बोकारो: धुस्का बर्रा खाएंगे, झारखंड में बस जाएंगे. इन दिनों झारखंड में यह गीत खूब चल रहा है. यह धुस्का बर्रा के स्वाद का ही जादू है कि लोग इसके स्वाद को हमेशा पाने की चाहत में दूसरे राज्यों से झारखंड में बस जाना चाहते हैं. हालांकि, इंटरनेशनल लिट्टी चोखा की तरह यह विश्व प्रसिद्ध नहीं पाया है, लेकिन स्वाद में लिट्टी चोखा से किसी तरह कमतर नहीं है.
हम बात कर रहे हैं झारखंड के स्थानीय व्यंजन धुस्का की, जिसे यहां के लोग खासकर गांव और कस्बों के लोग बड़े चाव से खाते हैं. यह उनका पसंदीदा नाश्ता है या कहें तो धुस्का समोसे और कचोरी का इन क्षेत्रों में पर्याय है. लोग इसके अद्भुत स्वाद के मुरीद होते हैं. यही वजह की जो एक बार इसका स्वाद ले ले वह बार-बार इसे खाना चाहेगा.
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धुस्का नाम में ही देसीपन का एहसास होता है और इसके सौ प्रतिशत देसी होने का गारंटी भी है, लेकिन दावा है कि अगर एकबार विदेशी भी इसे खा ले तो पिज्जा, बर्गर और सैंडविच का स्वाद भूल जाए. धुस्का चावल और दाल के मिश्रण से बनता है. एक समान अनुपात में चावल और उड़द की दाल को भिगोकर पीसा जाता है, फिर कुछ घंटों तक इसे खमीर बनाने के लिए छोड़ दिया जाता है. उसके बाद गरम सरसों तेल में इसे तला जाता है.
धुस्का को टमाटर और लहसुन की चटनी और आलू काले चने की सब्जी के साथ खाया जाता है. लोग इसे सुबह के नाश्ते में प्रयोग करते हैं. कहा जाता है कि धुस्का एक सुपाच्य नाश्ता है. इसे खाने के बाद प्यास ज्यादा लगती है, जो कि शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है.
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इसका नाम भी लोगों के लिए अजूबा है. इसकी एक बड़ी वजह इसका सही प्रचार-प्रसार नहीं होना भी है. दूसरे राज्य के लोग अपने राज्य के व्यंजन का प्रचार-प्रसार करते हैं उस तरह झारखंड के लोग इसकी चर्चा दूसरे राज्यों में नहीं करते हैं. तो वही सरकार के स्तर पर भी इसके प्रचार-प्रसार पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. जिस तरह दूसरे राज्यों के स्थानीय व्यंजन का दिल्ली समेत बड़े शहरों में फूड स्टॉल होता है. जरूरत है उस तरह का फूड स्टॉल झारखंड के इस अद्भुत स्वाद वाले व्यंजन का भी लगाया जाए. जिससे लोग झारखंड के इस अद्भुत व्यंजन के स्वाद का आनंद ले सकें.