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इस मंदिर में भगवान को नहीं पसंद छत, सपने में आकर मंदिर निर्माण करवाने से किया है मना

जिले के टुंडी प्रखंड अंतर्गत गिरिडीह बॉर्डर पर बराकर नदी के तट पर अवस्थित नंदा महादेव मंदिर है. लोग दूर-दूर से इस मंदिर को देखने आते हैं और जिन्होंने भी यहां मन्नतें मांगी है, उनकी मुरादें पूरी होती है.

जानकारी देते कांति प्रसाद पांडेय
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Published : Feb 16, 2019, 2:49 PM IST

धनबाद: जिले के टुंडी प्रखंड अंतर्गत गिरिडीह बॉर्डर पर बराकर नदी के तट पर अवस्थित नंदा महादेव मंदिर है. लोग दूर-दूर से इस मंदिर को देखने आते हैं और जिन्होंने भी यहां मन्नतें मांगी है, उनकी मुरादें पूरी होती है.

मंदिर के पुजारी कांति प्रसाद पांडे का कहना है कि लगभग 200 साल पहले इस मंदिर में शिवलिंग खुद से प्रकट हुआ था. उसके बाद तत्कालीन टुंडी के राजा ने यहां पर मंदिर बनाने की सोची थी. लेकिन स्वयं नंदा महादेव ने राजा को सपने में आकर कहा कि यहां पर मंदिर नहीं बनेगा, जैसा है वैसा ही रहेगा. जिसके बाद राजा ने उस मंदिर का निर्माण नहीं करवाया.

जानकारी देते कांति प्रसाद पांडेय
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मंदिर के पुरोहित ने बताया कि काफी दिन पहले टुंडी के वर्तमान इंस्पेक्टर ने पुत्र प्राप्ति की मन्नत इस मंदिर में मांगी थी. जिसके बाद इंस्पेक्टर को पुत्र धन की प्राप्ति भी हुई थी. उसके बाद इंस्पेक्टर ने कहा कि वो मंदिर निर्माण करवाएगे. लेकिन ठीक उसी रात नंदा महादेव ने उस पुलिस अधिकारी के सपने में आए और कहा कि यहां पर मंदिर का निर्माण नहीं करवाए. उसके बाद उस पुलिस अधिकारी ने भी यहां पर मंदिर का निर्माण नहीं करवाया. अब मंदिर के ऊपर छत का निर्माण करने की बात कोई भी नहीं सोचता. हालांकि पुजारी ने बताया कि यहां पर शिव मंदिर के अलावा बाकी मंदिर बन सकता है.

लोग इस मंदिर में बहुत दूर से पूजा करने आते हैं और मन्नत मांगते हैं. यहां पर विशेषकर पूर्णिमा और सोमवार के दिन भीड़ लगी रहती है. जो कोई भी इस मंदिर में अपनी मुराद मांगने आता है उसकी मुरादें जरूर पूरी हुई है. खिचड़ी के दिन यहां पर मेला भी लगता है. जिसमें लगभग 20 हजार लोग मेले में शामिल होते हैं.

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धनबाद: जिले के टुंडी प्रखंड अंतर्गत गिरिडीह बॉर्डर पर बराकर नदी के तट पर अवस्थित नंदा महादेव मंदिर है. लोग दूर-दूर से इस मंदिर को देखने आते हैं और जिन्होंने भी यहां मन्नतें मांगी है, उनकी मुरादें पूरी होती है.

मंदिर के पुजारी कांति प्रसाद पांडे का कहना है कि लगभग 200 साल पहले इस मंदिर में शिवलिंग खुद से प्रकट हुआ था. उसके बाद तत्कालीन टुंडी के राजा ने यहां पर मंदिर बनाने की सोची थी. लेकिन स्वयं नंदा महादेव ने राजा को सपने में आकर कहा कि यहां पर मंदिर नहीं बनेगा, जैसा है वैसा ही रहेगा. जिसके बाद राजा ने उस मंदिर का निर्माण नहीं करवाया.

जानकारी देते कांति प्रसाद पांडेय
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मंदिर के पुरोहित ने बताया कि काफी दिन पहले टुंडी के वर्तमान इंस्पेक्टर ने पुत्र प्राप्ति की मन्नत इस मंदिर में मांगी थी. जिसके बाद इंस्पेक्टर को पुत्र धन की प्राप्ति भी हुई थी. उसके बाद इंस्पेक्टर ने कहा कि वो मंदिर निर्माण करवाएगे. लेकिन ठीक उसी रात नंदा महादेव ने उस पुलिस अधिकारी के सपने में आए और कहा कि यहां पर मंदिर का निर्माण नहीं करवाए. उसके बाद उस पुलिस अधिकारी ने भी यहां पर मंदिर का निर्माण नहीं करवाया. अब मंदिर के ऊपर छत का निर्माण करने की बात कोई भी नहीं सोचता. हालांकि पुजारी ने बताया कि यहां पर शिव मंदिर के अलावा बाकी मंदिर बन सकता है.

लोग इस मंदिर में बहुत दूर से पूजा करने आते हैं और मन्नत मांगते हैं. यहां पर विशेषकर पूर्णिमा और सोमवार के दिन भीड़ लगी रहती है. जो कोई भी इस मंदिर में अपनी मुराद मांगने आता है उसकी मुरादें जरूर पूरी हुई है. खिचड़ी के दिन यहां पर मेला भी लगता है. जिसमें लगभग 20 हजार लोग मेले में शामिल होते हैं.

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