दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका में कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं. इसमें तीर्थस्थल बासुकीनाथ मंदिर, मसानजोर डैम, मंदिरों का गांव मलूटी प्रमुख हैं. इसके साथ ही बाबा दानीनाथ, सिरसानाथ और चुटोनाथ जैसे धार्मिक पर्यटन स्थल है. इन सभी स्थलों को टूरिस्ट सर्किट से जोड़ने की घोषणा वर्षों पहले की गई, जो अब तक पूरा नहीं किया जा सका है. स्थिति यह है कि टूरिस्ट सर्किट प्रशासनिक अनदेखी का शिकार हो गया है.
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झारखंड सरकार की ओर से कई बार घोषणा हुई कि बैद्यनाथधाम, बासुकीनाथ, मसानजोर और मंदिरों का गांव मलूटी को एक साथ जोड़ते हुए एक टूरिस्ट सर्किट का निर्माण किया जायेगा. इसके साथ ही इन सभी स्थलों को योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया जायेगा. खासकर, पिछली सरकार के मुख्यमंत्री रघुवर दास जब भी बासुकीनाथ आये तो उन्होंने टूरिस्ट सर्किट निर्माण की बात कहीं. टूरिस्ट सर्किट योजना के तहत इन चारों स्थलों के बीच ट्रेन सेवा, बस सेवा के साथ साथ गेस्ट हाउस और धर्मशाला का निर्माण किया जाना है. इसके साथ ही रास्ते में सुविधा केंद्र बनाना है, ताकि आने वाले पर्यटकों को किसी तरह की असुविधा नहीं हो. लेकिन आज तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है.
सरकार इन पर्यटन स्थलों को विकसित करने को लेकर कितनी गंभीर है. इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि दुमका में पर्यटन विभाग का एक सरकारी कार्यालय तक नहीं है. बासुकीनाथ में पर्यटन विभाग का एक गेस्ट हाउस बासुकी विहार है, जहां श्रद्धालुओं को काफी कम दर पर कमरा उपलब्ध होते थे. लेकिन पिछले 2 वर्षों से बंद पड़ा हुआ है. वहीं मलूटी की बात करें तो मलूटी मंदिर जाने के रास्ते शिकारीपाड़ा प्रखंड के केसरगढ़ में तीन साल पहले एक पर्यटक सुविधा केंद्र का निर्माण कराया गया, आज तक चालू नहीं हो सका.
स्थानीय अमरेंद्र सुमन कहते हैं कि बासुकीनाथ, मसानजोर या फिर मलूटी प्रसिद्ध टूरिस्ट स्थल हैं. इसके साथ ही काठीकुंड में दानीनाथ मंदिर, जामा प्रखंड में सिरसानाथ मंदिर और चुटोनाथ मंदिर हैं. लेकिन इन टूरिस्ट स्थलों पर जो मूलभूत सुविधायें होनी चाहिए, वह सुविधायें नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी घोषणा पूरी करती है तो इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या बढ़ जायेगी, जिसका लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा.
दुमका सांसद सुनील सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार का ध्यान दुमका के पर्यटन स्थलों पर नहीं है. उन्होंने कहा कि पर्यटन स्थलों को विकसित करने को लेकर केंद्रीय पर्यटन मंत्री से बात करेंगे. इसके बाद केंद्रीय योजनाओं से पर्यटन स्थलों को विकसित करेंगे.