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धनबाद: किसानों ने इस नायाब तरीके से बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ, कई मंडियों में सप्लाई होती हैं यहां की सब्जियां - धनबाद में किसान ने कचरे से बनाई उपजाऊ जमीन

अमूमन लोग कचरे को देखकर परेशान होने लगते हैं,लेकिन इसी कचरे ने सैकड़ों लोगों की जिदंगी बदल दी. ताज्जुब की बात नहीं बल्कि यह सच्चाई है. झरिया के होरलाडीह में सैकड़ों परिवार ने कचरे के ढेर पर हरियाली की चादर बिछाने का नायाब काम किया है. अब इन सैकड़ों परिवरों के जीवन यापन का मुख्य साधन बन चुका है.

Farmers made barren land fertile in dhanbad
किसानों ने इस नायाब तरीके से बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ
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Published : Aug 20, 2020, 10:32 PM IST

धनबाद: अमूमन लोग कचरे को देखकर परेशान होने लगते हैं,लेकिन इसी कचरे ने सैकड़ों लोगों की जिदंगी बदल दी. ताज्जुब की बात नहीं बल्कि यह सच्चाई है. झरिया के होरलाडीह में सैंकड़ों परिवार ने कचरे के ढेर पर हरियाली की चादर बिछाने का नायाब काम किया है. अब इन सैकड़ों परिवरों के जीवन यापन का मुख्य साधन बन चुका है.

देखें ये स्पेशल स्टोरी
हरियाली की चादर ओढ़े यह झरिया का होरलाडीह इलाका कहलाता है. कभी यहां उबड़-खाबड़ और बड़े-बड़े गड्ढे हुआ करते थे. हालांकि बिहार से झरिया पहुंचे लोगों ने इस जगह को अपने खून पसीने की दम पर इस बंजर जमीन को सोना उगलने वाली धरती बना डाला. करीब 50 साल पहले बिहार से झरिया पहुंचे लोगों की नजर इस बंजर जगह पर पड़ी. फिर मन में इस बंजर जमीन को संवारने का ख्याल आया, जिसके बाद झरिया बाजार से निकलने वाले कूड़े कचरे पर लोगों का ध्यान गया. माडा के अधिकारियों से कहकर लोगों ने उन तमाम कूड़े और कचड़ों का यहां डंप करवाया.


ये भी पढ़ें- सार्वजनिक परिवहन बंद होने पर ईंधन खर्च में इजाफा, लोगों की जेब पर पड़ रहा अतिरिक्त बोझ


इसके बाद लोगों ने उसमें से ईंट पत्थर जैसे बेकार आविष्ट पदार्थों को छांटकर अलग किया. फिर मेहनत कर जगह को समतल किया और सिंचाई शुरू कर दी. आखिरकार वह समय भी आया जब इनकी मेहनत रंग लाई और खेतों में की गई सब्जियों की पैदावर बेहतर हुई. आज ये सैकड़ों परिवार इस खेती पर जीविकोपार्जन करते हैं. विभिन्न मंडियों में सब्जियों की थोक बिक्री की जाती है. इससे इन्हें एक अच्छी खासी इनकम होती है.

पिछले कुछ सालों से सिंचाई को लेकर परेशानी बढ़ गई है. बीसीसीएल की भूतगड़िया माइंस से निकलने वाले पानी का उपयोग ये लोग सिंचाई के रूप में करते थे, लेकिन माइंस बंद होने के कारण अंदर से पानी निकलना बंद हो गया है. इसके कारण सिंचाई को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. बारिश में तो ये खेती कर लेते हैं, लेकिन गर्मी के दिनों में सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण पूरी खेती नहीं कर पाते. उस वक्त आंशिक खेती कर जीवन बसर करना पड़ता है. लोगों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें सिंचाई के लिए उचित व्यवस्था करें. लोगों का कहना है कि बोरिंग या खदान का पानी इन्हें साल भर मिले, तो सिंचाई की व्यवस्था दुरुस्त हो जायेगी.

इसके साथ ही लोगों ने कहा कि सरकार की ओर से यूरिया और फर्टिलाइजर पर सब्सिडी दी गई है, लेकिन बाजारों में ऊंची कीमतों पर उन्हें खरीदना पड़ता है. यहां बसे किसानों ने कहा कि उनके साथ ही सैकड़ों मजदूर भी खेतों में काम करते हैं. सरकार यदि तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराए, जो खेती के लिए जरुरी है तो कई बेरोजगारों का रोजगार यहां चलता रहेगा.



धनबाद: अमूमन लोग कचरे को देखकर परेशान होने लगते हैं,लेकिन इसी कचरे ने सैकड़ों लोगों की जिदंगी बदल दी. ताज्जुब की बात नहीं बल्कि यह सच्चाई है. झरिया के होरलाडीह में सैंकड़ों परिवार ने कचरे के ढेर पर हरियाली की चादर बिछाने का नायाब काम किया है. अब इन सैकड़ों परिवरों के जीवन यापन का मुख्य साधन बन चुका है.

देखें ये स्पेशल स्टोरी
हरियाली की चादर ओढ़े यह झरिया का होरलाडीह इलाका कहलाता है. कभी यहां उबड़-खाबड़ और बड़े-बड़े गड्ढे हुआ करते थे. हालांकि बिहार से झरिया पहुंचे लोगों ने इस जगह को अपने खून पसीने की दम पर इस बंजर जमीन को सोना उगलने वाली धरती बना डाला. करीब 50 साल पहले बिहार से झरिया पहुंचे लोगों की नजर इस बंजर जगह पर पड़ी. फिर मन में इस बंजर जमीन को संवारने का ख्याल आया, जिसके बाद झरिया बाजार से निकलने वाले कूड़े कचरे पर लोगों का ध्यान गया. माडा के अधिकारियों से कहकर लोगों ने उन तमाम कूड़े और कचड़ों का यहां डंप करवाया.


ये भी पढ़ें- सार्वजनिक परिवहन बंद होने पर ईंधन खर्च में इजाफा, लोगों की जेब पर पड़ रहा अतिरिक्त बोझ


इसके बाद लोगों ने उसमें से ईंट पत्थर जैसे बेकार आविष्ट पदार्थों को छांटकर अलग किया. फिर मेहनत कर जगह को समतल किया और सिंचाई शुरू कर दी. आखिरकार वह समय भी आया जब इनकी मेहनत रंग लाई और खेतों में की गई सब्जियों की पैदावर बेहतर हुई. आज ये सैकड़ों परिवार इस खेती पर जीविकोपार्जन करते हैं. विभिन्न मंडियों में सब्जियों की थोक बिक्री की जाती है. इससे इन्हें एक अच्छी खासी इनकम होती है.

पिछले कुछ सालों से सिंचाई को लेकर परेशानी बढ़ गई है. बीसीसीएल की भूतगड़िया माइंस से निकलने वाले पानी का उपयोग ये लोग सिंचाई के रूप में करते थे, लेकिन माइंस बंद होने के कारण अंदर से पानी निकलना बंद हो गया है. इसके कारण सिंचाई को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. बारिश में तो ये खेती कर लेते हैं, लेकिन गर्मी के दिनों में सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण पूरी खेती नहीं कर पाते. उस वक्त आंशिक खेती कर जीवन बसर करना पड़ता है. लोगों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें सिंचाई के लिए उचित व्यवस्था करें. लोगों का कहना है कि बोरिंग या खदान का पानी इन्हें साल भर मिले, तो सिंचाई की व्यवस्था दुरुस्त हो जायेगी.

इसके साथ ही लोगों ने कहा कि सरकार की ओर से यूरिया और फर्टिलाइजर पर सब्सिडी दी गई है, लेकिन बाजारों में ऊंची कीमतों पर उन्हें खरीदना पड़ता है. यहां बसे किसानों ने कहा कि उनके साथ ही सैकड़ों मजदूर भी खेतों में काम करते हैं. सरकार यदि तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराए, जो खेती के लिए जरुरी है तो कई बेरोजगारों का रोजगार यहां चलता रहेगा.



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