धनबादः धनबाद सहित पूरे देश में आज 50 कोल ब्लॉकों की नीलामी की प्रक्रिया में देश-विदेश के बड़े-बड़े उद्यमी टकटकी लगाकर देख रहे हैं. आज की प्रक्रिया के बाद लोग नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने पर विचार करेंगे. धनबाद के जाने-माने कोयला उद्यमी सुरेंद्र कुमार सिन्हा जो धनबाद में पलटन बाबू के नाम से विख्यात हैं. वह भी काफी करीब से इस प्रक्रिया को देख रहे हैं.
सरकार को होगा फायदा
1973 में कोयला खदानों की राष्ट्रीयकरण के पहले बीसीसीएल में इनकी कई खदानें थी, जो 1973 में चली गई. फिलहाल, यह अभी ऑस्ट्रेलिया में माइनिंग कर रहे हैं वह भी आज की प्रक्रिया पर नजर जमाये बैठे हैं. उनका मानना है कि सरकार का यह बहुत ही अच्छा और साहसिक कदम है. इसमें पूरी तरह पारदर्शिता होगी. कोल इंडेक्स के जरिए रेट तय होंगे. इसमें किसी तरह का रिस्ट्रिक्शन नहीं रहेगा. शेयर, परचेज और माइनिंग में काफी राहत मिलेगी. अब विदेशी दामों में लोगों को कई लाभ मिल सकेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से कोल इंडिया को बहुत बड़ा सबक मिलने वाला है. कोल इंडिया का अहंकार टूटेगा. सरकार को भी इससे काफी फायदा होगा.
कोल इंडिया 650 मिलियन टन करती है प्रोडक्शन
सुरेंद्र कुमार सिन्हा ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि कोल इंडिया 650 मिलियन टन का प्रोडक्शन करती है, लेकिन इनके पास अब तक एक भी लैब और रिसर्च सेंटर नहीं है. इनको खुद भी पता नहीं होता कि किस तरह के कोयले का प्रोडक्शन यह कर रहे हैं. कोयले का ग्रेड अच्छा है या खराब है. इसकी जानकारी के अभाव में जिन्हें कोकिंग कोल चाहिए उन्हें नन कोकिंग कोल दे दी जाती है और जिन्हें नन कोकिंग कोल चाहिए उन्हें कोकिंग कोल दे दी जाती है इससे कोयले की बर्बादी हो रही है.
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दुनिया में 7% ही रिजर्व है कोकिंग कोल
सुरेंद्र ने साफ तौर पर कहा कि आज जितने भी माइनिंग इंजीनियर हैं उन्हें कोयले की कोई परख नहीं है. माइनिंग के अलावा इन्हें कोई जानकारी नहीं होती. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में कोकिंग कोल 7% ही रिजर्व है और यह काफी महंगा है, लेकिन जानकारी के अभाव में यह कोकिंग कोल को पावर प्लांट में दे दे रहे हैं. यह बहुत बड़ा क्राइम है. विदेशों में ऐसे लोगों को इस गलती के लिए गोली मार दी जाती. उन्होंने कहा कोकिंग कोल स्टील बनाने के लिए एक अहम रॉ मैटेरियल है जो पूरे विश्व में 7% ही है. उसे अनजाने में यहां बर्बाद किया जा रहा है. इससे सरकार को भी नुकसान हो रहा है.
नीलामी को लेकर ट्रेड यूनियन का विरोध
हालांकि, कोल ब्लॉक की नीलामी की सरकार की घोषणा के बाद से ही ट्रेड यूनियन इसका विरोध कर रही है. इनका मानना है कि इससे मजदूरों को नुकसान होने वाला है. इस सवाल के जवाब में पलटन बाबू ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि विरोध का कोई औचित्य ही इसमें नहीं है. विरोध का कारण सिर्फ और सिर्फ स्वार्थ है. मजदूर अगर यह सोच रही हैं कि हमारी नौकरी चली जाएगी तो ऐसा नहीं है बल्कि इस प्रक्रिया के तहत नौकरियां भी बढ़ेगी और उनका पेमेंट भी बढ़ेगा.
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देश में 50 कोल ब्लॉक की हो रही नीलामी
जिस 50 कोल ब्लॉक की नीलामी की प्रक्रिया की जा रही है, उसमें झारखंड के भी लगभग 18 कोल ब्लॉक हैं. झारखंड सरकार को इससे किस प्रकार का फायदा होगा. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें इसमें पार्टनर बनेंगी और राज्य सरकार को भी रॉयल्टी के माध्यम से अभी जो नुकसान हो रहा है उसमें सरकारों को फायदा ही होने वाला है.
निलामी प्रक्रिया में लेंगे भाग
ईटीवी भारत के सवाल के जवाब में धनबाद के जाने-माने कोयला उद्यमी सुरेंद्र कुमार सिन्हा उर्फ पलटन बाबू ने कहा कि फिलहाल अभी वह ऑस्ट्रेलिया में काफी सस्ती दर में माइनिंग कर रहे हैं और वहां काफी अच्छे तरीके से माइनिंग हो रही है, लेकिन आगे टेंडर प्रक्रिया को देखने के बाद नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने पर विचार किया जा सकता है.