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कारगिल विजय दिवस, शहीद के परिवार को अब तक नहीं मिला पैकेज, पेंशन भी बंद - Kargil Vijay Diwas 2019

आज कारगिल विजय दिवस है. पूरे देश में कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है, लेकिन वहीं कई ऐसे शहीद के परिजन है जो सरकारी सुविधा से आज भी महरूम हैं. चाईबासा के राम भगवान केरकेट्टा के परिजनों को अबतक पक्का मकान नसीब नहीं हो सका है. न ही शहिद सैनिकों को मिलने वाला पैकेज का लाभ मिल सका है. शहीद के परिजन को मिलने वाला पेंशन भी पिछले 5 महीने से बंद हो चुका है.

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Published : Jul 26, 2019, 12:08 AM IST

चाईबासा: देश में करोड़ों लोगों को प्रधानमंत्री आवास के तहत पक्का मकान दिया जा रहा है, लेकिन देश के लिए शहीद हुए राम भगवान केरकेट्टा के परिजनों को अबतक पक्का मकान नसीब नहीं हो सका है. न ही शहिद सैनिकों को मिलने वाला पैकेज का लाभ मिल सका है. शहीद के परिजन को मिलने वाला पेंशन भी पिछले 5 महीने से बंद हो चुका है.

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अल्बेस्टर के घर में रह रहे शहीद के परिजन
शहीद राम भगवान केरकेट्टा के परिजन पूर्व में मिलने वाले पेंशन के पैसे से रो-रोकर नदी किनारे अल्बेस्टर के घर में रहने को मजबूर हैं. उन्हें सरकार की ओर से छत भी नसीब नहीं हुआ, लेकिन पेंशन के पैसे से बने अल्वेस्टर के घर को जिला प्रशासन ने हटाने के लिए नोटिस जरूर भेज दिया था.

अधिकारियों ने किया था वादा
शहीद राम भगवान केरकेट्टा का पार्थिव शरीर जब पैसा पहुंचा तो जिले के बड़े अधिकारी शहीद के घर श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे और परिजनों को सांत्वना देते हुए सरकारी मुआवजा के साथ हर संभव मदद करने का भरोसा भी दिलाया, लेकिन कारगिल युद्ध को लगभग 20 साल बीत जाने के बाद भी शहीद के परिजन को जिला प्रशासन या अन्य किसी भी अन्य सरकारी पदाधिकारी जनप्रतिनिधियों की ओर से किसी भी प्रकार की मदद अब तक नहीं मिल पाई है.

13 सितंबर1999 को शहीद हुए थे राम
शहीद राम भगवान केरकेट्टा कुम्हारटोली चाईबासा के निवासी थे. बीएसएफ102 बटालियन के जवान केरकेट्टा 13 सितंबर1999 को कारगिल युद्ध मे अपने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी. उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं. शहीद की धर्मपत्नी का निधन 1998 में हो गया था, उसके ठीक एक वर्ष बाद 13 सितंबर1999 को राम भगवान केरकेट्टा भी शहीद हो गए थे.


उसके बाद से उनके बड़े बेटे दीपक केरकेट्टा ने अपने भविष्य की चिंता किए बगैर गाड़ी चला कर अपने छोटे भाई बहनों का भरण-पोषण करने में जुट गया. वहीं छोटा भाई प्रकाश केरकेट्टा स्नातक की पढ़ाई पूरी कर बीएसएफ में नौकरी के लिए अप्लाई कर रखा है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. दोनों बेटियां सुनीता केरकेट्टा पढ़ाई पूरी कर बैंकिंग की तैयारी कर रही है, वहीं छोटी बेटी सुनीता केरकेट्टा विशाखापट्टनम में नर्स की ट्रेनिंग ले रही है.


कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों को मिलने वाले पैकेज के नाम पर मात्र चाईबासा के पोस्ट ऑफिस चौक में राम भगवान केरकेट्टा की प्रतिमा स्थापित की गई है. इसके अलावा परिजन को किसी भी प्रकार का पैकेज का लाभ अब तक नहीं मिल सका है.

चाईबासा: देश में करोड़ों लोगों को प्रधानमंत्री आवास के तहत पक्का मकान दिया जा रहा है, लेकिन देश के लिए शहीद हुए राम भगवान केरकेट्टा के परिजनों को अबतक पक्का मकान नसीब नहीं हो सका है. न ही शहिद सैनिकों को मिलने वाला पैकेज का लाभ मिल सका है. शहीद के परिजन को मिलने वाला पेंशन भी पिछले 5 महीने से बंद हो चुका है.

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अल्बेस्टर के घर में रह रहे शहीद के परिजन
शहीद राम भगवान केरकेट्टा के परिजन पूर्व में मिलने वाले पेंशन के पैसे से रो-रोकर नदी किनारे अल्बेस्टर के घर में रहने को मजबूर हैं. उन्हें सरकार की ओर से छत भी नसीब नहीं हुआ, लेकिन पेंशन के पैसे से बने अल्वेस्टर के घर को जिला प्रशासन ने हटाने के लिए नोटिस जरूर भेज दिया था.

अधिकारियों ने किया था वादा
शहीद राम भगवान केरकेट्टा का पार्थिव शरीर जब पैसा पहुंचा तो जिले के बड़े अधिकारी शहीद के घर श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे और परिजनों को सांत्वना देते हुए सरकारी मुआवजा के साथ हर संभव मदद करने का भरोसा भी दिलाया, लेकिन कारगिल युद्ध को लगभग 20 साल बीत जाने के बाद भी शहीद के परिजन को जिला प्रशासन या अन्य किसी भी अन्य सरकारी पदाधिकारी जनप्रतिनिधियों की ओर से किसी भी प्रकार की मदद अब तक नहीं मिल पाई है.

13 सितंबर1999 को शहीद हुए थे राम
शहीद राम भगवान केरकेट्टा कुम्हारटोली चाईबासा के निवासी थे. बीएसएफ102 बटालियन के जवान केरकेट्टा 13 सितंबर1999 को कारगिल युद्ध मे अपने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी. उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं. शहीद की धर्मपत्नी का निधन 1998 में हो गया था, उसके ठीक एक वर्ष बाद 13 सितंबर1999 को राम भगवान केरकेट्टा भी शहीद हो गए थे.


उसके बाद से उनके बड़े बेटे दीपक केरकेट्टा ने अपने भविष्य की चिंता किए बगैर गाड़ी चला कर अपने छोटे भाई बहनों का भरण-पोषण करने में जुट गया. वहीं छोटा भाई प्रकाश केरकेट्टा स्नातक की पढ़ाई पूरी कर बीएसएफ में नौकरी के लिए अप्लाई कर रखा है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. दोनों बेटियां सुनीता केरकेट्टा पढ़ाई पूरी कर बैंकिंग की तैयारी कर रही है, वहीं छोटी बेटी सुनीता केरकेट्टा विशाखापट्टनम में नर्स की ट्रेनिंग ले रही है.


कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों को मिलने वाले पैकेज के नाम पर मात्र चाईबासा के पोस्ट ऑफिस चौक में राम भगवान केरकेट्टा की प्रतिमा स्थापित की गई है. इसके अलावा परिजन को किसी भी प्रकार का पैकेज का लाभ अब तक नहीं मिल सका है.

Intro:चाईबासा। देश में करोड़ों लोगों को प्रधानमंत्री आवास के तहत पक्का मकान दिया जा रहा है परंतु देश के लिए सरहद पर कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते हुए चाईबासा के लाल शहीद राम भगवान केरकेट्टा के परिजनों को अब तक सरकारी पक्का मकान तक नसीब नहीं हो सका है। ना ही शहिद सैनिकों को मिलने वाला पैकेज का लाभ मिल सका है। शहीद के परिजन को मिलने वाला पेंशन भी पिछले 5 माह से बंद हो चुका है।




Body:शहीद राम भगवान केरकेट्टा के परिजन पूर्व के दिनों में मिलने वाले पेंशन के पैसे से रो-रो नदी किनारे अल्बेस्टर के घर में रहने को मजबूर है उन्हें सरकार की ओर से छत भी नसीब नहीं हुआ। लेकिन पेंशन के पैसे से बने अल्वेस्टर के घर को जिला प्रशासन ने हटाने के लिए नोटिस जरूर भेज दिया था।

शहीद राम भगवान केरकेट्टा का पार्थिव शरीर जब पैसा पहुंचा तो जिले के बड़े अधिकारी शहीद के घर श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे और परिजनों को सांत्वना देते हुए सरकारी मुआवजा के साथ हर संभव मदद करने का भरोसा भी दिलाया। परंतु कारगिल युद्ध को लगभग 20 साल बीत जाने के बाद भी शहीद के परिजन को जिला प्रशासन या अन्य किसी भी अन्य सरकारी पदाधिकारी जनप्रतिनिधियों की ओर से किसी भी प्रकार की मदद अब तक नहीं मिल पाई है।

शहीद राम भगवान केरकेट्टा कुम्हारटोली चाईबासा के निवासी थे। बीएसएफ102 बटालियन के जवान केरकेट्टा 13 सितंबर1999 को कारगिल युद्ध मे अपने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं, शहीद की धर्मपत्नी का निधन 1998 में हो गया था, उसके ठीक 1 वर्ष बाद 13 सितंबर1999 को राम भगवान केरकेट्टा भी शहीद हो गए थे।

उसके बाद से उनके बड़े बेटे दीपक केरकेट्टा ने अपने भविष्य की चिंता किए बगैर गाड़ी चला कर अपने छोटे भाई बहनों भरण पोषण करने में जुट गया। वही छोटा भाई प्रकाश केरकेट्टा स्नातक की पढ़ाई पूरी कर बीएसएफ में नौकरी के लिए अप्लाई कर रखा है परंतु अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। दोनों बेटियां सुनीता केरकेट्टा पढ़ाई पूरी कर बैंकिंग की तैयारी कर रही है, वंही छोटी बेटी सुनीता केरकेट्टा विशाखापट्टनम में नर्स की ट्रेनिंग ले रही है।

शाहिद राम भगवान केरकेट्टा के छोटे बेटे प्रकाश केरकेट्टा ने बताया कि उनके पिता का पार्थिव शरीर जब चाईबासा पहुंचा तो जिले के अधिकारी के साथ जनप्रतिनिधियों ने भी घर पहुंचकर हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया परंतु अब तक किसी का भी सहयोग नहीं मिल सका है बड़े भाई की कमाई एवं पिता के पेंशन के पैसे से किसी तरह से हम चारों भाई बहन ने अपनी पढ़ाई पूरी की परंतु अब पेंशन का भी पैसा भी पिछले 5 महीने से बंद हो गया है। जिसे घर परिवार चलने में काफी कठिनाई हो रही है नौकरी के लिए जम्मू कश्मीर के बीएसएफ कार्यालय में आवेदन पत्र डाला है परंतु अब तक कोई जबाब नही मिला है।

कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों को मिलता है यह पैकेज -
शहीद की प्रतिमा, नौकरी, जमीन, आवास, पेट्रोल, पंप गैस एजेंसी, नामकरण, कृषि कनेक्शन जैसे काम भी नहीं हुए हैं।




Conclusion:कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों को मिलने वाले पैकेज के नाम पर मात्र चाईबासा के पोस्ट ऑफिस चौक में राम भगवान केरकेट्टा की प्रतिमा स्थापित की गई है इसके अलावा परिजन को किसी भी प्रकार का पैकेज का लाभ अब तक नहीं मिल सका है।
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