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चाईबासा: हाथियों के उत्पात से उजड़े कई घर, वर्षों बीत जाने के बाद भी नहीं मिला मुआवजा - हाथी का उत्पात

पश्चिम सिंहभूम में हाथियों के उत्पात के बाद ग्रामीणों को मुआवजा नहीं मिला है. मुआवजे के प्रावधानों की जानकारी नहीं होने के कारण वर्षों बीत जाने के बाद भी अब तक ग्रामीण मुआवजा से वंचित हैं.

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Published : Jun 22, 2019, 12:49 PM IST

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम में हाथियों के उत्पात के बाद ग्रामीणों को मुआवजा नहीं मिला है. मुआवजे के प्रावधानों की जानकारी नहीं होने के कारण वर्षों बीत जाने के बाद भी अब तक ग्रामीण मुआवजा से वंचित हैं. विभाग के कर्मचारियों द्वारा भी ग्रामीणों को मुआवजे दिलाने को लेकर किसी भी प्रकार की जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाया जा रहा है.

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इससे बड़ी विडंबना ग्रामीणों के लिए और क्या हो सकती है कि हाथियों के द्वारा हर साल क्षेत्र में निवास करने वाले सैकड़ों ग्रामीणों का नुकसान होता है उसके बावजूद भी ग्रामीणों को वन विभाग के द्वारा मुआवजा नहीं दिया जाता है. हाथियों के उत्पात से पश्चिम सिंहभूम जिले के ग्रामीणों को हमेशा नुकसान उठाना पड़ता है. उसके बावजूद वन विभाग उनके साथ मुआवजे के नाम पर मात्र खानापूर्ति और औपचारिकता निभा कर छोड़ देते हैं.


पिछले 5 वर्षों से तांतनगर प्रखंड अंतर्गत अंगारडीहा पंचायत के ग्रामीण हाथियों के कहर का शिकार होते रहे हैं. हाथियों ने अंगरडीहा पंचायत के कई गांव में उत्पात मचाते हुए कई ग्रामीणों के मकान एवं अनाजों की क्षति पहुंचाई है, लेकिन कुछ ग्रामीणों को तत्काल मुआवजा राशि उपलब्ध करवाने के बाद वन विभाग के अधिकारी शिथिल पड़ गए. ग्रामीणों को हाथियों के कहर का शिकार होने के बाद मिलने वाले मुआवजे के प्रावधानों की जानकारी नहीं होने के कारण ग्रामीण वन विभाग से मुआवजे की रकम नहीं ले पाते हैं.

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम में हाथियों के उत्पात के बाद ग्रामीणों को मुआवजा नहीं मिला है. मुआवजे के प्रावधानों की जानकारी नहीं होने के कारण वर्षों बीत जाने के बाद भी अब तक ग्रामीण मुआवजा से वंचित हैं. विभाग के कर्मचारियों द्वारा भी ग्रामीणों को मुआवजे दिलाने को लेकर किसी भी प्रकार की जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाया जा रहा है.

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इससे बड़ी विडंबना ग्रामीणों के लिए और क्या हो सकती है कि हाथियों के द्वारा हर साल क्षेत्र में निवास करने वाले सैकड़ों ग्रामीणों का नुकसान होता है उसके बावजूद भी ग्रामीणों को वन विभाग के द्वारा मुआवजा नहीं दिया जाता है. हाथियों के उत्पात से पश्चिम सिंहभूम जिले के ग्रामीणों को हमेशा नुकसान उठाना पड़ता है. उसके बावजूद वन विभाग उनके साथ मुआवजे के नाम पर मात्र खानापूर्ति और औपचारिकता निभा कर छोड़ देते हैं.


पिछले 5 वर्षों से तांतनगर प्रखंड अंतर्गत अंगारडीहा पंचायत के ग्रामीण हाथियों के कहर का शिकार होते रहे हैं. हाथियों ने अंगरडीहा पंचायत के कई गांव में उत्पात मचाते हुए कई ग्रामीणों के मकान एवं अनाजों की क्षति पहुंचाई है, लेकिन कुछ ग्रामीणों को तत्काल मुआवजा राशि उपलब्ध करवाने के बाद वन विभाग के अधिकारी शिथिल पड़ गए. ग्रामीणों को हाथियों के कहर का शिकार होने के बाद मिलने वाले मुआवजे के प्रावधानों की जानकारी नहीं होने के कारण ग्रामीण वन विभाग से मुआवजे की रकम नहीं ले पाते हैं.

Intro:चाईबासा। पश्चिम सिंहभूम जिले में हाथियों के उत्पात के बाद ग्रामीणों को मुआवजे के प्रावधानों की जानकारी नहीं होने के कारण वर्षों बीत जाने के बाद भी अब तक मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा भी ग्रामीणों को मुआवजे दिलाने को लेकर किसी भी प्रकार की जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाया जा रहा है। जिससे कि ग्रामीण हाथियों के उत्पात से हुई क्षति के एवज में प्रावधानों के अनुसार मिलने वाले मुआवजे का लाभ ले सकें। इससे बड़ी विडंबना ग्रामीणों के लिए और क्या हो सकती है की हाथियों के द्वारा प्रत्येक वर्ष क्षेत्र में निवास करने वाले सैकड़ों ग्रामीणों के घरों एवं उनके अनाज आदि का नुकसान निरंतर करते रहे हैं उसके बावजूद भी ग्रामीणों को वन विभाग के द्वारा मिलने वाले मुआवजे की जानकारी नहीं होने के कारण जिले के सैकड़ों ग्रामीणों को अब तक मुआवजा नहीं मिल सका है।


Body:हाथियों के उत्पात से पश्चिम सिंहभूम जिले के ग्रामीणों को हमेशा नुकसान उठाना पड़ता है उसके बावजूद वन विभाग उनके साथ मुआवजे के नाम पर मात्र खानापूर्ति और औपचारिकता निभा कर छोड़ देते हैं।

पिछले 5 वर्षों से जिले के तांतनगर प्रखंड अंतर्गत अंगारडीहा पंचायत के ग्रामीण हाथियों के कहर का शिकार होते रहे हैं। हाथियों ने अंगरडीहा पंचायत के कई गांव में उत्पात मचाते हुए कई ग्रामीणों के मकान एवं अनाजों की क्षति पहुंचाई है। परंतु कुछ ग्रामीणों को तत्काल मुआवजा राशि उपलब्ध करवाने के बाद वन विभाग के अधिकारी शिथिल पड़ गए हैं जिस कारण ग्रामीणों को अब तक मुआवजा नहीं मिल सका है।

ग्रामीणों को हाथियों के कहर का शिकार होने के बाद मिलने वाले मुआवजे के प्रावधानों की जानकारी नहीं होने के कारण ग्रामीण वन विभाग से मुआवजे की रकम नहीं ले पाते हैं। इसके साथ ही वन विभाग के द्वारा ग्रामीणों को मुआवजे की रकम दिलाने को लेकर भी अब तक किसी भी प्रकार का जागरूकता कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं चलाया जा रहा है जिस कारण ग्रामीणों को इसकी जानकारी नहीं है।

ग्रामीण घनश्याम आल्डा बताते हैं कि हाथियों के द्वारा कुछ माह पूर्व उनके घर को तोड़ दिया गया था। परंतु वन विभाग के द्वारा तत्काल 5 हजार रुपए मात्र दिया गया। उसके बाद से उन्हें वन विभाग के द्वारा मिलने वाला मुआवजे की जानकारी नहीं होने के कारण अब तक उन्हें मुआवजे की राशि नहीं मिल पाई है।

अंगरडीहा पंचायत की मुखिया सकुन्तला कुई बताती है कि हमारा गांव पिछले 5 वर्षों से हाथियों के कहर का शिकार है। हाथियों का झुंड प्रत्येक वर्ष उनके गांव में आकर ग्रामीणों का नुकसान करते रहा है उसके बावजूद भी ग्रामीणों को अब तक मुआवजा नहीं मिल सका है। हाथियों के द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने की की सूचना वन विभाग को उन्होंने दी थी साथ ही लिखित जानकारी भी दी है वन विभाग के कर्मचारी उनके गांव में भी आते हैं परंतु ग्रामीणों को मुआवजा लेने के प्रावधानों की जानकारी नहीं देते हैं।

चाईबासा डीएफओ की माने तो हाथियों के कहर से हुए नुकसान को लेकर वन विभाग भी दुखी है इस तरह की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए वन विभाग पूरी तरह से तैयारी कर रही है सरकार के द्वारा उपलब्ध कराए गए क्विक रिस्पांस टीम को हाथियों को भगाने के काम में लगाया गया है। इसके साथ ही जमशेदपुर से भी एक टीम को बुलाया गया है हाथियों की पूरी मॉनिटरिंग की जा रही है। इसके अलावा ग्रामीणों को हम लोग जागरुक भी कर रहे हैं कि हाथियों के झुंड को जब भी देखें तो उन्हें ना छेड़े और उनके पास ना जाए। इसके साथ ही वन विभाग के द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है कि क्या करें और क्या ना करें। हाथियों के द्वारा हुए नुकसान को लेकर प्रावधान के अनुसार ग्रामीणों को जल्द ही मुआवजा दे दिया जाएगा।



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