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कभी अपनी अच्छी व्यवस्था के लिए चर्चित बोकारो स्टील प्लांट पर उठ रहे अव्यवस्था के सवाल! - कचरे के निपटान के लिए व्यवस्था नहीं

हमेशा अपनी अच्छी व्यवस्था के लिए चर्चा में रहने वाला बोकारो स्टील प्लांट अब अपनी अव्यवस्था के लिए चर्चित है. दरअसल, सेल के अपने नगर के ठोस कचरे के निस्तारण के लिए कोई प्लांट या अन्य कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है.

No alternative arrangement for disposal of waste in SAIL
बोकारो स्टील प्लांट
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Published : Jan 11, 2021, 2:08 PM IST

Updated : Jan 11, 2021, 6:05 PM IST

बोकारोः एशिया का सबसे बड़ा सेल का बोकारो स्टील प्लांट जिसकी चर्चा साफ-सफाई, बिजली-पानी की 24 घंटे आपूर्ति को लेकर होती है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सेल के अपने नगर के ठोस कचरे के निस्तारण के लिए कोई प्लांट या अन्य कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रतिदिन सैकड़ों टन कचरा नगर के बीचो-बीच एक खाली स्थान में डंप कर दिया जाता है और तो और उसमें आग भी लगा दी जाती है. बदबू, सड़ांध और धुआं से आसपास के क्षेत्र के हजारों लोगों की सेहत पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. विडंबना यह है कि जनप्रतिनिधि हो या यूनियन लीडर सभी को इस समस्या की वर्षों से जानकारी है लेकिन उन्होंने भी इस बाबत संयंत्र प्रबंधन के खिलाफ कोई आंदोलन या ठोस कदम नहीं उठाया.

ये भी पढ़ें-12 वर्षों से अर्धनिर्मित पुल हुआ क्षतिग्रस्त, अब नाव बनी सहारा

इस मामले में जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने लगातार दो बार से बोकारो के विधायक बिरंची नारायण से बात की तो उन्होंने कहा 55 वर्ष से यह समस्या है, लेकिन उनके पास इस सवाल का जवाब नहीं था कि समस्या को लेकर क्या उन्होंने कभी विधानसभा में मामला उठाया है. आगे उन्होंने समस्या के समाधान की जिम्मेवारी जिला प्रशासन पर डाल दी.

बोकारो स्टील प्लांट के यूनियन लीडर ने भी इस समस्या से होने वाली समस्या को गिनाया, परंतु निस्तारण के लिए उनके यूनियन ने कभी कड़े कदम उठाए, ऐसी कोई जानकारी उन्होंने नहीं दी. कचरा डंपिंग स्थल के भौतिक निरीक्षण के दौरान ईटीवी भारत की टीम ने वहां कचरा चुनने वाले दो गरीब लोगों से मुलाकात की. उनकी रोजी-रोटी कचरा चुनकर चलती है, लेकिन उनके स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. यह बात उन्होंने भी स्वीकार किया है.

अंत में जिले के उपायुक्त राजेश कुमार सिंह ने कहा कि कचरा निस्तारण की व्यवस्था तो बोकारो स्टील प्लांट प्रबंधन को ही करनी है. इसके लिए जिला प्रशासन दबाव बना रहा है. आने वाले तीन से चार दिनों के अंदर संयंत्र प्रबंधन और जिला प्रशासन के बीच इस समस्या के निदान को लेकर बैठक होने वाली है. उन्होंने दावा किया कि बहुत जल्द नगरवासियों को इस समस्या से निजात मिलेगी.

बोकारोः एशिया का सबसे बड़ा सेल का बोकारो स्टील प्लांट जिसकी चर्चा साफ-सफाई, बिजली-पानी की 24 घंटे आपूर्ति को लेकर होती है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सेल के अपने नगर के ठोस कचरे के निस्तारण के लिए कोई प्लांट या अन्य कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रतिदिन सैकड़ों टन कचरा नगर के बीचो-बीच एक खाली स्थान में डंप कर दिया जाता है और तो और उसमें आग भी लगा दी जाती है. बदबू, सड़ांध और धुआं से आसपास के क्षेत्र के हजारों लोगों की सेहत पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. विडंबना यह है कि जनप्रतिनिधि हो या यूनियन लीडर सभी को इस समस्या की वर्षों से जानकारी है लेकिन उन्होंने भी इस बाबत संयंत्र प्रबंधन के खिलाफ कोई आंदोलन या ठोस कदम नहीं उठाया.

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इस मामले में जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने लगातार दो बार से बोकारो के विधायक बिरंची नारायण से बात की तो उन्होंने कहा 55 वर्ष से यह समस्या है, लेकिन उनके पास इस सवाल का जवाब नहीं था कि समस्या को लेकर क्या उन्होंने कभी विधानसभा में मामला उठाया है. आगे उन्होंने समस्या के समाधान की जिम्मेवारी जिला प्रशासन पर डाल दी.

बोकारो स्टील प्लांट के यूनियन लीडर ने भी इस समस्या से होने वाली समस्या को गिनाया, परंतु निस्तारण के लिए उनके यूनियन ने कभी कड़े कदम उठाए, ऐसी कोई जानकारी उन्होंने नहीं दी. कचरा डंपिंग स्थल के भौतिक निरीक्षण के दौरान ईटीवी भारत की टीम ने वहां कचरा चुनने वाले दो गरीब लोगों से मुलाकात की. उनकी रोजी-रोटी कचरा चुनकर चलती है, लेकिन उनके स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. यह बात उन्होंने भी स्वीकार किया है.

अंत में जिले के उपायुक्त राजेश कुमार सिंह ने कहा कि कचरा निस्तारण की व्यवस्था तो बोकारो स्टील प्लांट प्रबंधन को ही करनी है. इसके लिए जिला प्रशासन दबाव बना रहा है. आने वाले तीन से चार दिनों के अंदर संयंत्र प्रबंधन और जिला प्रशासन के बीच इस समस्या के निदान को लेकर बैठक होने वाली है. उन्होंने दावा किया कि बहुत जल्द नगरवासियों को इस समस्या से निजात मिलेगी.

Last Updated : Jan 11, 2021, 6:05 PM IST
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