चाईबासा: मौजूदा सरकार मुआवजा देने में भी तुष्टिकरण करती है, जाति धर्म और समुदाय को देखकर मुआवजा देती है यह आरोप भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने लगाया है. उदाहरण स्वरूप उन्होंने बताया कि जब सरायकेला जिले के तबरेज की मौत हुई तो उसके लिए पूरी सरकार खड़ी हो गई और सुविधाओं का पिटारा खोल दिया गया था, लेकिन राज्य में 7 आदिवासियों की मौत हो जाने के बाद भी सरकार मौन धारण कर लेती है और कोई घोषणा नहीं करती है.
लक्ष्मण गिलुआ ने कहा कि झारखंड की जनता ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस पर विश्वास व्यक्त करते हुए उनकी सरकार बनाई है. लेकिन अफसोस की बात यह है कि सरकार बनने के 1 माह के भीतर ही 19 जनवरी को पश्चिम सिंहभूम जिले के गुदरी प्रखंड अंतर्गत बुरुगुलीकेरा गांव में 7 निर्दोष आदिवासियों की निर्मम हत्या कर दी जाती है. हत्या हो जाने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री घटनास्थल का दौरा करने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन मृतक के आश्रितों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किसी भी प्रकार के मुआवजे की घोषणा नहीं किया. उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार ने आदिवासी-मूलवासी या राज्य के किसी भी व्यक्ति की इस तरह की घटना पर मौत हो जाने पर भाजपा की सरकार ने मृतक के परिवारों को 10 लाख रुपए मुआवजा और सरकारी नौकरी देने का प्रावधान बनाया था, लेकिन बुरुगुलीकेरा गांव में सात लोगों की निर्मम हत्या हो जाती है उसके बावजूद भी आज तक न ग्रामीणों को सरकार ने न मुआवजा दिया और न ही किसी को सरकारी नौकरी दी है.
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उन्होंने बताया कि भाजपा के जेपी नड्डा के निर्देश के अनुसार शिष्टमंडल घटनास्थल गए थे और पूछताछ भी की. इस दौरान मालूम हुआ कि वहां के लोग काफी भयभीत हैं. उनका कहना है कि हमारी सुरक्षा सरकार किस तरह से करती है यह एक चिंता का विषय है, लेकिन मृतक के आश्रितों को मुआवजा और सरकारी नौकरी आज तक नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि ठीक उसी प्रकार सरायकेला-खरसावां जिले के कदमडीहा और धातकीडीह गांव में तबरेज अंसारी चोरी की घटना को अंजाम देता है और गांव वाले उसे पकड़ लेते हैं ग्रामीणों के द्वारा उसे पकड़ने के बाद धक्का-मुक्की करते हैं पुलिस उसे गिरफ्तार कर मेडिकल चेकअप करवाकर जेल भेज देती है और 4 दिनों के बाद उसकी मृत्यु हो जाती है. उसके लिए पूरे राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेसियों ने हाय-तौबा मचा दी थी.