दुमाकः जिले में 2008 में किसानों को आधुनिक कृषि का प्रशिक्षण देने के लिए करोड़ों की लागत से एग्रो टेक्नोलॉजी पार्क का निर्माण हुआ. लेकिन सरकारी उदासीनता और उचित देखरेख के अभाव में यह पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. स्थानीय लोग निराश हैं और इसकी बदहाली के जिम्मेदार अफसरों और कर्मियों के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः दुमका में कृषि विभाग की योजनाओं का डब्बा बंद, एग्रो टेक्नोलॉजी पार्क-सीड प्रोसेसिंग प्लांट सभी औंधे मुंह धड़ाम
25 एकड़ जमीन पर लगभग 5 करोड़ की लागत से बना है पार्कः झारखंड की उपराजधानी दुमका में वर्ष 2008 एग्रो टेक्नोलॉजी पार्क स्थापित किया गया था. शहर से सटे कड़हलबिल इलाके में 25 एकड़ जमीन पर फैले इस एग्रो टेक्नो पार्क को विकसित करने में लगभग पांच करोड़ रुपये खर्च हुए थे. इस पार्क के निर्माण का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि के तौर तरीकों का प्रशिक्षण धरातल पर उतार कर दिखाना था. मतलब अगर कोई सब्जी की नई वेरायटी उत्पादित करनी है तो उसे यहीं उपजा कर प्रदर्शित करना था. इसके साथ ही इस एग्रो पार्क को एक समेकित कृषि फार्म हाउस के रूप में डेवलप करना था. जहां फल -फूल- सब्जियों का उत्पादन तो होता ही साथ ही साथ मछली पालन, मुर्गी और बत्तख पालन भी होना था.
सरकारी उदासीनता का शिकार हुआ यह एग्रो टेक्नोलॉजी पार्कः योजना तो काफी अच्छी थी और किसानों के लिए हितकारी थी. लेकिन सरकारी उदासीनता का शिकार हो गया यह संस्थान. वर्तमान में तो यह बिल्कुल उजड़ गया है. लाखों खर्च कर जो पॉली हाउस का निर्माण इसके परिसर में किया गया था वह जर्जर हो चुका है. चारों तरफ झाड़ी ही नजर आ रहे हैं. कुल मिलाकर यह एग्रो टेक्नोलॉजी पार्क चीख चीखकर कह रहा है कि किसी ने हमारी सुधि नहीं ली. अब जब इसकी यह दुर्दशा हो गई तो असामाजिक तत्व भी इसका फायदा उठा रहे हैं और इसके चहारदीवारी को कई जगह से तोड़ दिया गया है. शाम होने के साथ नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है.
क्या कहते हैं स्थानीय लोगः इस पार्क की दुर्दशा से स्थानीय लोग काफी निराश हैं. वे कहते हैं इसकी शुरुआत काफी बेहतर रही थी लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए कि आखिरकार इसे इस बदहाल अवस्था में किसने पहुंचाया. कौन-कौन इसके लिए जिम्मेदार हैं. जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
जमीन पर अब दूसरे विभाग ने जमाया कब्जाः आमतौर पर देखा जाता है कि जब कोई योजना सही ढंग से धरातल पर नहीं उतरती है तो उसकी जमीन पर दूसरा विभाग नजर डाल देता है. इस एग्रो पार्क के साथ भी अभी यही हो रहा है. इसके लिए जो 25 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी. अब उससे 3 एकड़ जमीन पर एक कन्वेंशन हॉल बन रहा है. जाहिर है कृषि विभाग ने इसका समुचित उपयोग नहीं किया तो इसी वजह से उनकी जमीन दूसरे कार्यो में इस्तेमाल होने लगी.
क्या कहते हैं जिला कृषि पदाधिकारीः एग्रो पार्क के निर्माण में बदहाली के संबंध में हमने दुमका के जिला कृषि पदाधिकारी सबन गुड़िया से बात की. उन्होंने कहा कि मैनपावर की कमी और कई अन्य कारणों की वजह से अब तक यह पार्क सही रूप से विकसित नहीं हो सका. वे कहते हैं कि इसे डेवलप करने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं और कुछ ही महीनों में इसे संवारा जाएगा.