ऐसे में मछली पालकों को काफी नुकसान हुआ है. उन्हें चिंता इस बात की सता रही है कि आने वाले साल में उनका भरण पोषण कैसे होगा.

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दुमका में लगभग 11 हजार तालाब: सरकारी आंकड़ों की माने तो दुमका में निजी और बंदोबस्त वाले लगभग 11 हजार तालाब हैं, इसके साथ ही लगभग नौ हजार लोग मछली पालन कर अपनी आजीविका चलाते हैं. इस साल बारिश नहीं होने से तमाम तालाब सूखे नजर आ रहे हैं. अगर कोई लोवर लैंड में तालाब स्थित है तो उसमें भी एक-दो फीट ही पानी है जिसमें मछली पालन संभव नहीं है. मछली के बीज जुलाई महीने में डाले जाते हैं और वह मछली फरवरी-मार्च तक लगभग चार सौ ग्राम से लेकर आधा किलो वजन के हो जाते हैं. जिसके बाद अधिकांश मत्स्य पालक उसे निकालकर बाजार में बेच देते हैं, लेकिन इस साल किसान तालाब में बीज ही नहीं डाल पाए हैं.


क्या कहते हैं मत्स्य पालक: दुमका के भुरकुंडा पंचायत के दौंदिया गांव के ग्राम प्रधान सलीम मरांडी समेत कुछ मछली पालकों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मछली पालन उनका एक प्रमुख व्यवसाय है. उनका कहना है कि इस बार बारिश नहीं हुई है ऐसे में तालाब में पानी ही नहीं है जो मछली का जीरा डाल सकें, वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

क्या कहते हैं कृषि मंत्री: झारखंड सरकार के कृषि-मत्स्य पालन विभाग के मंत्री बादल पत्रलेख से जब मत्स्य पालकों की परेशानी के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकार की पैनी नजर सुखाड़ की स्थिति पर है. बारिश नहीं होने से निश्चित तौर पर मछली पालक प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा मत्स्य पालकों को यह आश्वस्त दिया कि सरकार उनके लिए खड़ी है और हर संभव मदद करेगी.

Last Updated : Aug 10, 2022, 8:21 PM IST
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