देवघर: बाबाधाम के नाम से मशहूर देवाधिदेव की नगरी देवघर राज्य का पांचवा सबसे बड़ा जिला है. संथाल-परगना प्रमंडल का सबसे बड़ा शहर एक जून 1983 को दुमका से अलग कर जिला बना था. इसमें मुख्यतः देवघर, सारठ और मधुपुर तीन विधानसभा की सीटें हैं, लेकिन तीनों प्रमुख सीटों में देवघर की सीट सुरक्षित है.
विधानसभा में 67.34 फीसदी लोग शिक्षित
देवघर विधानसभा इलाके में वैसे तो यादव जाती के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन यहां ब्राह्मण, भूमिहार और वैश्य का प्रभुत्व ज्यादा है. यहां की कुल 67.34% लोग ही शिक्षित है जो राष्ट्रीय औसत 74.04 फीसदी से कम है. यहां द्वादस ज्योतिर्लिंग होने की वजह से पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है, इसके साथ पर्यटकों का भी विशेष रुझान रहता है.
विपक्ष लगा रहा जुमलेबाजी का आरोप
विधायक नारायण दास अपने काम से संतुष्ट नजर आते हैं, लेकिन विपक्ष विधायक के तमाम दावों को सिरे से खारिज कर रहा है. विपक्ष का आरोप है कि विकास सिर्फ कागजों पर है और वर्तमान सरकार सिर्फ जुमलेबाजी कर रही. जहां पलायन, बेरोजगारी में लगातार इजाफा हो रहा है. इतना ही नहीं विपक्ष मौजूदा विधायक के पहचान पर भी सवाल खड़े करता दिख रहा है.
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देवघर विधानसभा की जनता का साफ मनाना है कि विकास का दावा तो बहुत किया गया, लेकिन नतीजा जमीन पर कुछ खास नजर नहीं आ रहा. इतना ही नहीं क्षेत्र की जनता अपने नुमाइंदे को भी खरी-खोटी सुनाते नजर आई.