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आखिर सिंह मेंसन में क्यों पड़ी दरार, जानिए अदावत की INSIDE STORY

धनबाद के सिंह मेंसन और रघुकुल में दरार काफी पहले पड़ चुकी है. इन दोनों में दरार पड़ने के पीछे की कहानी पूरी फिल्मी है, अब दोनों घराने की बहुएं चुनावी मैदान में दो-दो हाथ करने को तैयार हैं.

Inside story of singh mansion
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Published : Nov 26, 2019, 5:50 PM IST

धनबाद: कोयलांचल में सिंह मेंसन और रघुकुल दो प्रमुख घराने हैं. जो कभी सिर्फ सिंह मेंसन के नाम से जाना जाता था. लेकिन आज सिंह मेंसन में दरार पड़ चुकी है. लोग आज इसे सिंह मेंसन और रघुकुल के नाम से जानते हैं. लेकिन इन दोनों में दरार पड़ने के पीछे की पूरी कहानी क्या है, आखिर क्यों दोनों घरानों की बहुएं अब चुनावी मैदान में दो-दो हाथ करने को तैयार हैं. देखिए इस स्पेशल रिपोर्ट में.

देखें स्पेशल स्टोरी

चुनावी मैदान में देवरानी और जेठानी
इन दोनों घरानों के युवराज 2014 के विधानसभा चुनाव में झरिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़े. सिंह मेंसन के युवराज संजीव सिंह बीजेपी से जबकि रघुकुल के युवराज नीरज सिंह कांग्रेस से चुनाव लड़े. जिसमे संजीव सिंह ने बाजी मारी. 21 मार्च 2017 को नीरज सिंह की हत्या कर दी गई. जिसका आरोप संजीव सिंह पर लगा, मामले में आरोपी विधायक संजीव सिंह जेल में बंद हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में दोनों की पत्नियां यानी देवरानी और जेठानी चुनावी मैदान में हैं.

सिंह मेंसन का रहा है दबदबा
सिंह मेंसन कि तूती कभी झारखंड समेत यूपी और बिहार में बोलती थी, लेकिन आज यह कुनबा बिखर चुका है. इस बिखरे कुनबे को आज लोग रघुकुल और सिंह मेंसन के नाम से जानते हैं. 60 के दशक में सूर्यदेव सिंह यूपी के बलिया से धनबाद पहुंचे थे. बड़ी ही तेजी के साथ उन्होंने कोयलांचल में अपना वजूद बनाया. अपने खास वजूद के कारण ही धनबाद के सरायढेला में बना उनका आशियाना सिंह मेंसन देखते ही देखते खास पहचान बन गया. लोग सूर्यदेव सिंह को मजदूरों के मसीहा के नाम से जानने लगे, साल 1977 से 1991 तक वे यहां से चार बार विधायक बने.1991 में हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु के बाद सिंह मेंसन झरिया विधानसभा सीट खो चुके थे, 2000 में सूर्यदेव सिंह के अनुज बच्चा सिंह समता पार्टी से चुनाव लड़े और फिर से इस सीट पर कब्जा जमाने मे कामयाब रहे. उसके बाद सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह ने बीजेपी का दामन थामा, जिसके बाद कुंती सिंह दो बार झरिया सीट से विधायक बनी. उसके बाद उनके पुत्र संजीव सिंह बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े.

ये भी पढ़ें- उपराजधानी में लगातार तीसरी बार हेमंत-लुईस आमने सामने, दोनों ने भरा जीत का दंभ

2017 में हुई नीरज सिंह की हत्या
2014 के विधानसभा चुनाव में संजीव बीजेपी की टिकट पर यहां से चुनाव लड़े. जबकि सूर्यदेव सिंह के सहोदर भाई विक्रमा सिंह के पुत्र नीरज सिंह कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े. जिसमें संजीव सिंह ने जीत हासिल की. इस जीत के बाद सिंह मेंसन का सीना चौड़ा हो गया था. 21 मार्च 2017 को सरेआम नीरज सिंह की हत्या कर दी गई. इस मामले में संजीव सिंह आरोपी है और फिलहाल जेल में बंद हैं. इसके पूर्व 29 जनवरी 2017 को विधायक संजीव सिंह के बेहद खास रंजय सिंह की सरायढेला में रघुकुल के सामने दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जिसमें नीरज सिंह के मौसेरे भाई हर्ष सिंह को आरोपी बनाया गया था, हर्ष फिलहाल जमानत पर बाहर है.

हो चुकी है कई हत्याएं
जानकारों की मानें तो कोयला कारोबारी संजय सिंह की हत्या के बाद से सिंह मेंसन में आपसी दरार पड़ी थी. इस हत्याकांड में सीआईडी ने सूर्यदेव सिंह के भाई रामाधीर सिंह को अभियुक्त बनाया था. दरअसर, सूर्यदेव सिंह ने अपने भाई राजन सिंह की साली पुष्पा सिंह से संजय की शादी करवायी थी. पुष्पा सिंह और राजन सिंह की पत्नी सरोजिनी सिंह दोनों सहोदर बहन थी. संजय सिंह की हत्या 27 मई 1996 को एसपी ऑफिस के सामने शार्प शूटर ने की थी. इस मामले में स्व. संजय सिंह के बहनोई कृष्णा सिंह ने पहले प्राथमिकी दर्ज करायी थी. जिसमें संजय सिंह के बिजनेस पार्टनर रहे कोल कारोबारी सुरेश सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नाती रविशंकर सिंह को आरोपी बनाया गया था. घटना के समय कार में रविशंकर और सुरेश सिंह मौजूद थे. पुलिस ने दोनों के खिलाफ चार्जशीट भी दायर की थी. बाद में सरकार ने इस मामले को सीआईडी जांच के लिए सौंप दिया.

ये भी पढ़ें- सिंह मेंसन या रघुकुल, किसकी बचेगी 'लाज', चौखट लांघकर 'ताज' पहनने निकली बहुएं

धीरे-धाीरे बिखरता गया कुनबा
सीआईडी ने अपनी जांच में रविशंकर सिंह और सुरेश सिंह को क्लीन चिट दे दी. इस मामले में सीआईडी ने एक और चार्जशीट दाखिल की. जिसमें राजन सिंह के भाई रामाधीर सिंह, भतीजा राजीव रंजन सिंह, पवन सिंह, काशीनाथ सिंह और अशोक सिंह उर्फ कमलेश सिंह को आरोपी बनाया गया. इन सभी पर हत्या को अंजाम देने और षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगा. सूर्यदेव सिंह के भाई रामाधीर सिंह और बड़े पुत्र राजीव रंजन सिंह की गिरफ्तारी भी हुई थी. हालांकि कई सालों बाद कोर्ट के आए फैसले में इस मामले में रामाधीर सिंह को बरी कर दिया. इसके बाद से ही सिंह मेंसन का कुनबा बिखरता गया.

दोनों घरानों के बीच धधक रही आग
दिवंगत सूर्यदेव सिंह और रामाधीर सिंह का परिवार एक साथ हो गया, जो सिंह मेंसन के नाम से जाना जाता है. राजन सिंह और बच्चा सिंह सिंह मेंसन से अलग एक साथ रहने लगे. जिसे लोग आज रघुकुल के नाम से जानते हैं. बाद में संपत्ति विवाद को लेकर दोनों घरानों के बीच दूरियां बढ़ती चली गई. नीरज सिंह, दिवंगत राजन सिंह का पुत्र था. जबकि संजीव सिंह दिवंगत सूर्यदेव सिंह के पुत्र हैं. संजय सिंह हत्याकांड में भले ही कोर्ट ने सूर्यदेव सिंह के भाई रामाधीर सिंह को इस मामले में बरी कर दिया. लेकिन रंजय और नीरज हत्याकांड के बाद वही आग एक बार फिर दोनों घरानों के बीच धधक उठी है. इस आग में इन दोनों घरानों की और कितनी जाने जाएंगी यह कह पाना बेहद मुश्किल है.

धनबाद: कोयलांचल में सिंह मेंसन और रघुकुल दो प्रमुख घराने हैं. जो कभी सिर्फ सिंह मेंसन के नाम से जाना जाता था. लेकिन आज सिंह मेंसन में दरार पड़ चुकी है. लोग आज इसे सिंह मेंसन और रघुकुल के नाम से जानते हैं. लेकिन इन दोनों में दरार पड़ने के पीछे की पूरी कहानी क्या है, आखिर क्यों दोनों घरानों की बहुएं अब चुनावी मैदान में दो-दो हाथ करने को तैयार हैं. देखिए इस स्पेशल रिपोर्ट में.

देखें स्पेशल स्टोरी

चुनावी मैदान में देवरानी और जेठानी
इन दोनों घरानों के युवराज 2014 के विधानसभा चुनाव में झरिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़े. सिंह मेंसन के युवराज संजीव सिंह बीजेपी से जबकि रघुकुल के युवराज नीरज सिंह कांग्रेस से चुनाव लड़े. जिसमे संजीव सिंह ने बाजी मारी. 21 मार्च 2017 को नीरज सिंह की हत्या कर दी गई. जिसका आरोप संजीव सिंह पर लगा, मामले में आरोपी विधायक संजीव सिंह जेल में बंद हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में दोनों की पत्नियां यानी देवरानी और जेठानी चुनावी मैदान में हैं.

सिंह मेंसन का रहा है दबदबा
सिंह मेंसन कि तूती कभी झारखंड समेत यूपी और बिहार में बोलती थी, लेकिन आज यह कुनबा बिखर चुका है. इस बिखरे कुनबे को आज लोग रघुकुल और सिंह मेंसन के नाम से जानते हैं. 60 के दशक में सूर्यदेव सिंह यूपी के बलिया से धनबाद पहुंचे थे. बड़ी ही तेजी के साथ उन्होंने कोयलांचल में अपना वजूद बनाया. अपने खास वजूद के कारण ही धनबाद के सरायढेला में बना उनका आशियाना सिंह मेंसन देखते ही देखते खास पहचान बन गया. लोग सूर्यदेव सिंह को मजदूरों के मसीहा के नाम से जानने लगे, साल 1977 से 1991 तक वे यहां से चार बार विधायक बने.1991 में हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु के बाद सिंह मेंसन झरिया विधानसभा सीट खो चुके थे, 2000 में सूर्यदेव सिंह के अनुज बच्चा सिंह समता पार्टी से चुनाव लड़े और फिर से इस सीट पर कब्जा जमाने मे कामयाब रहे. उसके बाद सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह ने बीजेपी का दामन थामा, जिसके बाद कुंती सिंह दो बार झरिया सीट से विधायक बनी. उसके बाद उनके पुत्र संजीव सिंह बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े.

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2017 में हुई नीरज सिंह की हत्या
2014 के विधानसभा चुनाव में संजीव बीजेपी की टिकट पर यहां से चुनाव लड़े. जबकि सूर्यदेव सिंह के सहोदर भाई विक्रमा सिंह के पुत्र नीरज सिंह कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े. जिसमें संजीव सिंह ने जीत हासिल की. इस जीत के बाद सिंह मेंसन का सीना चौड़ा हो गया था. 21 मार्च 2017 को सरेआम नीरज सिंह की हत्या कर दी गई. इस मामले में संजीव सिंह आरोपी है और फिलहाल जेल में बंद हैं. इसके पूर्व 29 जनवरी 2017 को विधायक संजीव सिंह के बेहद खास रंजय सिंह की सरायढेला में रघुकुल के सामने दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जिसमें नीरज सिंह के मौसेरे भाई हर्ष सिंह को आरोपी बनाया गया था, हर्ष फिलहाल जमानत पर बाहर है.

हो चुकी है कई हत्याएं
जानकारों की मानें तो कोयला कारोबारी संजय सिंह की हत्या के बाद से सिंह मेंसन में आपसी दरार पड़ी थी. इस हत्याकांड में सीआईडी ने सूर्यदेव सिंह के भाई रामाधीर सिंह को अभियुक्त बनाया था. दरअसर, सूर्यदेव सिंह ने अपने भाई राजन सिंह की साली पुष्पा सिंह से संजय की शादी करवायी थी. पुष्पा सिंह और राजन सिंह की पत्नी सरोजिनी सिंह दोनों सहोदर बहन थी. संजय सिंह की हत्या 27 मई 1996 को एसपी ऑफिस के सामने शार्प शूटर ने की थी. इस मामले में स्व. संजय सिंह के बहनोई कृष्णा सिंह ने पहले प्राथमिकी दर्ज करायी थी. जिसमें संजय सिंह के बिजनेस पार्टनर रहे कोल कारोबारी सुरेश सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नाती रविशंकर सिंह को आरोपी बनाया गया था. घटना के समय कार में रविशंकर और सुरेश सिंह मौजूद थे. पुलिस ने दोनों के खिलाफ चार्जशीट भी दायर की थी. बाद में सरकार ने इस मामले को सीआईडी जांच के लिए सौंप दिया.

ये भी पढ़ें- सिंह मेंसन या रघुकुल, किसकी बचेगी 'लाज', चौखट लांघकर 'ताज' पहनने निकली बहुएं

धीरे-धाीरे बिखरता गया कुनबा
सीआईडी ने अपनी जांच में रविशंकर सिंह और सुरेश सिंह को क्लीन चिट दे दी. इस मामले में सीआईडी ने एक और चार्जशीट दाखिल की. जिसमें राजन सिंह के भाई रामाधीर सिंह, भतीजा राजीव रंजन सिंह, पवन सिंह, काशीनाथ सिंह और अशोक सिंह उर्फ कमलेश सिंह को आरोपी बनाया गया. इन सभी पर हत्या को अंजाम देने और षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगा. सूर्यदेव सिंह के भाई रामाधीर सिंह और बड़े पुत्र राजीव रंजन सिंह की गिरफ्तारी भी हुई थी. हालांकि कई सालों बाद कोर्ट के आए फैसले में इस मामले में रामाधीर सिंह को बरी कर दिया. इसके बाद से ही सिंह मेंसन का कुनबा बिखरता गया.

दोनों घरानों के बीच धधक रही आग
दिवंगत सूर्यदेव सिंह और रामाधीर सिंह का परिवार एक साथ हो गया, जो सिंह मेंसन के नाम से जाना जाता है. राजन सिंह और बच्चा सिंह सिंह मेंसन से अलग एक साथ रहने लगे. जिसे लोग आज रघुकुल के नाम से जानते हैं. बाद में संपत्ति विवाद को लेकर दोनों घरानों के बीच दूरियां बढ़ती चली गई. नीरज सिंह, दिवंगत राजन सिंह का पुत्र था. जबकि संजीव सिंह दिवंगत सूर्यदेव सिंह के पुत्र हैं. संजय सिंह हत्याकांड में भले ही कोर्ट ने सूर्यदेव सिंह के भाई रामाधीर सिंह को इस मामले में बरी कर दिया. लेकिन रंजय और नीरज हत्याकांड के बाद वही आग एक बार फिर दोनों घरानों के बीच धधक उठी है. इस आग में इन दोनों घरानों की और कितनी जाने जाएंगी यह कह पाना बेहद मुश्किल है.

Intro:ANCHOR:-कोयलांचल का दो प्रमुख घराना।सिंह मेंसन और रघुकुल। जो कभी सिर्फ और सिर्फ सिंह मेंसन के नाम से जाना जाता था।लेकिन आज सिंह मेंसन में दरार पड़ चुकी है।जिसे लोग आज सिंह मेंसन और रघुकुल दो घरानों के नाम से जानती है।दोनो घरानों के युवराज 2014 के विधानसभा चुनाव में झरिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़े।सिंह मेंसन के युवराज संजीव सिंह बीजेपी से जबकि रघुकुल के युवराज नीरज सिंह कांग्रेस से चुनाव लड़े।जिसमे संजीव सिंह ने फ़तह हासिल की। 21 मार्च 2017 को नीरज सिंह की हत्या कर दी गई।जिसका आरोप संजीव सिंह पर लगा।मामले में आरोपी विधायक संजीव सिंह जेल में बंद है।7इस विधानसभा चुनाव में दोनो की पत्नियां यानी देवरानी और जेठानी चुनावी मैदान में हैं।सिंह मेंसन में दरार पड़ने की क्या है पुर्व की पूरी कहानी आखिर क्यों दोनो घरानों की बहुएं चुनावी मैदान में दो हांथ करने को है तैयार। देखिए इस स्पेशल रिपोर्ट में....


Body:सिंह मेंसन कि तूती कभी झारखंड समेत यूपी और बिहार में बोलती थी।लेकिन आज यह कुनबा बिखर चुका है।इस बिखरे कुनबे को आज लोग रघुकुल और सिंह मेंसन के नाम से जानते हैं।

60 के दशक में सूर्यदेव सिंह यूपी के बलिया से धनबाद पहुंचे थे।बड़ी ही तेजी के साथ उन्होंने ने कोयलांचल में अपना वजूद बनाया।अपने खास वजूद के कारण ही धनबाद के सरायढेला में बना उनका आशियाना सिंह मेंसन देखते ही देखते खास पहचान बन गया।आज कोयलांचल में सिंह मेंशन शुरू से ही एक खास पहचान रखता है।लोग सूर्यदेव सिंह को मजदूरों के मसीहा के नाम से जानने लगे।साल 1977 से 1991 तक वे यहां से चार बार विधायक बने।1991में हार्ट अटैक के कारण उनकी मृत्यु हो गई।उनकी मृत्यु के बाद सिंह मेंसन झरिया विधानसभा सीट खो चुके थे।2000 में सूर्यदेव सिंह के अनुज बच्चा सिंह समता पार्टी से चुनाव लड़े और फिर से इस सीट पर कब्जा जमाने मे कामयाब रहे।उसके बाद सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह ने भाजपा का दामन थामा।जिसके बाद कुंती सिंह दो बार झरिया सीट से विधायक बनी।उसके बाद उनके पुत्र संजीव सिंह बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े।2014 के विधानसभा चुनाव में संजीव बीजेपी की टिकट पर यहां से चुनाव लड़े।जबकि सूर्यदेव सिंह के सहोदर भाई विक्रमा सिंह के पुत्र नीरज सिंह कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े।जिसमें संजीव सिंह ने फ़तह हासिल की।इस जीत के बाद सिंह मेंसन का सीना चौड़ा हो गया था।21 मार्च 2017 को सरेआम नीरज सिंह की हत्या कर दी गई।इस मामले में संजीव सिंह आरोपी है और फिलहाल जेल में बंद हैं।इसके पूर्व 29 जनवरी 2017 को विधायक संजीव सिंह के बेहद खास रंजय सिंह की सरायढेला रघुकुल के सामने दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।जिसमे नीरज सिंह के मौसेरे भाई हर्ष सिंह को आरोपी बनाया गया था।हर्ष फिलहाल जमानत पर बाहर है

कोयला कारोबारी संजय सिंह की हत्यकांड से सिंह मेंसन में आपसी दरार पड़ी थी।इस हत्याकांड में सीआईडी ने सूर्यदेव सिंह के भाई रामाधीर सिंह को अभियुक्त बनाया था।दरअसर, सूर्यदेव सिंह ने अपने भाई राजन सिंह की साली पुष्पा सिंह से संजय की शादी करवायी थी।पुष्पा सिंह एवं राजन सिंह की पत्नी सरोजिनी सिंह दोनो सहोदर बहन थी।संजय सिंह की हत्या 27 मई 1996 को एसपी ऑफिस के सामने शार्प शूटर ने की थी।इस मामले में स्व संजय सिंह के बहनोई कृष्णा सिंह ने पहले प्राथमिकी दर्ज करायी थी।जिसमें संजय सिंह के बिजनेस पार्टनर रहे कोल कारोबारी सुरेश सिंह एवं पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नाती रवि शंकर सिंह को आरोपी बनाया गया था।घटना के समय कार में रवि शंकर और सुरेश सिंह मौजूद थे।पुलिस ने दोनो के खिलाफ चार्जसीट भी दायर की थी।बाद में सरकार ने इस मामले को सीआईडी जांच के लिए सौंप दी।सीआईडी ने अपनी जांच में रवि शंकर सिंह और सुरेश सिंह को क्लीन चिट दे दी।इस मामले में सीआईडी ने एक और चार्जसीट दाखिल की।जिसमे राजन सिंह के भाई रामाधीर सिंह भतीजा राजीव रंजन सिंह,पवन सिंह,काशीनाथ सिंह तथा अशोक सिंह उर्फ कमलेश सिंह को आरोपी बनाया गया।इन सभी हत्या को अंजाम देने व षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगा।सूर्यदेव सिंह के भाई रामाधीर सिंह और बड़े पुत्र राजीव रंजन सिंह की गिरफ्तारी भी हुई थी।हालांकि कई सालों बाद कोर्ट के आए फ़ैसले म में इस मामले में रामाधीर सिंह को बरी कर दिया।इसके बाद से ही सिंह मेंसन का कुनबा बिखर गया।दिवंगत सूर्यदेव सिंह और रामाधीर सिंह का परिवार एक साथ हो गया।जो सिंह मेंसन के नाम से जाना जाता है।राजन सिंह और बच्चा सिंह मेंसन से अलग एक साथ रहने लगे।जिसे लोग आज रघुकुल के नाम से जानते हैं।बाद में संपत्ति विवाद को लेकर दोनों घरानों के बीच दूरियां बढ़ती चली गयी।नीरज सिंह,दिवंगत राजन सिंह का पुत्र था।जबकि संजीव सिंह दिवंगत सूर्यदेव सिंह के पुत्र है।


Conclusion:संजय सिंह हत्याकांड में भले ही कोर्ट ने सूर्यदेव सिंह के भाई रामाधीर सिंह को इस मामले में बरी कर दिया।लेकिन रंजय और नीरज हत्याकांड के बाद वह आग एक बार फिर दोनो घरानों के बीच धधक उठी है।इस आग में और अभी दोनो घरानों की कितनी जाने जाएंगी यह कह पाना बेहद मुश्किल है।
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