देवघर: आप जमकर होली खेलना चाहते हैं, लेकिन केमिकल युक्त रंग और गुलाल के डर से होली से परहेज करते हैं तो बाबा नगरी आ जाइए. देवघर का बाजार आपको होली का फुल मजा देने के लिए तैयार है. बाजार में लगातार केमिकल युक्त रंग और गुलाल आ जाने के बाद स्थानीय लोगों द्वारा इसकी कम खरीदारी की जा रही थी. कुछ कुटीर उद्योगों ने हर्बल गुलाल बनाना शुरू किया तो अचानक गुलाल का बाजार डिमांड पर आ गया. अब हालात ऐसे हैं कि बाजार में ज्यादातर जगह है सिर्फ हर्बल प्रोडक्ट ही मिल रहा है.
यह थोड़े महंगे जरूर होते हैं, लेकिन डिमांड काफी ज्यादा है. देवघर में बसंत पंचमी के दिन भोले को तिलक चढ़ाने के साथ ही होली की परंपराएं शुरू हो जाती है और होली के एक दिन पहले हरि और हर का मिलन होता है, जिसमें बाबा भोले को अबीर चढ़ाया जाता है. उसके बाद ही लोग अपने घरों में होली मनाते हैं. ऐसे में कहा जाता है कि देवघर में गुलाल की खपत सिर्फ होली में ही नहीं बल्कि पूरे साल सबसे ज्यादा रहती है.
कुटीर उद्योग ने स्थानीय लोगों के इस नब्ज को पकड़ा भी और आज कई ऐसी छोटी-बड़ी कुटीर उद्योग देवघर में है जो सिर्फ हर्बल गुलाल ही बना रही है. कभी एक दौर था जब डिमांड के बावजूद यह कुटीर उद्योग हाथों से हर्बल गुलाल बनाते थे, जिससे मांगें पूरी नहीं हो पाती थी. आज मशीनों के द्वारा हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. जिसकी डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. कुटीर उद्योग के मालिक की मानें तो हर्बल गुलाल का क्रेज बढ़ा है. इससे चेहरे पर किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता.
देवघर में होली की खुमारी और बाजार में रंग-बिरंगे होली के प्रोडक्ट आपको होली फुल मस्ती के साथ कराने के लिए तैयार है. स्थानीय लोगों की मानें तो बाजार में हर्बल गुलाल आ जाने से इनकी होली की मस्ती बढ़ गई है. जो लोग होली नहीं खेलते थे सिर्फ रंगों के डर से आज वह जमकर होली खेलने को तैयार है. इनकी मानें तो लोगों को हर्बल होली ही खेलनी चाहिए. इससे पानी की बचत तो होती ही है साथ ही चेहरे पर किसी तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं होता है.