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चाईबासाः टूटी सड़कें फूटी किस्मत, नक्सल प्रभावित सारंडा में गुम है विकास - चाईबासा में सड़क निर्माण

चाईबासा के सारंडा में विकास की पहुंच दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती. सड़क निर्माण के नाम पर रास्ते पर कुछ गिट्टियां और गढ्ढे भरे पड़े हैं. हालांकि 3 साल पहले ही इसका निर्माण कार्य शुरू कराया गया था लेकिन यह अब तक पूरा नहीं हो पाया. ग्रामीण प्रतिदिन जर्जर सड़क पर नई परेशानी का सामना करते हैं.

Road construction in Chaibasa incomplete
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Published : Jun 2, 2020, 4:40 PM IST

चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय से लगभग 120 किलोमीटर दूर स्थित सारंडा में विकास दौड़ने की बात तो दूर आज भी रेंग रहा है. सांरडा के विकास को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कई योजनाएं उतारी लेकिन सरकार की करोड़ों की योजनाएं सारंडा के बीहड़ जंगल तक पहुंचते ही दम तोड़ देती है. आज तक सरकार की किसी भी योजना का लाभ सारंडा के ग्रामीणों को सही ढंग से नहीं मिल सका है. कहते हैं किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए सड़क होना अति आवश्यक है जबकि जिले के सारंडा में करोड़ों की लागत से 3 वर्षों से बन रही लगभग 10 किमी की पीसीसी सड़क अब तक पूरी नहीं हो सकी है. बदहाल सड़कें स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है.

देखें पूरी खबर

सारंडा के ग्रामीण क्षेत्रों की अधिकतर सड़कों की हालत काफी खराब है. यहां कई वर्षों से लोग जर्जर सड़क पर ही आवागमन करने को मजबूर हैं. इसकी बानगी सारंडा के करमपदा, नवागांव, भनगांव जाने वाली मार्ग है. सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे हैं. इस सड़क पर प्रतिदिन सारंडा के ग्रामीण आवागमन करने को मजबूर हैं.

3 साल से अधूरा है सड़क निर्माण कार्य

बंकर से करमपदा और भनगांव तक जाने वाली सड़क का निर्माण कार्य प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत लगभग 10 करोड़ रुपए की लागत से होना है. इस सड़क का निर्माण कार्य 10 जुलाई 2017 से शुरू हुआ था. जबकि 9 जून 2018 को पूरा कर लिया जाना था. लेकिन लगभग 3 साल पूर्व होने के बाद भी अब तक सड़क का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका है.

ये भी पढ़ें-धनबाद में मिले 11 नए कोरोना संक्रमित, डीसी ने की पुष्टि

पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने किया था उद्घाटन

स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सारंडा के ग्रामीणों की तरफ से बार-बार गुहार लगाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने इस सड़क का उद्घाटन 3 वर्ष पूर्व कर सारंडा के ग्रामीणों को भरोसा दिलाया था कि यह सड़क जल्द से जल्द तैयार हो जाएगी और ग्रामीणों को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी. परंतु 3 वर्ष बीतने के बावजूद भी अब तक ठेकेदार ने सड़क निर्माण कार्य पूरा नहीं किया. सड़क के दोनों किनारे बोल्डर और गिट्टियां भी गिराई गई है लेकिन आज तक सड़क का निर्माण कार्य नहीं हो सका है. लोग जर्जर सड़क पर आवागमन करने को विवश है. बरसात के दिनों में स्थिति और भी दयनीय हो जाती है इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

सड़क बना परेशानी का सबब

ग्रामीण मनोज बताते हैं कि करमपदा क्षेत्र में ग्रामीणों के लिए सड़क बड़ी परेशानी का सबब बन गया है. खासकर उस दौरान जब ग्रामीण की तबीयत खराब होती है. यहां एंबुलेंस की कोई सुविधा नहीं है. निजी वाहन से मरीज को अस्पताल तक ले जाना पड़ता है. वैसी स्थिति में इस खराब सड़क से ले जाने के क्रम में मरीज की भी हालत खराब हो जाती है. सबसे ज्यादा दिक्कत गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाने में होती है.

ये भी पढ़ें-धनबादः BCCL मुख्यालय में हुई जीएम को-ऑर्डिनेशन की बैठक, कोरोना इफेक्ट का छाया रहा मुद्दा

ग्रामीण महिलाएं बताती है कि सड़क का उद्घाटन हुए बरसों बीत गए हैं लेकिन सड़क निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका है. कई बार ऐसी सड़क पर साइकिल और मोटरसाइकिल आदि से आने जाने वाले ग्रामीण गिर चुके हैं, जिससे उन्हें काफी चोटें भी आई है. हालांकि ग्रामीणों ने साथ बैठक कर ठेकेदार को जल्द से जल्द सड़क निर्माण कार्य पूरा करने को लेकर कहा था लेकिन अब तक ठेकेदार ने काम शुरू नहीं किया. ठेकेदार के कर्मचारी कुछ-कुछ दिन अंतराल पर आते हैं और सड़क के दोनों ओर गड्ढे कर छोड़ देते हैं. कभी सड़क किनारे गिट्टियां गिरा कर चले जाते हैं, जिससे लोगों को लगता है कि अब सड़क निर्माण होगा और उनकी परेशानी समाप्त होगी.

सड़क निर्माण कार्य की होगी जांचः डीसी

पश्चिम सिंहभूम जिला उपायुक्त राजकमल ने कहा कि सारंडा में हो रहे सड़क निर्माण कार्य को लेकर वे गंभीर है और सड़क निर्माण कार्य की जांच करवायी जाएगी. इसकी जांच भी ऐसे अभियंताओं की तरफ से ही की जाएगी जो कार्यकारी एजेंसी से बाहर के है. नियमानुसार सड़क का निर्माण किया जाना था तो किस परिस्थिति में सड़क का निर्माण अब तक नहीं कराया जा सका है आदि का भी स्पष्टीकरण मांगा जाएगा.

चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय से लगभग 120 किलोमीटर दूर स्थित सारंडा में विकास दौड़ने की बात तो दूर आज भी रेंग रहा है. सांरडा के विकास को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कई योजनाएं उतारी लेकिन सरकार की करोड़ों की योजनाएं सारंडा के बीहड़ जंगल तक पहुंचते ही दम तोड़ देती है. आज तक सरकार की किसी भी योजना का लाभ सारंडा के ग्रामीणों को सही ढंग से नहीं मिल सका है. कहते हैं किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए सड़क होना अति आवश्यक है जबकि जिले के सारंडा में करोड़ों की लागत से 3 वर्षों से बन रही लगभग 10 किमी की पीसीसी सड़क अब तक पूरी नहीं हो सकी है. बदहाल सड़कें स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है.

देखें पूरी खबर

सारंडा के ग्रामीण क्षेत्रों की अधिकतर सड़कों की हालत काफी खराब है. यहां कई वर्षों से लोग जर्जर सड़क पर ही आवागमन करने को मजबूर हैं. इसकी बानगी सारंडा के करमपदा, नवागांव, भनगांव जाने वाली मार्ग है. सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे हैं. इस सड़क पर प्रतिदिन सारंडा के ग्रामीण आवागमन करने को मजबूर हैं.

3 साल से अधूरा है सड़क निर्माण कार्य

बंकर से करमपदा और भनगांव तक जाने वाली सड़क का निर्माण कार्य प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत लगभग 10 करोड़ रुपए की लागत से होना है. इस सड़क का निर्माण कार्य 10 जुलाई 2017 से शुरू हुआ था. जबकि 9 जून 2018 को पूरा कर लिया जाना था. लेकिन लगभग 3 साल पूर्व होने के बाद भी अब तक सड़क का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका है.

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पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने किया था उद्घाटन

स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सारंडा के ग्रामीणों की तरफ से बार-बार गुहार लगाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने इस सड़क का उद्घाटन 3 वर्ष पूर्व कर सारंडा के ग्रामीणों को भरोसा दिलाया था कि यह सड़क जल्द से जल्द तैयार हो जाएगी और ग्रामीणों को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी. परंतु 3 वर्ष बीतने के बावजूद भी अब तक ठेकेदार ने सड़क निर्माण कार्य पूरा नहीं किया. सड़क के दोनों किनारे बोल्डर और गिट्टियां भी गिराई गई है लेकिन आज तक सड़क का निर्माण कार्य नहीं हो सका है. लोग जर्जर सड़क पर आवागमन करने को विवश है. बरसात के दिनों में स्थिति और भी दयनीय हो जाती है इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

सड़क बना परेशानी का सबब

ग्रामीण मनोज बताते हैं कि करमपदा क्षेत्र में ग्रामीणों के लिए सड़क बड़ी परेशानी का सबब बन गया है. खासकर उस दौरान जब ग्रामीण की तबीयत खराब होती है. यहां एंबुलेंस की कोई सुविधा नहीं है. निजी वाहन से मरीज को अस्पताल तक ले जाना पड़ता है. वैसी स्थिति में इस खराब सड़क से ले जाने के क्रम में मरीज की भी हालत खराब हो जाती है. सबसे ज्यादा दिक्कत गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाने में होती है.

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ग्रामीण महिलाएं बताती है कि सड़क का उद्घाटन हुए बरसों बीत गए हैं लेकिन सड़क निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका है. कई बार ऐसी सड़क पर साइकिल और मोटरसाइकिल आदि से आने जाने वाले ग्रामीण गिर चुके हैं, जिससे उन्हें काफी चोटें भी आई है. हालांकि ग्रामीणों ने साथ बैठक कर ठेकेदार को जल्द से जल्द सड़क निर्माण कार्य पूरा करने को लेकर कहा था लेकिन अब तक ठेकेदार ने काम शुरू नहीं किया. ठेकेदार के कर्मचारी कुछ-कुछ दिन अंतराल पर आते हैं और सड़क के दोनों ओर गड्ढे कर छोड़ देते हैं. कभी सड़क किनारे गिट्टियां गिरा कर चले जाते हैं, जिससे लोगों को लगता है कि अब सड़क निर्माण होगा और उनकी परेशानी समाप्त होगी.

सड़क निर्माण कार्य की होगी जांचः डीसी

पश्चिम सिंहभूम जिला उपायुक्त राजकमल ने कहा कि सारंडा में हो रहे सड़क निर्माण कार्य को लेकर वे गंभीर है और सड़क निर्माण कार्य की जांच करवायी जाएगी. इसकी जांच भी ऐसे अभियंताओं की तरफ से ही की जाएगी जो कार्यकारी एजेंसी से बाहर के है. नियमानुसार सड़क का निर्माण किया जाना था तो किस परिस्थिति में सड़क का निर्माण अब तक नहीं कराया जा सका है आदि का भी स्पष्टीकरण मांगा जाएगा.

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