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SPECIAL: लॉकडाउन ने धंधा कर दिया चौपट, कितनों ने रोजी-रोटी के लिए बदल लिया व्यवसाय

तेजी से बढ़ती कोविड-19 महामारी से हर जगह के समुदाय और अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं. दुनियाभर का उत्पादन धीमा हो गया है. जो एक अभूतपूर्व चुनौती है. इससे सबसे ज्यादा छोटे व्यवसाय प्रभावित हैं और इस लॉकडाउन का आघात झेल रहे हैं. चाईबासा के कई व्यापारियों ने मजबूरन अपना व्यवसाय बदल लिया है.

lockdown spoiled business of small traders in chaibasa
लॉकडाउन ने धंधा कर दिया चौपट
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Published : Jul 8, 2020, 10:36 PM IST

Updated : Jul 21, 2020, 9:17 PM IST

चाईबासा: कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम को लेकर लगे लॉकडाउन में समाज के निचले स्तर के लोगों पर मुसीबत का पहाड़ बनकर टूट पड़ा है. इस दौरान लोगों को जरुरी काम को छोड़कर किसी चीज के लिए घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है. इस महामारी ने भोजनालय, चाट भंडार, चाय, इटली-सांभर और मीठे के दुकानदारों का बुरा हाल कर दिया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

लॉकडाउन में सरकार ने चाय, चाट भंडार, इटली- सांभर, जलेबी और समोसे आदि की दुकाने खोलने पर पाबंदी लगा रखी है. जिस कारण चाय वालों के सामने परिवार चलाने की समस्या आ गई है. अब स्थिति यह हो गई है कि ये लोग अपनी पीड़ा किसी को बता पाने में भी असमर्थ हैं.

ये भी पढ़ें- यहां रविवार को काम नहीं करते हैं मवेशी, वर्षों से निभा रहे हैं परंपरा

लॉकडाउन में दुकान नहीं खोलने की अनुमति के बाद अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असक्षम लोगों ने इसका दूसरा विकल्प निकाल कर रोटी की जुगाड़ करने में जुट गए हैं. कई दुकानदारों ने अपनी दुकान को बंद कर अन्य व्यवसाय से अपने आप को जोड़ लिया है.

बेंगलुरु यूनिवर्सिटी के छात्र सब्जी बच रहे हैं!

लॉकडाउन के दौरान स्कूल कॉलेज बंद हो चुके हैं छात्र अपने घरों में है. ऐसे में बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से पढ़ने वाले आकाश कर लॉकडाउन से पहले ही अपने घर लौट चुके थे. आकाश की घर की स्थिति काफी दयनीय है. इसलिए वह अब सब्जी बेचने के लिए अपनी मां का हाथ बंटा रहे हैं. आकाश बताते हैं कि सरकार राशन तो दे रही है, लेकिन उसके बावजूद भी कई सारी जिम्मेदारियां हैं. जिसे पूरा करने के लिए सब्जी बेचने के लिए मजबूर हो गए हैं.

lockdown spoiled business of small traders in chaibasa
सब्जी बेचते बेंगलुरु यूनिवर्सिटी के छात्र आकाश

धर्मेंद्र कुमार साव बताते हैं कि वह लॉकडाउन से पहले चाईबासा के बाबा मंदिर के समीप चाय की दुकान लगाया करते थे. लॉकडाउन के बाद कहीं भी काम नहीं मिला और अपने घर परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्हें सब्जी की दुकान लगानी पड़ी. सब्जी की दुकान लगाना उनके लिए मजबूरी भी है और जरूरी भी. देश में अनलॉक 2 लागू हो चूका है, लेकिन फुटपाथ दुकानदारों को अब तक कोई भी सुविधा नहीं मिली है.

ये भी पढ़ें- अखिलेश ने घर को बनाया नर्सरी, 8000 दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधों का करते हैं संरक्षण

नगर पालिका ने 332 दुकानदारों की सूची बना रखी है. दो बार सूचना मिली कि फुटपाथ दुकानदारों को लोन दिया जाएगा, लेकिन उसके बावजूद भी अब तक एक भी व्यक्ति को लोन नहीं दिया गया है. चाईबासा रेलवे स्टेशन के बाहर ठेला पर नाश्ते की दुकान लगाने वाले प्रकाश ने बताया कि लॉकडाउन के बाद दुकान लगाना बंद कर दिए और अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए घूम-घूम कर इटली-सांभर बेचकर अपने परिवार के 10 सदस्यों का पेट भरते हैं.

पिता कैंसर ग्रसित हैं, फुटपाथ दुकान से चला रहे घर

जिला प्रशासन अतिक्रमण के नाम पर भी फुटपाथ के दुकानदारों को परेशान कर रही है. इस लॉकडाउन में लोग भूख से परेशान हैं. वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन अतिक्रमण के नाम पर परेशान कर रही है. प्रकाश बताते हैं कि उनके पिता कैंसर से ग्रस्त हैं. उनका इलाज बॉम्बे हॉस्पिटल में हो रहा है. जिसके इलाज के लिए उन्होंने 5 लाख रुपए इधर-उधर से कर्ज लिया है.

lockdown spoiled business of small traders in chaibasa
सब्जी विक्रेता

चाईबासा बाबा मंदिर के पास चाट की दुकान लगाने वाले बबलू मोदक बताते हैं कि बहुत ही मुश्किल से चाट की दुकान के सहारे रोजी-रोटी चला रहे हैं. उनके घर की स्थिति काफी दयनीय हो गई है. पूरे लॉकडाउन के दौरान दुकान बंद रही है और बड़ी ही मुश्किल से सोमवार से दुकान लगा रहे हैं. बबलू मोदक ने कहा कि अब अगर जेल भी जाना पड़े तो भी अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए हमें दुकान लगाने ही पड़ेंगे, सिर्फ सरकारी चावल और गेहूं से काम नहीं चलेगा. मजबूरन हमें दुकान लगाने ही पड़ेंगे.

ये भी पढ़ें- आंखों में चुभता है ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के विधानसभा क्षेत्र में 'विकास' का सच, देखें ये रिपोर्ट

बबलू बताते हैं कि कुछ दिन पहले ही गुपचुप ठेले वाले ने दुकान लगाया था. जिसके ठेले को प्रशासन ने पलटी कर दिया जिससे सारा सामान बर्बाद कर दिया. इसके बाद हम लोग कुछ समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें. बच्चों का ट्यूशन फीस और स्कूल फीस सिर पर है, घर के किराए भी देने हैं.

चाय दुकान बंद हुई तो कोल्ड ड्रिंक की दुकान खोली

मनोज राम बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले वह चाईबासा कोर्ट के बाहर चाय की दुकान लगाया करते थे. परंतु लॉकडाउन में चाय की दुकान पर पाबंदी लगने के बाद से पानी और कोल्ड ड्रिंक की दुकान खोली हैं. घर परिवार में 4 सदस्य हैं. खाने-पीने की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी. इसलिए पानी और कोल्ड ड्रिंक्स की दुकान खोल कर गुजर-बसर कर रहे हैं.

lockdown spoiled business of small traders in chaibasa
चाय दुकान बंद हो गई तो कोल्ड ड्रिंक की दुकान चलाते मनोज राम

अभिषेक कुमार लॉकडाउन से पहले हाट बाजारों में कपड़े के व्यापार करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद वह धंधा पूरी तरह से ठप हो गया था. जिसके बाद अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए उन्होंने सब्जी का व्यवसाय किया. उन्हें किसी तरह के सरकारी सहयोग भी नहीं मिल पाए हैं.

चाईबासा: कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम को लेकर लगे लॉकडाउन में समाज के निचले स्तर के लोगों पर मुसीबत का पहाड़ बनकर टूट पड़ा है. इस दौरान लोगों को जरुरी काम को छोड़कर किसी चीज के लिए घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है. इस महामारी ने भोजनालय, चाट भंडार, चाय, इटली-सांभर और मीठे के दुकानदारों का बुरा हाल कर दिया है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

लॉकडाउन में सरकार ने चाय, चाट भंडार, इटली- सांभर, जलेबी और समोसे आदि की दुकाने खोलने पर पाबंदी लगा रखी है. जिस कारण चाय वालों के सामने परिवार चलाने की समस्या आ गई है. अब स्थिति यह हो गई है कि ये लोग अपनी पीड़ा किसी को बता पाने में भी असमर्थ हैं.

ये भी पढ़ें- यहां रविवार को काम नहीं करते हैं मवेशी, वर्षों से निभा रहे हैं परंपरा

लॉकडाउन में दुकान नहीं खोलने की अनुमति के बाद अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असक्षम लोगों ने इसका दूसरा विकल्प निकाल कर रोटी की जुगाड़ करने में जुट गए हैं. कई दुकानदारों ने अपनी दुकान को बंद कर अन्य व्यवसाय से अपने आप को जोड़ लिया है.

बेंगलुरु यूनिवर्सिटी के छात्र सब्जी बच रहे हैं!

लॉकडाउन के दौरान स्कूल कॉलेज बंद हो चुके हैं छात्र अपने घरों में है. ऐसे में बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से पढ़ने वाले आकाश कर लॉकडाउन से पहले ही अपने घर लौट चुके थे. आकाश की घर की स्थिति काफी दयनीय है. इसलिए वह अब सब्जी बेचने के लिए अपनी मां का हाथ बंटा रहे हैं. आकाश बताते हैं कि सरकार राशन तो दे रही है, लेकिन उसके बावजूद भी कई सारी जिम्मेदारियां हैं. जिसे पूरा करने के लिए सब्जी बेचने के लिए मजबूर हो गए हैं.

lockdown spoiled business of small traders in chaibasa
सब्जी बेचते बेंगलुरु यूनिवर्सिटी के छात्र आकाश

धर्मेंद्र कुमार साव बताते हैं कि वह लॉकडाउन से पहले चाईबासा के बाबा मंदिर के समीप चाय की दुकान लगाया करते थे. लॉकडाउन के बाद कहीं भी काम नहीं मिला और अपने घर परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्हें सब्जी की दुकान लगानी पड़ी. सब्जी की दुकान लगाना उनके लिए मजबूरी भी है और जरूरी भी. देश में अनलॉक 2 लागू हो चूका है, लेकिन फुटपाथ दुकानदारों को अब तक कोई भी सुविधा नहीं मिली है.

ये भी पढ़ें- अखिलेश ने घर को बनाया नर्सरी, 8000 दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधों का करते हैं संरक्षण

नगर पालिका ने 332 दुकानदारों की सूची बना रखी है. दो बार सूचना मिली कि फुटपाथ दुकानदारों को लोन दिया जाएगा, लेकिन उसके बावजूद भी अब तक एक भी व्यक्ति को लोन नहीं दिया गया है. चाईबासा रेलवे स्टेशन के बाहर ठेला पर नाश्ते की दुकान लगाने वाले प्रकाश ने बताया कि लॉकडाउन के बाद दुकान लगाना बंद कर दिए और अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए घूम-घूम कर इटली-सांभर बेचकर अपने परिवार के 10 सदस्यों का पेट भरते हैं.

पिता कैंसर ग्रसित हैं, फुटपाथ दुकान से चला रहे घर

जिला प्रशासन अतिक्रमण के नाम पर भी फुटपाथ के दुकानदारों को परेशान कर रही है. इस लॉकडाउन में लोग भूख से परेशान हैं. वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन अतिक्रमण के नाम पर परेशान कर रही है. प्रकाश बताते हैं कि उनके पिता कैंसर से ग्रस्त हैं. उनका इलाज बॉम्बे हॉस्पिटल में हो रहा है. जिसके इलाज के लिए उन्होंने 5 लाख रुपए इधर-उधर से कर्ज लिया है.

lockdown spoiled business of small traders in chaibasa
सब्जी विक्रेता

चाईबासा बाबा मंदिर के पास चाट की दुकान लगाने वाले बबलू मोदक बताते हैं कि बहुत ही मुश्किल से चाट की दुकान के सहारे रोजी-रोटी चला रहे हैं. उनके घर की स्थिति काफी दयनीय हो गई है. पूरे लॉकडाउन के दौरान दुकान बंद रही है और बड़ी ही मुश्किल से सोमवार से दुकान लगा रहे हैं. बबलू मोदक ने कहा कि अब अगर जेल भी जाना पड़े तो भी अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए हमें दुकान लगाने ही पड़ेंगे, सिर्फ सरकारी चावल और गेहूं से काम नहीं चलेगा. मजबूरन हमें दुकान लगाने ही पड़ेंगे.

ये भी पढ़ें- आंखों में चुभता है ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के विधानसभा क्षेत्र में 'विकास' का सच, देखें ये रिपोर्ट

बबलू बताते हैं कि कुछ दिन पहले ही गुपचुप ठेले वाले ने दुकान लगाया था. जिसके ठेले को प्रशासन ने पलटी कर दिया जिससे सारा सामान बर्बाद कर दिया. इसके बाद हम लोग कुछ समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें. बच्चों का ट्यूशन फीस और स्कूल फीस सिर पर है, घर के किराए भी देने हैं.

चाय दुकान बंद हुई तो कोल्ड ड्रिंक की दुकान खोली

मनोज राम बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले वह चाईबासा कोर्ट के बाहर चाय की दुकान लगाया करते थे. परंतु लॉकडाउन में चाय की दुकान पर पाबंदी लगने के बाद से पानी और कोल्ड ड्रिंक की दुकान खोली हैं. घर परिवार में 4 सदस्य हैं. खाने-पीने की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी. इसलिए पानी और कोल्ड ड्रिंक्स की दुकान खोल कर गुजर-बसर कर रहे हैं.

lockdown spoiled business of small traders in chaibasa
चाय दुकान बंद हो गई तो कोल्ड ड्रिंक की दुकान चलाते मनोज राम

अभिषेक कुमार लॉकडाउन से पहले हाट बाजारों में कपड़े के व्यापार करते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद वह धंधा पूरी तरह से ठप हो गया था. जिसके बाद अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए उन्होंने सब्जी का व्यवसाय किया. उन्हें किसी तरह के सरकारी सहयोग भी नहीं मिल पाए हैं.

Last Updated : Jul 21, 2020, 9:17 PM IST
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