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होली: इस गुलाल से बदरंग नहीं होंगी आपकी स्किन, चंद सेकंड में यूं साफ हो जाएगा चेहरा

आप जमकर होली खेलना चाहते हैं, लेकिन केमिकल युक्त रंग और गुलाल के डर से होली से परहेज करते हैं तो बाबा नगरी आ जाइए. देवघर का बाजार आपको होली का फुल मजा देने के लिए तैयार है. बाजार में लगातार केमिकल युक्त रंग और गुलाल आ जाने के बाद स्थानीय लोगों द्वारा इसकी कम खरीदारी की जा रही थी. कुछ कुटीर उद्योगों ने हर्बल गुलाल बनाना शुरू किया तो अचानक गुलाल का बाजार डिमांड पर आ गया. अब हालात ऐसे हैं कि बाजार में ज्यादातर जगह है सिर्फ हर्बल प्रोडक्ट ही मिल रहा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी
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Published : Mar 19, 2019, 11:55 AM IST

देवघर: आप जमकर होली खेलना चाहते हैं, लेकिन केमिकल युक्त रंग और गुलाल के डर से होली से परहेज करते हैं तो बाबा नगरी आ जाइए. देवघर का बाजार आपको होली का फुल मजा देने के लिए तैयार है. बाजार में लगातार केमिकल युक्त रंग और गुलाल आ जाने के बाद स्थानीय लोगों द्वारा इसकी कम खरीदारी की जा रही थी. कुछ कुटीर उद्योगों ने हर्बल गुलाल बनाना शुरू किया तो अचानक गुलाल का बाजार डिमांड पर आ गया. अब हालात ऐसे हैं कि बाजार में ज्यादातर जगह है सिर्फ हर्बल प्रोडक्ट ही मिल रहा है.

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यह थोड़े महंगे जरूर होते हैं, लेकिन डिमांड काफी ज्यादा है. देवघर में बसंत पंचमी के दिन भोले को तिलक चढ़ाने के साथ ही होली की परंपराएं शुरू हो जाती है और होली के एक दिन पहले हरि और हर का मिलन होता है, जिसमें बाबा भोले को अबीर चढ़ाया जाता है. उसके बाद ही लोग अपने घरों में होली मनाते हैं. ऐसे में कहा जाता है कि देवघर में गुलाल की खपत सिर्फ होली में ही नहीं बल्कि पूरे साल सबसे ज्यादा रहती है.
कुटीर उद्योग ने स्थानीय लोगों के इस नब्ज को पकड़ा भी और आज कई ऐसी छोटी-बड़ी कुटीर उद्योग देवघर में है जो सिर्फ हर्बल गुलाल ही बना रही है. कभी एक दौर था जब डिमांड के बावजूद यह कुटीर उद्योग हाथों से हर्बल गुलाल बनाते थे, जिससे मांगें पूरी नहीं हो पाती थी. आज मशीनों के द्वारा हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. जिसकी डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. कुटीर उद्योग के मालिक की मानें तो हर्बल गुलाल का क्रेज बढ़ा है. इससे चेहरे पर किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता.


देवघर में होली की खुमारी और बाजार में रंग-बिरंगे होली के प्रोडक्ट आपको होली फुल मस्ती के साथ कराने के लिए तैयार है. स्थानीय लोगों की मानें तो बाजार में हर्बल गुलाल आ जाने से इनकी होली की मस्ती बढ़ गई है. जो लोग होली नहीं खेलते थे सिर्फ रंगों के डर से आज वह जमकर होली खेलने को तैयार है. इनकी मानें तो लोगों को हर्बल होली ही खेलनी चाहिए. इससे पानी की बचत तो होती ही है साथ ही चेहरे पर किसी तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं होता है.

देवघर: आप जमकर होली खेलना चाहते हैं, लेकिन केमिकल युक्त रंग और गुलाल के डर से होली से परहेज करते हैं तो बाबा नगरी आ जाइए. देवघर का बाजार आपको होली का फुल मजा देने के लिए तैयार है. बाजार में लगातार केमिकल युक्त रंग और गुलाल आ जाने के बाद स्थानीय लोगों द्वारा इसकी कम खरीदारी की जा रही थी. कुछ कुटीर उद्योगों ने हर्बल गुलाल बनाना शुरू किया तो अचानक गुलाल का बाजार डिमांड पर आ गया. अब हालात ऐसे हैं कि बाजार में ज्यादातर जगह है सिर्फ हर्बल प्रोडक्ट ही मिल रहा है.

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यह थोड़े महंगे जरूर होते हैं, लेकिन डिमांड काफी ज्यादा है. देवघर में बसंत पंचमी के दिन भोले को तिलक चढ़ाने के साथ ही होली की परंपराएं शुरू हो जाती है और होली के एक दिन पहले हरि और हर का मिलन होता है, जिसमें बाबा भोले को अबीर चढ़ाया जाता है. उसके बाद ही लोग अपने घरों में होली मनाते हैं. ऐसे में कहा जाता है कि देवघर में गुलाल की खपत सिर्फ होली में ही नहीं बल्कि पूरे साल सबसे ज्यादा रहती है.
कुटीर उद्योग ने स्थानीय लोगों के इस नब्ज को पकड़ा भी और आज कई ऐसी छोटी-बड़ी कुटीर उद्योग देवघर में है जो सिर्फ हर्बल गुलाल ही बना रही है. कभी एक दौर था जब डिमांड के बावजूद यह कुटीर उद्योग हाथों से हर्बल गुलाल बनाते थे, जिससे मांगें पूरी नहीं हो पाती थी. आज मशीनों के द्वारा हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. जिसकी डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. कुटीर उद्योग के मालिक की मानें तो हर्बल गुलाल का क्रेज बढ़ा है. इससे चेहरे पर किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता.


देवघर में होली की खुमारी और बाजार में रंग-बिरंगे होली के प्रोडक्ट आपको होली फुल मस्ती के साथ कराने के लिए तैयार है. स्थानीय लोगों की मानें तो बाजार में हर्बल गुलाल आ जाने से इनकी होली की मस्ती बढ़ गई है. जो लोग होली नहीं खेलते थे सिर्फ रंगों के डर से आज वह जमकर होली खेलने को तैयार है. इनकी मानें तो लोगों को हर्बल होली ही खेलनी चाहिए. इससे पानी की बचत तो होती ही है साथ ही चेहरे पर किसी तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं होता है.

Intro:एंकर देवघर की होली खास होती है यहां बसंत पंचमी से ही होली की शुरुआत हो जाती है बाबा भोले को अबीर गुलाल से तिलक चढ़ाने से लेकर बाबा मंदिर में होने वाले हरि हर मिलन तक के परंपराओं में अबीर गुलाल का इस्तेमाल होता है ऐसे में देवघर में गुलाल की खपत सबसे ज्यादा होती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से होली का ट्रेंड कुछ बदला-बदला सा नजर आ रहा है केमिकल रंग गुलाल से लोग परहेज करने लगे हैं और अब इनका रुझान हर्बल गुलाब की तरफ हो गया है ऐसे में यहां के कुटीर उद्योग भी केमिकल के बजाय हर्बल गुलाल बनाने में ज्यादा जोर दे रहे हैं बाजार में भी हर्बल गुलाल की डिमांड बढ़ती जा रही है और पिछले 2 सालों में लोगों ने भी सिर्फ हर्बल गुलाल से ही होली मनाने की परंपरा जैसे चल पड़ी है।


Body:भियो 1- आप जमकर होली खेलना चाहते हैं लेकिन केमिकल युक्त रंग और गुलाल के डर से होली से परहेज करते हैं तो बाबा नगरी के लोगों के लिए खुशखबरी है देवघर के बाजार आपको होली का फुल मजा देने के लिए तैयार है लोगों की डिमांड है और मार्केट का ट्रेंड बदल गया है। बाजार में लगातार केमिकलयुक्त रंग और गुलाल के आ जाने के बाद स्थानीय लोगों द्वारा इसकी कम खरीदारी की जा रही थी कुछ कुटीर उद्योगों ने हर्बल गुलाल बनाना शुरू किया तो अचानक गुलाल का बाजार डिमांड पर आ गया अब हालात ऐसे हैं कि बाजार में ज्यादातर जगह हैं जो सिर्फ हर्बल प्रोडक्ट ही बेच रहे हैं यह थोड़े महंगे जरूर होते हैं लेकिन डिमांड काफी ज्यादा है देवघर मैं बसंत पंचमी के दिन भोले को तिलक चढ़ाने के साथ ही होली की परंपराएं शुरू हो जाती है और होली के 1 दिन पहले हरि और हर का मिलन होता है जिसमें बाबा भोले को अबीर चढ़ाया जाता है उसके बाद ही लोग अपने घरों में होली मनाते हैं ऐसे में कहा जाता है कि देवघर में गुलाल की खपत सिर्फ होली में ही नहीं बल्कि पूरे साल सबसे ज्यादा रहती है।कुटीर उद्योग ने स्थानीय लोगों के इस नब्ज को पकड़ा भी और आज कई ऐसी छोटी बड़ी कुटीर उद्योग देवघर में है जो सिर्फ हर्बल गुलाल ही बना रही है कभी एक दौर था जब डिमांड के बावजूद यह कुटीर उद्योग हाथों से हर्बल गुलाल बनाते थे जिससे मांगे पूरी नहीं हो पाती थी आज मशीनों के द्वारा हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है जिसकी डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है कुटीर उद्योग के मालिक की माने तो हर्बल गुलाल का क्रेज बढ़ा है और यह गुलाल ऐसे होते हैं जो देखने में तो खूबसूरत लगते ही हैं साथ ही अगर आपके चेहरे पर इसे लगाया जाए तो मिनट में इसे कपड़े से ही साफ कर दिया जा सकता है और यह चेहरे पर किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं डालते यही कारण है कि होली में हर्बल गुलाल का क्रेज काफी बड़ा है और इन्हें मुनाफा भी अच्छा हो जाता है 

बाइट पंकज मोदी कुटीर उद्योग संचालक।

भियो 2- देवघर में होली की खुमारी और बाजार में रंग बिरंगे होली के प्रोडक्ट आपको होली फुल मस्ती के साथ कराने के लिए तैयार है स्थानीय लोगों की माने तो बाजार में हर्बल गुलाल आ जाने से इनकी होली की मस्ती बढ़ गई है जो लोग होली नहीं खेलते थे सिर्फ रंगों के डर से आज वह क्या बूढ़े क्या बच्चे सभी जमकर होली खेलते हैं इनकी माने तो लोगों को हर्बल होली ही खेलनी चाहिए इससे पानी की बचत तो होती ही है साथ ही चेहरे पर किसी तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं होता है यह लोगों से भी आग्रह करते हैं कि वह खतरनाक रंगों का इस्तेमाल ना करें और इको फ्रेंडली होली मनाएं।

बाइट स्थानीय छात्र।
बाइट स्थानीय बुजुर्ग।




Conclusion:भियो -कुल मिलाकर देवघर में बाजार होली के लिए तैयार हैं लोग जमकर खरीदारी भी कर रहे हैं ऐसे में हर्बल गुलाल और रंगों ने होली का उत्साह और भी बढ़ा दिया है हर्बल गुलाल का क्रेज बढ़ने से ना सिर्फ स्थानीय लोग बेफिक्र होकर होली खेलते हैं बल्कि कुटीर उद्योग भी हर्बल गुलाल बनाकर लोगों को रोजगार दे रहे हैं 
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