चाईबासा: टिड्डी दल के हमले को देखते हुए पश्चिमी सिंहभूम जिले में संभावित आक्रमण की स्थिति से निपटने के उद्देश्य से बैठक का आयोजन किया है. वहीं, उप विकास आयुक्त आदित्य रंजन की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टिड्डी नियंत्रण दल की बैठक आयोजित की गई. इस दौरान जिला स्तर पर टिड्डी नियंत्रण को लेकर चर्चा की गई.
डीडीसी ने जिले में टिड्डियों के आक्रमण से बचाव की तैयारी को लेकर पर्याप्त मात्रा में रासायनिक कीटनाशकों के भंडारण और पर्याप्त मात्रा में इन रसायनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया. साथ ही उन्होंने किसानों को टिड्डी दल से फसलों को होने वाले नुकसान और उससे बचाव के प्रति जागरूक करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही उन्होंने इन टिड्डियों के नियंत्रण में उपयोग होने वाले हाईस्पीड, लोवॉल्यूम स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर, गटोर स्प्रेयर, नैप सैक स्प्रेयर, वाहन पर प्रतिष्ठापित किए जाने वाले स्प्रेयर की उपलब्धता की जानकारी ली और साथ ही संबंधित पदाधिकारियों को तैयार रखने का निर्देश दिया गया, ताकि आवश्यकता पड़ने पर इनकी मदद ली जा सके.
जिला स्तरीय गठित टिड्डी नियंत्रण दल
कृषि पशुपालन और सहकारिता विभाग के आदेश के आलोक में चाईबासा जिले में टिड्डी नियंत्रण के लिए उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टिड्डी नियंत्रण कार्यदल का गठन किया गया है. इस कार्यदल में बतौर सदस्य वन प्रमंडल पदाधिकारी, जिला परिवहन पदाधिकारी, जिला उद्यान पदाधिकारी, जिला स्तरीय अग्निशमन विभाग के पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, पौधा संरक्षण पदाधिकारी और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक को शामिल किया गया है.
बचाव कार्य में इन रसायनों का कर सकते है छिड़काव
फसलों में टिड्डियों का प्रकोप बढ़ गया हो तो कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके भी इनकों भगाया जा सकता है. टिड्डी प्रबंधन हेतु फसलों पर नीम के बीजों का पाउडर बनाकर 40 ग्राम पाउडर प्रति लीटर पानी में घोल कर उसका छिड़काव किया जाये. इसके अलावा बेन्डियोकार्ब 80 प्रतिशत 125 ग्राम या क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी 1200 मिली या क्लोरपाइरीफास 50 प्रतिशत ईसी 480 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8 प्रतिशत ईसी 625 मिली या डेल्टामेथरिन 1.25 प्रतिशत एससी 1400 मिली या डाईफ्लूबेनज्यूरॉन 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 120 ग्राम या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी 400 मिली या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 10% डब्ल्यूपी 200 ग्राम को 500-600 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर खेत में छिड़काव करना होगा.
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क्या है टिड्डी और कैसे पहुंचाते है नुकसान
टिड्डी दो से ढाई इंच लंबा कीट होता है. यह भयभीत होने के कारण समूह में रहते हैं. यह एक दिन में 100 से 150 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती हैं. झुंड में यह पेड़-पौधे और वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाते हैं. यह दल 15 से 20 मिनट में फसल के पत्तियों को पूर्ण रूप से खाकर नष्ट कर सकते हैं. टिड्डी दल किसी क्षेत्र में शाम छह से आठ बजे के आस-पास पहुंचकर जमीन पर बैठ जाते हैं या फिर पेड़ों, झाडियों और फसलों पर बसेरा करते हैं.
टिड्डी दल से अपने खेत को बचाने के कारगर उपाय
◆ खेतों में एक साथ मिलकर आग जलाकर पटाखे फोड़ें.
◆ बलुई मिट्टी वाले खेत टिड्डी दल की पसंद हैं. ये हमेशा बलुई मिट्टी में अंडे देता है, ऐसे में इन खेतों को खाली न रहने दें
◆ खेतों में पानी भर दें, जिससे प्रजनन और अंडे देने की कोई गुंजाइश न रहे.
◆ थाली, खाली टिन को जोर से पीटें, ढोल नगाड़े बजाकर तेज आवाज करें, इससे भी ये कीट भाग जाता है.
◆ टिड्डियों का दल आवाज के कंपन को महसूस करता है. इस कारण आजकल इन्हें भगाने के लिए डीजे का भी प्रयोग किया जाने लगा है. यह आवाज को दूर से भांपकर अपना रास्ता बदल लेते हैं और खेतों से उड़कर दूर चले जाते हैं.
◆ इसके अलावा फसलों को टिड्डी दल के हमले से बचाने के लिए हेस्टाबीटामिल, क्लोरफाइलीफास और बेंजीएक्सटाक्लोराइड का खेतों में छिड़काव करना चाहिए.
◆ खाली पड़े खेतों में टिड्डी दल अंडे देता है, जिन्हें नष्ट करने के लिए खेतों में गहरी खुदाई की जानी चाहिए और फिर इनमें पानी भर देना चाहिए.
बता दें कि संबंधित जानकारी और सहायता के लिए किसान काॅल सेंटर के अलावा निम्नलिखित नंबरों पर कर सकते हैं काॅल- इनसे जुड़ी किसी प्रकार की जानकारी और सहायता के लिए किसान काॅल सेंटर टोल फ्री नंबर - 18001801551 या परियोजना निदेशक, आत्मा, पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा श्री संतोष लकड़ा, संपर्क सूत्र-8862841880 पर काॅल करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और वरीय वैज्ञानिक-सह- प्रधान कृषि विज्ञान केन्द्र, जगन्नाथपुर,संपर्क सूत्र - 9608096505 पर संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.