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वैज्ञानिकों की कमी से जूझ रहा है दुमका में BAU का जोनल रिसर्च स्टेशन, 7 के बदले 2 वैज्ञानिक कर रहे हैं काम

दुमका में बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का जोनल रिसर्च स्टेशन वैज्ञानिक और संसाधनों की कमी की वजह से बेकार साबित हो रहा है. लगातार घटते मैन पावर की वजह से इस सेंटर में लगी महंगी मशीने भी खराब हो रही है.

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Published : Jun 24, 2022, 11:46 AM IST

दुमका: झारखंड की उप राजधानी में बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का जोनल रिसर्च स्टेशन को कृषि क्षेत्र में रिसर्च कर किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए स्थापित किया गया था. लेकिन पिछले कई सालों से संसाधनों की कमी की वजह से ये रिसर्च स्टेशन अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो रहा है. आधारभूत संरचना की कमी और लगातार घटते मैन पावर की वजह से ये सेंटर किसानों के लिए बेकार साबित हो रहा है.

ये भी पढ़ें:- दुमका में सरकारी विद्यालय भवन में संचालित हो रहा था प्राईवेट स्कूल, किराया लेने वाला गिरफ्तार

कर्मचारियों की भारी कमी: बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के जोनल रिसर्च सेंटर में कृषि वैज्ञानिकों के 7 पद स्वीकृत हैं. जिसमें एग्रोनोमी , मृदा ( मिट्टी ) विज्ञान , पौधा प्रजनन अनुवांशिकी ,कीट विज्ञान , बागवानी और मौसम वैज्ञानिक का पद स्वीकृत है. इसमें वर्तमान में सिर्फ बागवानी विशेषज्ञ ही यहां कार्यरत हैं. साथ ही अन्य कर्मियों की भी काफी कमी है. ऐसे में यह अंदाज़ा सहज़ ही लगाया जा सकता है कि रिसर्च का काम कितना हो पायेगा. इसके साथ ही यहां रिसर्च से संबंधित कई मशीनरी और उपकरण मौजूद हैं जो बेकार हो गए हैं. इसमे पौधा प्रजनन मशीन आधुनिक हार्वेस्टर मशरूम बीज उत्पादन मशीन शामिल है.

क्या कहते हैं एसोसिएट डायरेक्टर: पिछले कई महीनों से खाली पड़े एसोसिएट डायरेक्टर के पद पर प्रोफेसर राकेश कुमार ने पदभार ग्रहण किया है. प्रोफेसर राकेश कुमार ने बताया कि हमारे यहां मेन पावर की काफी कमी है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस संस्थान के माध्यम से फसलों के अतिरिक्त मधुमक्खी पालन, रेशन उत्पादन, मत्स्य पालन के काम किए जाएंगे साथ ही मोती उत्पादन की भी योजना है. उन्होंने कहा कि जिन उद्देश्यों के साथ रिसर्च स्टेशन की स्थापना की गई उन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वे प्रयास करेंगे. उन्होंने आश्वत किया कि रिसर्च से किसानों को ज्यादा फायदा मिले इसे वो सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे.

दुमका: झारखंड की उप राजधानी में बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का जोनल रिसर्च स्टेशन को कृषि क्षेत्र में रिसर्च कर किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए स्थापित किया गया था. लेकिन पिछले कई सालों से संसाधनों की कमी की वजह से ये रिसर्च स्टेशन अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो रहा है. आधारभूत संरचना की कमी और लगातार घटते मैन पावर की वजह से ये सेंटर किसानों के लिए बेकार साबित हो रहा है.

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कर्मचारियों की भारी कमी: बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के जोनल रिसर्च सेंटर में कृषि वैज्ञानिकों के 7 पद स्वीकृत हैं. जिसमें एग्रोनोमी , मृदा ( मिट्टी ) विज्ञान , पौधा प्रजनन अनुवांशिकी ,कीट विज्ञान , बागवानी और मौसम वैज्ञानिक का पद स्वीकृत है. इसमें वर्तमान में सिर्फ बागवानी विशेषज्ञ ही यहां कार्यरत हैं. साथ ही अन्य कर्मियों की भी काफी कमी है. ऐसे में यह अंदाज़ा सहज़ ही लगाया जा सकता है कि रिसर्च का काम कितना हो पायेगा. इसके साथ ही यहां रिसर्च से संबंधित कई मशीनरी और उपकरण मौजूद हैं जो बेकार हो गए हैं. इसमे पौधा प्रजनन मशीन आधुनिक हार्वेस्टर मशरूम बीज उत्पादन मशीन शामिल है.

क्या कहते हैं एसोसिएट डायरेक्टर: पिछले कई महीनों से खाली पड़े एसोसिएट डायरेक्टर के पद पर प्रोफेसर राकेश कुमार ने पदभार ग्रहण किया है. प्रोफेसर राकेश कुमार ने बताया कि हमारे यहां मेन पावर की काफी कमी है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस संस्थान के माध्यम से फसलों के अतिरिक्त मधुमक्खी पालन, रेशन उत्पादन, मत्स्य पालन के काम किए जाएंगे साथ ही मोती उत्पादन की भी योजना है. उन्होंने कहा कि जिन उद्देश्यों के साथ रिसर्च स्टेशन की स्थापना की गई उन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वे प्रयास करेंगे. उन्होंने आश्वत किया कि रिसर्च से किसानों को ज्यादा फायदा मिले इसे वो सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे.

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