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आदिवासियों को उनका अधिकार बताएगी फिल्म 'ये धरती हमारी', निर्माता आर. नारायण मूर्ति से ईटीवी भारत की खास बातचीत - FILM YEH DHARTI HAMARI

झारखंड में फिल्म 'ये धरती हमारी' रिलीज होने जा रही है. इसमें आदिवासियों के अधिकार और जल, जंगल, जमीन की लड़ाई को दिखाया गया है.

FILM YEH DHARTI HAMARI
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 9 hours ago

Updated : 12 minutes ago

रांची: भारतीय संविधान ने आदिवासियों को कई अधिकार दिए हैं. अलग-अलग राज्यों ने भी इस समाज की रक्षा के लिए कई कानून बनाए हैं. इसके बावजूद आदिवासियों का शोषण हो रहा है. विकास के नाम पर जल, जंगल और जमीन से बेदखल किया जा रहा है. लिहाजा, आदिवासी समाज को संविधान से मिले अधिकार से परिचित कराने के लिए चर्चित तेलुगू फिल्म निर्माता आर.नारायण मूर्ति ने 'ये धरती हमारी ' नाम से एक फिल्म बनाई है.

इस फिल्म को झारखंड के आठ शहरों में 8 फरवरी को रिलीज किया जाएगा. फिल्म के निर्देशक आर.नारायण मूर्ति से ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने खास बातचीत की. उन्होंने इस फिल्म की खासियत और उद्देश्य से जुड़े सवालों का बेबाकी से जवाब दिया.

फिल्म निर्माता आर नारायण मूर्ति से खास बातचीत करते ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह (ईटीवी भारत)

सवाल: आदिवासियों के अधिकार पर आधारित फिल्म 'ये धरती हमारी' की शूटिंग कहां हुई है और झारखंड में क्यों रिलीज करना चाह रहे हैं?

आर.नारायण मूर्ति का जवाब - इस फिल्म को झारखंड में इसलिए रिलीज किया जा रहा है क्योंकि यह फिल्म आदिवासियों के हक पर आधारित है. झारखंड आदिवासियों की भूमि है. यह भगवान बिरसा मुंडा का क्षेत्र है. भगवान बिरसा मुंडा से प्रेरणा लेकर सबसे पहले झारखंड में रिलीज करने की तैयारी की गई है.

सवाल: आपने आदिवासियों के अधिकार पर फोकस करते हुए फिल्म क्यों तैयार की, आदिवासियों की कौन सी बात आपको प्रभावित करती है?

आर.नारायण मूर्ति का जवाब- मेरा मानना है कि इस धरती पर अगर कोई असली बुद्धिस्ट है तो वो आदिवासी हैं. वो कभी धनी बनने की लालसा नहीं रखते. वे किसी को लूटने में विश्वास नहीं करते. वे सिर्फ शांति चाहते हैं. उनके लिए दो वक्त का भोजन काफी होता है. हमारे संविधान ने आदिवासियों की रक्षा के लिए कई अधिकार दिए हैं. फिर भी विकास के नाम पर उनका शोषण हो रहा है. उनकी जमीन लूटी जा रही है. इसलिए इस फिल्म में आदिवासी समाज के संघर्ष को दिखाया गया है.

सवाल: शिबू सोरेन ने आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ी है. क्या आप उनके बारे में जानते हैं?

आर.नारायण मूर्ति का जवाब - मैं शिबू सोरेन जी के नाम से वाकिफ हूं. उन्होंने आदिवासियों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है. मेरी मुलाकात राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी से भी हुई है. मैंने उनको 'ये धरती हमारी' फिल्म देखने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि वो इस फिल्म को जरूर देखेंगे और राज्यवासियों से फिल्म देखने की अपील भी करेंगे.

सवाल: आदिवासी समाज के अधिकार की रक्षा के लिए सरकारों को और क्या करना चाहिए?

आर.नारायण मूर्ति का जवाब - मेरा किसी भी पार्टी से कोई संबंध नहीं है. मैं सिर्फ संविधान में विश्वास करता हूं. बाबा साहेब ने एसटी, एससी समाज को संवैधानिक अधिकार दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. एक फिल्म निर्माता होने के नाते मेरा सभी राज्य सरकारों से आग्रह है कि आदिवासियों को उनका संवैधानिक अधिकार दें. विकास के नाम पर उनको जल, जंगल, जमीन से बेदखल किया जा रहा है. आदिवासी ही असली धरती पुत्र हैं. उनकी रक्षा होनी चाहिए.

फिल्म 'ये धरती हमारी' के बारे में

यह फिल्म तिरुमला तिरुपति वेंकटेश्वरा के बैनर तले बनी है. इसके प्रोड्यूसर सी.एच.पद्मावति हैं. आर.नारायण मूर्ति ने खुद स्टोरी लिखी है. स्क्रीन प्ले और डायरेक्शन भी दिया है. रांची निवासी नवाब आरजू ने फिल्म का डायलॉग लिखा है. इस फिल्म में टीनू आनंद, गूफी पेंटल, फुरकान अहमद (रांची), नवाब आरजू, निशा परलोकर ने अलग-अलग किरदार निभाए हैं. फिल्म की शूटिंग महाराष्ट्र में हुई है. म्यूजिक डायरेक्टर वंदे मातरम् श्रीनिवास हैं. छह गीतों को उदित नारायण, कुमार सानू, विनोद राठौर और अल्का याज्ञनिक ने अपने सुरों से सजाया है. फिल्म की एडिटिंग मोहन रामाराव और फोटोग्राफी डी. वीराराजू ने की है.

कौन हैं आर.नारायण मूर्ति

आर.नारायण मूर्ति मूल रूप से आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं. हैदराबाद उनकी कर्मभूमि है. इन्होंने 30 तेलुगू फिल्में बनायी है. 1984 से फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हैं. इनकी सभी फिल्में समसामयिक मुद्दों पर आधारित रही हैं. अपनी फिल्मों के जरिए समाज को जागरूक करने की कोशिश करते हैं. आर.नारायण मूर्ति को दक्षिण भारत का मनोज कुमार भी कहा जाता है. उन्होंने कई तेलुगू फिल्मों में अभिनय किया है. जिनमें अर्धरात्रि स्वतंत्रम, लाल सलाम, ढंडोरा, एर्रा सैंयम, चीमाला दांडू, चीकाती सुर्युडु, वुरु मनादिरा जैसी फिल्में शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: नागपुरी फिल्म खोटा सिक्का फन अनलिमिटेड को लेकर दर्शकों का इंतजार खत्म, 19 जुलाई को फिल्म होगी रिलीज

सीएम हेमंत सोरेन से मिली फिल्म नासूर की टीम, कई मुद्दों पर समर्थन का दिया भरोसा, एक्टर-डायरेक्टर ने कहा

रांची: भारतीय संविधान ने आदिवासियों को कई अधिकार दिए हैं. अलग-अलग राज्यों ने भी इस समाज की रक्षा के लिए कई कानून बनाए हैं. इसके बावजूद आदिवासियों का शोषण हो रहा है. विकास के नाम पर जल, जंगल और जमीन से बेदखल किया जा रहा है. लिहाजा, आदिवासी समाज को संविधान से मिले अधिकार से परिचित कराने के लिए चर्चित तेलुगू फिल्म निर्माता आर.नारायण मूर्ति ने 'ये धरती हमारी ' नाम से एक फिल्म बनाई है.

इस फिल्म को झारखंड के आठ शहरों में 8 फरवरी को रिलीज किया जाएगा. फिल्म के निर्देशक आर.नारायण मूर्ति से ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने खास बातचीत की. उन्होंने इस फिल्म की खासियत और उद्देश्य से जुड़े सवालों का बेबाकी से जवाब दिया.

फिल्म निर्माता आर नारायण मूर्ति से खास बातचीत करते ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह (ईटीवी भारत)

सवाल: आदिवासियों के अधिकार पर आधारित फिल्म 'ये धरती हमारी' की शूटिंग कहां हुई है और झारखंड में क्यों रिलीज करना चाह रहे हैं?

आर.नारायण मूर्ति का जवाब - इस फिल्म को झारखंड में इसलिए रिलीज किया जा रहा है क्योंकि यह फिल्म आदिवासियों के हक पर आधारित है. झारखंड आदिवासियों की भूमि है. यह भगवान बिरसा मुंडा का क्षेत्र है. भगवान बिरसा मुंडा से प्रेरणा लेकर सबसे पहले झारखंड में रिलीज करने की तैयारी की गई है.

सवाल: आपने आदिवासियों के अधिकार पर फोकस करते हुए फिल्म क्यों तैयार की, आदिवासियों की कौन सी बात आपको प्रभावित करती है?

आर.नारायण मूर्ति का जवाब- मेरा मानना है कि इस धरती पर अगर कोई असली बुद्धिस्ट है तो वो आदिवासी हैं. वो कभी धनी बनने की लालसा नहीं रखते. वे किसी को लूटने में विश्वास नहीं करते. वे सिर्फ शांति चाहते हैं. उनके लिए दो वक्त का भोजन काफी होता है. हमारे संविधान ने आदिवासियों की रक्षा के लिए कई अधिकार दिए हैं. फिर भी विकास के नाम पर उनका शोषण हो रहा है. उनकी जमीन लूटी जा रही है. इसलिए इस फिल्म में आदिवासी समाज के संघर्ष को दिखाया गया है.

सवाल: शिबू सोरेन ने आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ी है. क्या आप उनके बारे में जानते हैं?

आर.नारायण मूर्ति का जवाब - मैं शिबू सोरेन जी के नाम से वाकिफ हूं. उन्होंने आदिवासियों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है. मेरी मुलाकात राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी से भी हुई है. मैंने उनको 'ये धरती हमारी' फिल्म देखने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि वो इस फिल्म को जरूर देखेंगे और राज्यवासियों से फिल्म देखने की अपील भी करेंगे.

सवाल: आदिवासी समाज के अधिकार की रक्षा के लिए सरकारों को और क्या करना चाहिए?

आर.नारायण मूर्ति का जवाब - मेरा किसी भी पार्टी से कोई संबंध नहीं है. मैं सिर्फ संविधान में विश्वास करता हूं. बाबा साहेब ने एसटी, एससी समाज को संवैधानिक अधिकार दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. एक फिल्म निर्माता होने के नाते मेरा सभी राज्य सरकारों से आग्रह है कि आदिवासियों को उनका संवैधानिक अधिकार दें. विकास के नाम पर उनको जल, जंगल, जमीन से बेदखल किया जा रहा है. आदिवासी ही असली धरती पुत्र हैं. उनकी रक्षा होनी चाहिए.

फिल्म 'ये धरती हमारी' के बारे में

यह फिल्म तिरुमला तिरुपति वेंकटेश्वरा के बैनर तले बनी है. इसके प्रोड्यूसर सी.एच.पद्मावति हैं. आर.नारायण मूर्ति ने खुद स्टोरी लिखी है. स्क्रीन प्ले और डायरेक्शन भी दिया है. रांची निवासी नवाब आरजू ने फिल्म का डायलॉग लिखा है. इस फिल्म में टीनू आनंद, गूफी पेंटल, फुरकान अहमद (रांची), नवाब आरजू, निशा परलोकर ने अलग-अलग किरदार निभाए हैं. फिल्म की शूटिंग महाराष्ट्र में हुई है. म्यूजिक डायरेक्टर वंदे मातरम् श्रीनिवास हैं. छह गीतों को उदित नारायण, कुमार सानू, विनोद राठौर और अल्का याज्ञनिक ने अपने सुरों से सजाया है. फिल्म की एडिटिंग मोहन रामाराव और फोटोग्राफी डी. वीराराजू ने की है.

कौन हैं आर.नारायण मूर्ति

आर.नारायण मूर्ति मूल रूप से आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं. हैदराबाद उनकी कर्मभूमि है. इन्होंने 30 तेलुगू फिल्में बनायी है. 1984 से फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हैं. इनकी सभी फिल्में समसामयिक मुद्दों पर आधारित रही हैं. अपनी फिल्मों के जरिए समाज को जागरूक करने की कोशिश करते हैं. आर.नारायण मूर्ति को दक्षिण भारत का मनोज कुमार भी कहा जाता है. उन्होंने कई तेलुगू फिल्मों में अभिनय किया है. जिनमें अर्धरात्रि स्वतंत्रम, लाल सलाम, ढंडोरा, एर्रा सैंयम, चीमाला दांडू, चीकाती सुर्युडु, वुरु मनादिरा जैसी फिल्में शामिल हैं.

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