देवघर: गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने देवघर का बाबा मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोलने को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर किये थे लेकिन कोर्ट से सिर्फ ऑनलाइन दर्शन की ही इजाजत मिली थी. ऐसे में दोबारा निशीकांत दुबे ने देश के सबसे बड़े न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. जहां न्यायालय ने भगवान से भक्तों को दूर नहीं रखने का निर्णय लिया है. न्यायालय ने कहा है कि सीमित संख्या में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर भक्तों के लिए मंदिर में दर्शन की इजाजत दी जा सकती है. जिसके लिए न्यायालय ने झारखंड सरकार से जवाब मांगा है.
वहीं, देवघर के पंडा धर्मरक्षणि सभा के अध्यक्ष सुरेश भारद्वाज ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है और पंडा समाज कभी भी मंदिर बंद रखने के पक्ष में नहीं रहता है. ऐसे में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए पिछले 4 महीनों से लॉकडाउन का पालन कर रहे है. सभी व्यवस्थाय बंद है. ऐसे में श्रद्धालु अगर यहां आते हैं तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और इस संक्रमण के दौर में झारखंड सरकार और जिला प्रशासन एक प्लान तैयार कर व्यवस्था करें.
वहीं, बाबा मंदिर पुरोहित बताते है कि न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है लेकिन जिस प्रकार कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में अन्य राज्यों से लोगों का आने से संक्रमण काफी तेजी से बढ़ेगा. ऐसे में जब हम कोरोना से नहीं बचेंगे तो भगवान का पूजा कौन करेगा. बिहार झारखंड की कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए मंदिर का खुलना ठीक नहीं है. अगर सीमित व्यवस्था के तहत दर्शन करने की व्यवस्था की जय तो ठीक है लेकिन अंतिम सोमवारी को इजाजत मिलेने पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच जाएंगे, इसलिए राज्य सरकार को इस पर निर्णय लेना चाहिए और अढ़ेया मेला तक पर्णतः बंद रखना चाहिए.
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स्थानीय व्यवसायियों की माने तो न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है और बाबा मंदिर संतल प्रगणा का अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. ऐसे में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार को अभी बंद ही रखना चाहिए और अगर मंदिर खुलती भी है तो सरकार सुरक्षा को लेकर पूरा व्यवस्था करें ये आग्रह किया है क्योंकि देवघर मंदिर के आसपास सहित इलाके में लगातार कोरोना का संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.