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जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के वेतन पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक - झारखंड हाई कोर्ट

झारखंड हाई कोर्ट ने जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह के वेतन पर रोक लगाई है. झारखंड हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त लाभ नहीं देने के एक मामले में सुनवाई करते हुए जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के वेतन पर रोक लगा दी. मामले पर सुनवाई के दौरान सचिव के वेतन पर रोक लगाते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

फाइल फोटो
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Published : May 15, 2019, 11:27 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह के वेतन पर रोक लगाई है. झारखंड हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त लाभ नहीं देने के एक मामले में सुनवाई करते हुए जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के वेतन पर रोक लगा दी.


इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश अनंत सेन की अदालत में हुई. अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि जब तक अदालत कोई सख्त आदेश नहीं देती तब तक राज्य के अधिकारियों की नींद नहीं खुलती है. अदालत ने 6 साल पहले सेवानिवृत्त हुए कनीय अभियंता समरेंद्र कुमार श्रीवास्तव को पेंशन और ग्रेजुएटी का भुगतान नहीं देने के मामले पर सुनवाई के दौरान सचिव के वेतन पर रोक लगाते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.


अदालत ने पहले भी सभी बकाया भुगतान करने का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक भुगतान नहीं किए जाने पर अदालत ने सचिव के वेतन पर रोक लगाया है. प्रार्थी की नियुक्ति वर्ष 1979 में हुई थी. करीब 30 वर्ष सेवा देने के बाद वह 28 फरवरी 2013 को सेवानिवृत्त हुए. सेवानिवृत्त के बाद उनको पैंशन का निर्धारित नहीं हुआ तो उन्होंने 2017 को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.


झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार पर नाराजगी जताते हुए सरकार की वकील से पेंशन भुगतान नहीं किए जाने का कारण पूछा, लेकिन सरकार की ओर से स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा सकी जिस पर सरकार ने जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के वेतन पर अगले आदेश तक रोक लगाते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह के वेतन पर रोक लगाई है. झारखंड हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त लाभ नहीं देने के एक मामले में सुनवाई करते हुए जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के वेतन पर रोक लगा दी.


इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश अनंत सेन की अदालत में हुई. अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि जब तक अदालत कोई सख्त आदेश नहीं देती तब तक राज्य के अधिकारियों की नींद नहीं खुलती है. अदालत ने 6 साल पहले सेवानिवृत्त हुए कनीय अभियंता समरेंद्र कुमार श्रीवास्तव को पेंशन और ग्रेजुएटी का भुगतान नहीं देने के मामले पर सुनवाई के दौरान सचिव के वेतन पर रोक लगाते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.


अदालत ने पहले भी सभी बकाया भुगतान करने का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक भुगतान नहीं किए जाने पर अदालत ने सचिव के वेतन पर रोक लगाया है. प्रार्थी की नियुक्ति वर्ष 1979 में हुई थी. करीब 30 वर्ष सेवा देने के बाद वह 28 फरवरी 2013 को सेवानिवृत्त हुए. सेवानिवृत्त के बाद उनको पैंशन का निर्धारित नहीं हुआ तो उन्होंने 2017 को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.


झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार पर नाराजगी जताते हुए सरकार की वकील से पेंशन भुगतान नहीं किए जाने का कारण पूछा, लेकिन सरकार की ओर से स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा सकी जिस पर सरकार ने जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के वेतन पर अगले आदेश तक रोक लगाते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

Intro:झारखंड हाई कोर्ट ने जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह के वेतन पर रोक लगाई है। झारखंड हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त लाभ नहीं देने के एक मामले में सुनवाई करते हुए जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के वेतन पर रोक लगाई दी । मामले की सुनवाई न्यायाधीश अनंत सेन की अदालत में हुई। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि जब तक अदालत कोई सख्त आदेश नहीं देती तब तक राज्य के अधिकारियों की नींद नहीं खुलती है


Body:अदालत ने 6 साल पहले सेवानिवृत्त हुए कनीय अभियंता समरेंद्र कुमार श्रीवास्तव को पेंशन और ग्रेजुएटी का भुगतान नहीं देने के मामले पर सुनवाई के दौरान अदालत ने सचिव के वेतन पर रोक लगाते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है अदालत ने पूर्व में सभी बकाया भुगतान करने का निर्देश दिया था लेकिन अब तक भुगतान नहीं किए जाने पर अदालत ने सचिव के वेतन पर रोक लगाया है प्रार्थी की नियुक्ति वर्ष 1979 में हुई थी करीब 30 वर्ष सेवा देने के बाद वह 28 फरवरी 2013 को सेवानिवृत्त हुए । सेवानिवृत्त के बाद उनको पैशन का निर्धारित नहीं हुआ तो उन्होंने 2017 को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की


Conclusion:झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार पर नाराजगी जताते हुए सरकार की वकील से पेंशन भुगतान नहीं किए जाने का कारण पूछा लेकिन सरकार की ओर से स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा सकी जिस पर सरकार ने जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव के वेतन पर अगले आदेश तक रोक लगाते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है
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