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'रघुवर राज' में पंचायत भवनों का बुरा हाल, 6 महीने से लटका है ताला

धनबाद के गोविंदपुर प्रखंड के जियलगढ़ा पंचायत भवन में लगभग 6 महीने से ताला लटका है. इसे देखने वाला कोई नहीं है. यहां आने वाले लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता है.

पंचायत भवन में लटका ताला
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Published : Jun 13, 2019, 7:36 AM IST

Updated : Jun 13, 2019, 8:29 AM IST

धनबाद: कोयलांचल में इन दिनों पंचायत भवनों का बुरा हाल है. जिले के लगभग जितने भी पंचायत भवन हैं सभी का यही हाल है, ऐसा ही एक नजारा गोविंदपुर प्रखंड के जियलगढ़ा पंचायत भवन का है. जहां लगभग 6 महीने से ताला लटका है, इसे देखने वाला कोई नहीं है. लोग यहां जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने आते हैं और वापस चले जाते हैं जो बहुत दुख की बात है.

देखें पूरी खबर

जियलगढ़ा पंचायत भवन का ताला पिछले कई महीनों से नहीं खुला है, यही हाल लगभग पूरे जिले के पंचायत भवनों का है. सभी जगह से ऐसे ही शिकायतें मिलती है, लेकिन इस और कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है. यहां जो लोग जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए आते हैं उन्हें एक महीने के अंदर ही आवेदन देना पड़ता है. जिसके अपने मर गए हैं वह सारा काम छोड़कर अगर पंचायत भवन मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए आए और अगर वहां पर कोई अधिकारी ना मिले और उसे सारा काम छोड़कर बार-बार आना पड़े तो आप ही सोच सकते हैं कि लोगों को क्या परेशानी होती होगी.

ये भी पढ़ें- लालू यादव की सेवा में लगा रहता है यह परिवार, खास तरीके से मना रहे लालू यादव का जन्मदिन

जब ईटीवी भारत की टीम ने इस पंचायत भवन का निरीक्षण किया तो वहां पर एक ऐसे ही व्यक्ति महेंद्र गोस्वामी नजर आए जो अपने पिता की मृत्यु के बाद इस ग्राम पंचायत भवन पहुंचे थे. थक-हार कर वापस भी लौट गए, आज लगभग वह 15 दिनों से पंचायत भवन का चक्कर काट रहे हैं. लेकिन उसका आवेदन लेने वाला भी पंचायत भवन में कोई नहीं था. एक ऐसे ही आवेदनकर्ता सुदीप गिरी भी पंचायत भवन पहुंचे यहां पर ताला लटका हुआ देखकर वह बगल के स्कूल में धूप को देखते हुए आराम करने के लिए पहुंचे क्योंकि पंचायत भवन के अगल-बगल आराम करने भी की भी कोई जगह नहीं थी. जिस कारण वह छांव के लिए स्कूल में जाकर बैठ गये.

ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि करोड़ों और लाखों की लागत से सिर्फ भवन बना देने से ही क्या विकास संभव है. जब इन करोड़ों की लागत से बने भवनों में कोई अधिकारी बैठेंगे ही नहीं तो जनता का काम कैसे होगा और अगर ऐसा होता है तो इसकी निगरानी कौन करेगा. यह भी सरकार को तय करना होगा इसकी भी जवाबदेही सरकार की बनती है लेकिन इस खबर को देखने के बाद भी सरकारी अधिकारी कितना ध्यान देते हैं यह देखने वाली बात है.

धनबाद: कोयलांचल में इन दिनों पंचायत भवनों का बुरा हाल है. जिले के लगभग जितने भी पंचायत भवन हैं सभी का यही हाल है, ऐसा ही एक नजारा गोविंदपुर प्रखंड के जियलगढ़ा पंचायत भवन का है. जहां लगभग 6 महीने से ताला लटका है, इसे देखने वाला कोई नहीं है. लोग यहां जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने आते हैं और वापस चले जाते हैं जो बहुत दुख की बात है.

देखें पूरी खबर

जियलगढ़ा पंचायत भवन का ताला पिछले कई महीनों से नहीं खुला है, यही हाल लगभग पूरे जिले के पंचायत भवनों का है. सभी जगह से ऐसे ही शिकायतें मिलती है, लेकिन इस और कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है. यहां जो लोग जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए आते हैं उन्हें एक महीने के अंदर ही आवेदन देना पड़ता है. जिसके अपने मर गए हैं वह सारा काम छोड़कर अगर पंचायत भवन मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए आए और अगर वहां पर कोई अधिकारी ना मिले और उसे सारा काम छोड़कर बार-बार आना पड़े तो आप ही सोच सकते हैं कि लोगों को क्या परेशानी होती होगी.

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जब ईटीवी भारत की टीम ने इस पंचायत भवन का निरीक्षण किया तो वहां पर एक ऐसे ही व्यक्ति महेंद्र गोस्वामी नजर आए जो अपने पिता की मृत्यु के बाद इस ग्राम पंचायत भवन पहुंचे थे. थक-हार कर वापस भी लौट गए, आज लगभग वह 15 दिनों से पंचायत भवन का चक्कर काट रहे हैं. लेकिन उसका आवेदन लेने वाला भी पंचायत भवन में कोई नहीं था. एक ऐसे ही आवेदनकर्ता सुदीप गिरी भी पंचायत भवन पहुंचे यहां पर ताला लटका हुआ देखकर वह बगल के स्कूल में धूप को देखते हुए आराम करने के लिए पहुंचे क्योंकि पंचायत भवन के अगल-बगल आराम करने भी की भी कोई जगह नहीं थी. जिस कारण वह छांव के लिए स्कूल में जाकर बैठ गये.

ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि करोड़ों और लाखों की लागत से सिर्फ भवन बना देने से ही क्या विकास संभव है. जब इन करोड़ों की लागत से बने भवनों में कोई अधिकारी बैठेंगे ही नहीं तो जनता का काम कैसे होगा और अगर ऐसा होता है तो इसकी निगरानी कौन करेगा. यह भी सरकार को तय करना होगा इसकी भी जवाबदेही सरकार की बनती है लेकिन इस खबर को देखने के बाद भी सरकारी अधिकारी कितना ध्यान देते हैं यह देखने वाली बात है.

Intro:धनबाद: कोयलांचल धनबाद में इन दिनों पंचायत भवनों का हाल बेहाल है. लगभग जिले के जितने भी पंचायत भवन हैं सभी का यही हाल है जहां पर ताले लटके हुए आपको नजर आ जाएंगे. ऐसा ही एक नजारा जिले के गोविंदपुर प्रखंड के जियलगढ़ा पंचायत भवन का है जहां पर आज लगभग 6 महीने से ताले लटके हुए हैं जिसे देखने वाला कोई नहीं है. लोग अपने मरने और जीने वाले के जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र को बनाने के लिए आते हैं और वापस चले जाते हैं जो बहुत ही दुख की बात है.


Body:जी हां,जियलगढ़ा पंचायत भवन में महीने से ताला नहीं खुला है यही हाल लगभग पूरे जिले के पंचायत भवनों का है सभी जगह से ऐसे ही शिकायतें मिलती है, लेकिन इस और कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है. यहां पर आपको बताना जरूरी है कि जो लोग मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए आते हैं उन्हें 1 महीने के अंदर ही आवेदन देना पड़ता है.जिसके अपने मर गए हैं वह सारा काम छोड़कर अगर पंचायत भवन मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए आए और अगर वहां पर कोई अधिकारी ना मिले और उसे सारा काम छोड़कर बार बार आना पड़े तो आप ही सोच सकते हैं कि लोगों को क्या परेशानी होती होगी. जब ईटीवी भारत की टीम ने इस पंचायत भवन का निरीक्षण किया तो वहां पर एक ऐसे ही व्यक्ति महेंद्र गोस्वामी नजर आए जो अपने पिता की मृत्यु के बाद इस ग्राम पंचायत भवन पहुंचे हुए थे और थक हार कर वापस भी लौट गए.आज लगभग वह 15 दिनों से पंचायत भवन का चक्कर काट रहे हैं लेकिन उसका आवेदन लेने वाला भी पंचायत भवन में कोई नहीं था. एक ऐसे ही आवेदनकर्ता सुदीप गिरी भी पंचायत भवन पहुंचे यहां पर ताला लटका हुआ देखकर वह बगल के स्कूल में धूप को देखते हुए आराम करने के लिए पहुंचे क्योंकि पंचायत भवन के अगल-बगल आराम करने भी की भी कोई जगह नहीं थी. जिस कारण वह छांव के लिए स्कूल में जाकर बैठ गये.


Conclusion:ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि करोड़ों और लाखों की लागत से सिर्फ भवन बना देने से ही क्या विकास संभव है. जब इन करोड़ों की लागत से बने भवनों में कोई अधिकारी बैठेंगे ही नहीं तो जनता का काम कैसे होगा और अगर ऐसा होता है तो इसकी निगरानी कौन करेगा.यह भी सरकार को तय करना होगा इसकी भी जवाबदेही सरकार की बनती है लेकिन इस खबर को देखने के बाद भी सरकारी अधिकारी कितना ध्यान देते हैं यह देखने वाली बात है. बाइट-महेंद्र गोस्वामी बाइट-सुदीप गिरी
Last Updated : Jun 13, 2019, 8:29 AM IST
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