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'धर्म'संकट! ईसाई धर्म अपनाने पर हो समुदाय ने शव को अपने कब्रिस्तान में नहीं दी जगह - चाईबासा में ईसाई समुदाय का शव दफनाने से इनकार

चाईबासा में ईसाई धर्म अपनाने पर हो समुदाय ने अपने कब्रिस्तान में शव दफनाने नहीं दिया. ग्रामीणों ने इसका पुरजोर विरोध किया. हो युवा महासभा के हस्तक्षेप पर 40 घंटे बाद घर के आंगन में ही शव दफनाया गया.

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चाईबासा
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Published : Sep 13, 2021, 9:20 PM IST

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिला में टोन्टो थाना क्षेत्र के ग्राम दुरूला में हो समुदाय के लोगों ने ईसाई परिवार के सदस्य की मृत्यु होने के बाद शव को अपने ससन दिरी (कब्रिस्तान) में शव दफनाने नहीं दिया. हो युवा महासभा के हस्तक्षेप के बाद लगभग 40 घंटे के बाद शव को घर के आंगन में ही दफनाया गया.

इसे भी पढ़ें- महिला का शव दफनाने को लेकर विवाद, भारी संख्या में पुलिस बल तैनात

दरअसल धर्मांतरित परिवार के एक सदस्य की मौत शनिवार देर रात बीमारी की वजह से हो गई थी. जिसके बाद परिजन रविवार सुबह चुपके से हो समुदाय की वंशागत ससन दिरी स्थल (कब्रिस्तान) पहुंचे और हो समाज के रीति-रिवाज के गड्ढा खोदकर शव दफनाने की तैयारी कर रहे थे. इतने में गांव के लोगों को इस बात का पता चला, धीरे-धीरे ग्रामीण मौके पर पहुंचे और शव दफनाने का कड़ा विरोध किया.

देखें पूरी खबर

हो समाज की रीति-रिवाज के अनुसार दफनाने नहीं देने के लिए मुंडा बोयपाई की अगुवाई में ग्रामीण जुटे. इस बीच ग्रामीणों ने आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारियों को भी इस घटना की जानकारी दी एवं सामाजिक सहयोग करने की अपील की. इसके बाद 12 बजे गांव में बैठक करने के लिए सहमति बनी. जिसमें आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारी भी शामिल हुए और ससन दिरी स्थल गए.

ग्रामीणों के विरोधी स्वर को शांत कर भरी सभा में हो समुदाय की ससन दिरी (कब्रिस्तान) स्थल में नहीं दफनाने देने का फैसला लिया गया. ईसाई परिवार की ओर से हो समुदाय की मृत्यु संस्कार और रीति-रिवाज के अनुसार दफनाने का कड़ा विरोध जताया गया और इसको लेकर ईसाई परिवार वालों को सख्त चेतावनी दी गई.

इसे भी पढ़ें- जब विधायक ने छूए युवक के पांव, युवक हुआ सन्न

आदिवासी हो समाज युवा महासभा की पहल

आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारियों ने शव दफनाने के लिए पहल की. गांव में शव पड़े रहना अच्छी बात नहीं है. इसलिए युवा महासभा के लोगों ने ग्रामीणों को समझा-बुझाकर ईसाई परिवार के आंगन में ईसाई रीति-रिवाज से दफनाने के लिए धीरे-धीरे सहमति बनाई. लेकिन उनके सरना धर्म मानने वाले वंशजों ने इस पर भी कड़ी आपत्ति जतायी. चूंकि जमीन का बंटवारा नहीं हुआ है, एक बार दफना देगा तो आनेवाला दिन में वो ईसाई समुदाय के लोग शव दफनाते रहेंगे.

Ho community not allowed dead body buried in their cemeteries to converted Christians in Chaibasa
हो युवा सभा की बैठक

साथ ही धार्मिक रूप से हो समुदाय की रीति-रिवाज और संस्कृति पर दुल सुनूम जैसे पारंपरिक कार्यक्रमों के अनुपालन में बुरा प्रभाव पड़ने का ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया. जबकि ईसाई परिवार अपने घर से दो-तीन सौ फीट दूर में दफनाने के लिए जिद कर रहे थे. इसको लेकर फिर दोनों पक्ष में काफी वाद-विवाद और शोर गुल होने लगा. इस बीच आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारियों ने दोनों पक्ष को समझाने और शांत करने की प्रयास किया, पर मामला बढ़ता जा रहा था.

पुलिस ने किया हस्तक्षेप

आखिर में युवा महासभा के पदाधिकारियों ने इस घटना की जानकारी टोन्टो थाना प्रभारी सागेन मुर्मू को दे दी. कुछ समय बाद अपनी दल-बल के साथ थाना प्रभारी पहुंचे और ग्रामीणों से पूरे घटनाक्रम को लेकर जानकारी ली और ईसाई परिवार द्वारा चुपचाप खोदे जा रहे हो समुदाय के ससन दिरी (कब्रिस्तान) स्थल को ग्रामीणों ने दिखाया. ग्रामीण एकमत होकर थाना प्रभारी और टीम को ईसाई परिवार के शव स्थल की ओर ले गए. वहां ईसाई परिवार वालों को बुलाया गया.

Ho community not allowed dead body buried in their cemeteries to converted Christians in Chaibasa
मामले पर पुलिस ने किया हस्तक्षेप

इसे भी पढ़ें- सरना धर्म में वापसीः क्रिश्चियन बन चुके लोगों का पैर धोकर हुआ स्वागत

थाना प्रभारी ने दोनों पक्ष को समझाया और मध्यस्थता करते हुए सामूहिक जगह को छोड़कर ईसाई परिवार को अपने आंगन में शव को दफनाने के लिए दोनों पक्ष की सहमति से गढ्ढा खोदा गया. जिसके बाद सोमवार देर शाम भारी वर्षा के बीच शव दफनाने की प्रक्रिया शुरू कराई. साथ ही दोनों पक्ष और ग्रामीणों को किसी तरह का झगड़ा ना करने को कहा. किसी तरह की समस्या के लिए संपर्क करने के लिए जानकारी दी, ताकि शांति-व्यवस्था बहाल किया जा सके.

थाना प्रभारी ने बाहर से आए धर्म प्रचारकों को दी कड़ी चेतावनी
ग्रामीणों ने बाहर के लोगों द्वारा गांव में लोगों को भड़काने, प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने और पुलिस-प्रशासन का भय दिखाने को लेकर थाना प्रभारी से शिकायत किया. थाना प्रभारी ने ग्रामीणों की तेवर को शांत कराते हुए बाहर से आकर गांव वालों को ना भड़काने और गांव की शांति-व्यवस्था को ना बिगाड़ने के लिये धर्म प्रचारकों को कड़ी चेतावनी दिया अन्यथा कड़ी कानूनन कार्रवाई होने की भी चेतावनी दी.

Ho community not allowed dead body buried in their cemeteries to converted Christians in Chaibasa
हो समाज ने ईसाई समुदाय के सदस्य का शव दफनाने के इनकार किया

इसे भी पढ़ें- सनातन धर्म में लौटे 14 परिवार, गंगा घाट पर विधि-विधान से ईसाई छोड़ हिंदू धर्म में लौटे


धर्मांतरण का मामले पहले भी थाना पहुंच चुका है
गांव में लगभग ग्यारह परिवार का धर्मांतरण हुआ है, धार्मिक मुद्दा को लेकर कई दौर पंचायती हुआ है. इसमें कुछ धर्मांतरण परिवार का सामाजिक बहिष्कार भी किया गया. जिसका मामला थाना तक जा पहुंचा और थाना प्रभारी ने दोनों पक्ष को समझा-बुझाकर गांव में शांति-व्यवस्था के साथ रहने का सलाह दी.


इस मौके पर ग्रामीण मुंडा बोयपाई, सहायक मुंडा लक्ष्मण बोयपाई, सामाजिक कार्यकर्त्ता गोबिंद कोंडांगकेल, सालुका हेस्सा, बिनोद बोयपाई, सुरेंद्र कुंकल, दिनेश तामसोय, बागुन हेस्सा, भेंगरा कोंडांगकेल, सोंगा तामसोय, लक्ष्मण बोयपाई, भैगा कोंडांगकेल, वारलेस बोयपाई सहित आदिवासी हो समाज युवा महासभा केंद्रीय महासचिव इपिल सामड, जिलाध्यक्ष गब्बर सिंह हेंब्रम, जिला क्रीड़ा सचिव जगन्नाथ हेस्सा, सदस्य सुशील सवैंया एवं काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे.

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिला में टोन्टो थाना क्षेत्र के ग्राम दुरूला में हो समुदाय के लोगों ने ईसाई परिवार के सदस्य की मृत्यु होने के बाद शव को अपने ससन दिरी (कब्रिस्तान) में शव दफनाने नहीं दिया. हो युवा महासभा के हस्तक्षेप के बाद लगभग 40 घंटे के बाद शव को घर के आंगन में ही दफनाया गया.

इसे भी पढ़ें- महिला का शव दफनाने को लेकर विवाद, भारी संख्या में पुलिस बल तैनात

दरअसल धर्मांतरित परिवार के एक सदस्य की मौत शनिवार देर रात बीमारी की वजह से हो गई थी. जिसके बाद परिजन रविवार सुबह चुपके से हो समुदाय की वंशागत ससन दिरी स्थल (कब्रिस्तान) पहुंचे और हो समाज के रीति-रिवाज के गड्ढा खोदकर शव दफनाने की तैयारी कर रहे थे. इतने में गांव के लोगों को इस बात का पता चला, धीरे-धीरे ग्रामीण मौके पर पहुंचे और शव दफनाने का कड़ा विरोध किया.

देखें पूरी खबर

हो समाज की रीति-रिवाज के अनुसार दफनाने नहीं देने के लिए मुंडा बोयपाई की अगुवाई में ग्रामीण जुटे. इस बीच ग्रामीणों ने आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारियों को भी इस घटना की जानकारी दी एवं सामाजिक सहयोग करने की अपील की. इसके बाद 12 बजे गांव में बैठक करने के लिए सहमति बनी. जिसमें आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारी भी शामिल हुए और ससन दिरी स्थल गए.

ग्रामीणों के विरोधी स्वर को शांत कर भरी सभा में हो समुदाय की ससन दिरी (कब्रिस्तान) स्थल में नहीं दफनाने देने का फैसला लिया गया. ईसाई परिवार की ओर से हो समुदाय की मृत्यु संस्कार और रीति-रिवाज के अनुसार दफनाने का कड़ा विरोध जताया गया और इसको लेकर ईसाई परिवार वालों को सख्त चेतावनी दी गई.

इसे भी पढ़ें- जब विधायक ने छूए युवक के पांव, युवक हुआ सन्न

आदिवासी हो समाज युवा महासभा की पहल

आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारियों ने शव दफनाने के लिए पहल की. गांव में शव पड़े रहना अच्छी बात नहीं है. इसलिए युवा महासभा के लोगों ने ग्रामीणों को समझा-बुझाकर ईसाई परिवार के आंगन में ईसाई रीति-रिवाज से दफनाने के लिए धीरे-धीरे सहमति बनाई. लेकिन उनके सरना धर्म मानने वाले वंशजों ने इस पर भी कड़ी आपत्ति जतायी. चूंकि जमीन का बंटवारा नहीं हुआ है, एक बार दफना देगा तो आनेवाला दिन में वो ईसाई समुदाय के लोग शव दफनाते रहेंगे.

Ho community not allowed dead body buried in their cemeteries to converted Christians in Chaibasa
हो युवा सभा की बैठक

साथ ही धार्मिक रूप से हो समुदाय की रीति-रिवाज और संस्कृति पर दुल सुनूम जैसे पारंपरिक कार्यक्रमों के अनुपालन में बुरा प्रभाव पड़ने का ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया. जबकि ईसाई परिवार अपने घर से दो-तीन सौ फीट दूर में दफनाने के लिए जिद कर रहे थे. इसको लेकर फिर दोनों पक्ष में काफी वाद-विवाद और शोर गुल होने लगा. इस बीच आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारियों ने दोनों पक्ष को समझाने और शांत करने की प्रयास किया, पर मामला बढ़ता जा रहा था.

पुलिस ने किया हस्तक्षेप

आखिर में युवा महासभा के पदाधिकारियों ने इस घटना की जानकारी टोन्टो थाना प्रभारी सागेन मुर्मू को दे दी. कुछ समय बाद अपनी दल-बल के साथ थाना प्रभारी पहुंचे और ग्रामीणों से पूरे घटनाक्रम को लेकर जानकारी ली और ईसाई परिवार द्वारा चुपचाप खोदे जा रहे हो समुदाय के ससन दिरी (कब्रिस्तान) स्थल को ग्रामीणों ने दिखाया. ग्रामीण एकमत होकर थाना प्रभारी और टीम को ईसाई परिवार के शव स्थल की ओर ले गए. वहां ईसाई परिवार वालों को बुलाया गया.

Ho community not allowed dead body buried in their cemeteries to converted Christians in Chaibasa
मामले पर पुलिस ने किया हस्तक्षेप

इसे भी पढ़ें- सरना धर्म में वापसीः क्रिश्चियन बन चुके लोगों का पैर धोकर हुआ स्वागत

थाना प्रभारी ने दोनों पक्ष को समझाया और मध्यस्थता करते हुए सामूहिक जगह को छोड़कर ईसाई परिवार को अपने आंगन में शव को दफनाने के लिए दोनों पक्ष की सहमति से गढ्ढा खोदा गया. जिसके बाद सोमवार देर शाम भारी वर्षा के बीच शव दफनाने की प्रक्रिया शुरू कराई. साथ ही दोनों पक्ष और ग्रामीणों को किसी तरह का झगड़ा ना करने को कहा. किसी तरह की समस्या के लिए संपर्क करने के लिए जानकारी दी, ताकि शांति-व्यवस्था बहाल किया जा सके.

थाना प्रभारी ने बाहर से आए धर्म प्रचारकों को दी कड़ी चेतावनी
ग्रामीणों ने बाहर के लोगों द्वारा गांव में लोगों को भड़काने, प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने और पुलिस-प्रशासन का भय दिखाने को लेकर थाना प्रभारी से शिकायत किया. थाना प्रभारी ने ग्रामीणों की तेवर को शांत कराते हुए बाहर से आकर गांव वालों को ना भड़काने और गांव की शांति-व्यवस्था को ना बिगाड़ने के लिये धर्म प्रचारकों को कड़ी चेतावनी दिया अन्यथा कड़ी कानूनन कार्रवाई होने की भी चेतावनी दी.

Ho community not allowed dead body buried in their cemeteries to converted Christians in Chaibasa
हो समाज ने ईसाई समुदाय के सदस्य का शव दफनाने के इनकार किया

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धर्मांतरण का मामले पहले भी थाना पहुंच चुका है
गांव में लगभग ग्यारह परिवार का धर्मांतरण हुआ है, धार्मिक मुद्दा को लेकर कई दौर पंचायती हुआ है. इसमें कुछ धर्मांतरण परिवार का सामाजिक बहिष्कार भी किया गया. जिसका मामला थाना तक जा पहुंचा और थाना प्रभारी ने दोनों पक्ष को समझा-बुझाकर गांव में शांति-व्यवस्था के साथ रहने का सलाह दी.


इस मौके पर ग्रामीण मुंडा बोयपाई, सहायक मुंडा लक्ष्मण बोयपाई, सामाजिक कार्यकर्त्ता गोबिंद कोंडांगकेल, सालुका हेस्सा, बिनोद बोयपाई, सुरेंद्र कुंकल, दिनेश तामसोय, बागुन हेस्सा, भेंगरा कोंडांगकेल, सोंगा तामसोय, लक्ष्मण बोयपाई, भैगा कोंडांगकेल, वारलेस बोयपाई सहित आदिवासी हो समाज युवा महासभा केंद्रीय महासचिव इपिल सामड, जिलाध्यक्ष गब्बर सिंह हेंब्रम, जिला क्रीड़ा सचिव जगन्नाथ हेस्सा, सदस्य सुशील सवैंया एवं काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे.

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