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SPECIAL: दुमका का एक गांव जहां दुर्गा के रूप में बेटियों की करते हैं पूजा, पश्चिम बंगाल तक से देखने आते हैं लोग - दुमका में मां दुर्गा के रूप में बेटी की पूजा

दशहरा के अवसर पर सभी जगह दुर्गा मां की प्रतिमा की पूजा की जाती है. वहीं, दुमका में एक ऐसा गांव भी है जहां दशहरा पर बेटियों को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजते हैं. गांव में यह परंपरा 51 साल से चली आ रही है.

daughters are worshiped as goddess Durga in Dumka
मां की पूजा करते श्रद्धालु
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Published : Oct 25, 2020, 10:39 AM IST

दुमका: वैसे तो पूरे दुमका में दुर्गा पूजा की धूम है. मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जा रही है लेकिन सदर प्रखंड के धधकिया गांव में अनोखे ढंग से शक्ति स्वरूपा की पूजा होती है. यहां प्रतिवर्ष गांव की एक नन्ही बच्ची को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-झारखंड उपचुनाव 2020: दोनों सीटों पर विरासत की लड़ाई, जानिए दुमका और बेरमो का गणित

बेटी को मां दुर्गा का माना जाता है स्वरूप

पूरे मामले की जानकारी देते हुए धधकिया गांव स्थित सत्तन आश्रम के संचालक स्वामी आत्मानंद ने बताया कि यह परंपरा पिछले 51 साल से चली आ रही है. इसमें बच्ची को सुंदर तरीके से सजाया जाता है. मां दुर्गा के सामने बच्ची को बैठाकर मंत्रोच्चारण के साथ विधि-विधान से उसकी पूजा की जाती है. आरती से लेकर पुष्पांजलि तक की सारी विधि की जाती है. वे कहते हैं कि बेटियां हमारा मान-सम्मान हैं और हमारे लिए पूजनीय है. उनका कहना है कि इस तरह से पूजा कर वे देवी मां को पूजते हैं. इस तरह समाज को यह लोग संदेश देने का काम करते हैं कि सभी लोग बेटी का सम्मान करें.

क्या कहते हैं श्रद्धालु

इस अनोखे विधि-विधान को देखने के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूरदराज के लोग भी पहुंचते हैं. मौके पर पश्चिम बंगाल के बीरभूम से पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्होंने यहां का काफी नाम सुन रखा है, इसलिए यह विशेष पूजा देखने आए हैं. उनका कहना है कि इस पूजा के दर्शन से काफी आनंद की अनुभूति होती है. श्रद्धालु कहते हैं कि बेटियों का सम्मान करना भगवान का सम्मान करने जैसा है.

दुमका: वैसे तो पूरे दुमका में दुर्गा पूजा की धूम है. मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जा रही है लेकिन सदर प्रखंड के धधकिया गांव में अनोखे ढंग से शक्ति स्वरूपा की पूजा होती है. यहां प्रतिवर्ष गांव की एक नन्ही बच्ची को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है.

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पूरे मामले की जानकारी देते हुए धधकिया गांव स्थित सत्तन आश्रम के संचालक स्वामी आत्मानंद ने बताया कि यह परंपरा पिछले 51 साल से चली आ रही है. इसमें बच्ची को सुंदर तरीके से सजाया जाता है. मां दुर्गा के सामने बच्ची को बैठाकर मंत्रोच्चारण के साथ विधि-विधान से उसकी पूजा की जाती है. आरती से लेकर पुष्पांजलि तक की सारी विधि की जाती है. वे कहते हैं कि बेटियां हमारा मान-सम्मान हैं और हमारे लिए पूजनीय है. उनका कहना है कि इस तरह से पूजा कर वे देवी मां को पूजते हैं. इस तरह समाज को यह लोग संदेश देने का काम करते हैं कि सभी लोग बेटी का सम्मान करें.

क्या कहते हैं श्रद्धालु

इस अनोखे विधि-विधान को देखने के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूरदराज के लोग भी पहुंचते हैं. मौके पर पश्चिम बंगाल के बीरभूम से पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्होंने यहां का काफी नाम सुन रखा है, इसलिए यह विशेष पूजा देखने आए हैं. उनका कहना है कि इस पूजा के दर्शन से काफी आनंद की अनुभूति होती है. श्रद्धालु कहते हैं कि बेटियों का सम्मान करना भगवान का सम्मान करने जैसा है.

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