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चास नगर निगम कचरा को कस्तूरबा विद्यालय के पास कर रहा है डंप, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

पूरे देश में स्वच्छता को लेकर विशेष अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन चास नगर निगम के अधिकारी ही इसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं. चास नगर निगम ने कचरे को कस्तूरबा विद्यालय के पास स्थित फोरलेन सड़क के किनारे पर डंप करा रहा है. यहां कचरा गिराने से आसपास का वातावरण दूषित हो रहा है.

Chas Municipal Corporation dumping garbage near school in bokaro
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Published : Aug 14, 2020, 6:30 PM IST

Updated : Aug 14, 2020, 7:21 PM IST

बोकारो: चास नगर निगम ने कचरा उठाव को लेकर जबरदस्त खेल चल रहा है. यहां कचरे को कस्तूरबा विद्यालय के पास फोरलेन सड़क के किनारे फेंक कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है लेकिन वर्त्तमान में चास नगर निगम के प्रशासक को ये कहीं से गलत नहीं लग रहा है. इनका कहना है कि कचरे से गढ्ढे को भरने का काम किया जा रहा है, जबकि जिस कंपनी को कचरा उठाव का ठेका दिया गया है, उसे इस कचरे को सैरिगेट करना है. इसे 1,200 रुपये प्रति टन के हिसाब से राशि दी जानी है लेकिन निगम से सांठ-गांठ कर इसे बिना सेरिगेट किए फेंका जा रहा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

कोरोना फैलने का बढ़ सकता है खतरा

चास नगर निगम के बोर्ड का कार्यकाल 22 जून को खत्म होने के बाद नगर निगम के प्रशासक सह अपर नगर आयुक्त शशि प्रकाश झा ने कचरा उठाव का काम 3 और कंपनी को सौंप दिया. उसके बाद से ही चास नगर निगम क्षेत्र का कचरा कस्तूरबा विद्यालय और आईटीआई कॉलेज के बगल में स्थित फोरलेन के किनारे डंप किया जा रहा है, जिस कारण वहां दुर्गंध फैला रहता है. इससे महामारी फैलने का भी खतरा उत्पन्न होता नजर आ रहा है. इसे लेकर अपर नगर आयुक्त शशि प्रकाश झा ने कहा कि इस कचरे से गड्ढे को भरने का काम किया जा रहा है.

फोरलेन के किनारे कचरा डंप

बोर्ड का कार्यकाल खत्म होते ही अपर नगर आयुक्त ने अपने पावर का इस्तेमाल करते हुए इस कंपनी को 22 जून के बाद काम करने का आदेश निर्गत कर दिया था. जानकारी के मुताबिक कंपनी को कचरा उठाव कर इसे वजन कर के कचरे का सैरिगेट भी करना है. जिसके एवज में उसे 1,200 रुपये प्रति टन के हिसाब से राशि उपलब्ध कराई जानी है लेकिन बिना जरूरी नियमों के पालन के ही कचरे को फोरलेन के किनारे डंप किया जा रहा है.

पूर्व डिप्टी मेयर ने नगर आयुक्त पर लगाया आरोप

ऐसे में चास नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर अविनाश कुमार ने सीधे तौर पर इसे कंपनी और अपर नगर आयुक्त की मिली भगत करार दिया है. उन्होंने कहा कि जब कचरा डंप करने वाले जगह की घेराबंदी निगम ने नहीं कराई तो ऐसे में आनन-फानन में इस कंपनी को कार्य कैसे करने दे दिया गया. उन्होंने कहा कि कंपनी को कचरा उठाव के साथ कचरे में मिलने वाले अलग-अलग वस्तुओं को सैरिगेट करना है. उसी का पैसा कंपनी को मिलता है, लेकिन जब कचरे को अलग ही नहीं किया जा रहा है और उसे फोरलेन किनारे महामारी फैलने के लिए फेंक दिया जा रहा है तो कंपनी को पैसा कैसे दिया जा सकता है. उन्होंने कंपनी के डोर स्टेप कचरा उठाव पर भी सवाल खड़ा करते हुए निगम के अधिकारी और कंपनी पर मिली भगत का आरोप लगाया है.

ये भी देखें- रांची: अकुशल शहरी श्रमिकों को रोजगार की गारंटी देगी सरकार, सीएम श्रमिक योजना का शुभारंभ आज

वहीं, कचरा डंप कर रहे सफाईकर्मियों का कहना है कि कंपनी और निगम के आदेश अनुसार कचरा डंप कर रहे हैं. इसके साथ ही कर्मियों ने भी माना कि जिस जगह कचड़ा डंप किया जा रहा है वह गलत है और इससे दुर्गंध भी काफी फैल रहा है. इसके अलावा कर्मियों ने कहा कि सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार का कोई सामान उपलब्ध नहीं कराया गया है.

बोकारो: चास नगर निगम ने कचरा उठाव को लेकर जबरदस्त खेल चल रहा है. यहां कचरे को कस्तूरबा विद्यालय के पास फोरलेन सड़क के किनारे फेंक कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है लेकिन वर्त्तमान में चास नगर निगम के प्रशासक को ये कहीं से गलत नहीं लग रहा है. इनका कहना है कि कचरे से गढ्ढे को भरने का काम किया जा रहा है, जबकि जिस कंपनी को कचरा उठाव का ठेका दिया गया है, उसे इस कचरे को सैरिगेट करना है. इसे 1,200 रुपये प्रति टन के हिसाब से राशि दी जानी है लेकिन निगम से सांठ-गांठ कर इसे बिना सेरिगेट किए फेंका जा रहा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

कोरोना फैलने का बढ़ सकता है खतरा

चास नगर निगम के बोर्ड का कार्यकाल 22 जून को खत्म होने के बाद नगर निगम के प्रशासक सह अपर नगर आयुक्त शशि प्रकाश झा ने कचरा उठाव का काम 3 और कंपनी को सौंप दिया. उसके बाद से ही चास नगर निगम क्षेत्र का कचरा कस्तूरबा विद्यालय और आईटीआई कॉलेज के बगल में स्थित फोरलेन के किनारे डंप किया जा रहा है, जिस कारण वहां दुर्गंध फैला रहता है. इससे महामारी फैलने का भी खतरा उत्पन्न होता नजर आ रहा है. इसे लेकर अपर नगर आयुक्त शशि प्रकाश झा ने कहा कि इस कचरे से गड्ढे को भरने का काम किया जा रहा है.

फोरलेन के किनारे कचरा डंप

बोर्ड का कार्यकाल खत्म होते ही अपर नगर आयुक्त ने अपने पावर का इस्तेमाल करते हुए इस कंपनी को 22 जून के बाद काम करने का आदेश निर्गत कर दिया था. जानकारी के मुताबिक कंपनी को कचरा उठाव कर इसे वजन कर के कचरे का सैरिगेट भी करना है. जिसके एवज में उसे 1,200 रुपये प्रति टन के हिसाब से राशि उपलब्ध कराई जानी है लेकिन बिना जरूरी नियमों के पालन के ही कचरे को फोरलेन के किनारे डंप किया जा रहा है.

पूर्व डिप्टी मेयर ने नगर आयुक्त पर लगाया आरोप

ऐसे में चास नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर अविनाश कुमार ने सीधे तौर पर इसे कंपनी और अपर नगर आयुक्त की मिली भगत करार दिया है. उन्होंने कहा कि जब कचरा डंप करने वाले जगह की घेराबंदी निगम ने नहीं कराई तो ऐसे में आनन-फानन में इस कंपनी को कार्य कैसे करने दे दिया गया. उन्होंने कहा कि कंपनी को कचरा उठाव के साथ कचरे में मिलने वाले अलग-अलग वस्तुओं को सैरिगेट करना है. उसी का पैसा कंपनी को मिलता है, लेकिन जब कचरे को अलग ही नहीं किया जा रहा है और उसे फोरलेन किनारे महामारी फैलने के लिए फेंक दिया जा रहा है तो कंपनी को पैसा कैसे दिया जा सकता है. उन्होंने कंपनी के डोर स्टेप कचरा उठाव पर भी सवाल खड़ा करते हुए निगम के अधिकारी और कंपनी पर मिली भगत का आरोप लगाया है.

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वहीं, कचरा डंप कर रहे सफाईकर्मियों का कहना है कि कंपनी और निगम के आदेश अनुसार कचरा डंप कर रहे हैं. इसके साथ ही कर्मियों ने भी माना कि जिस जगह कचड़ा डंप किया जा रहा है वह गलत है और इससे दुर्गंध भी काफी फैल रहा है. इसके अलावा कर्मियों ने कहा कि सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार का कोई सामान उपलब्ध नहीं कराया गया है.

Last Updated : Aug 14, 2020, 7:21 PM IST
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