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लोकसभा चुनाव: भाषण से नहीं, इन शर्तों पर अपना सांसद चुनेगी पाकुड़ की जनता - झारखंड चुनाव

2019 के लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल जनता को लुभाने में जुटे हैं. अपनी-अपनी घोषणा पत्र और ज्वलंत चुनावी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. सभी पार्टियां अपनी उपलब्धि और दूसरों नाकामी गिना रहे हैं. लेकिन इसबार पाकुड़ की जनता ने सोच लिया है कि वो किसी के बहकावे में नहीं आएंगे.

जानकारी देते स्थानीय लोग
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Published : Mar 16, 2019, 12:56 PM IST

पाकुड़: 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल जनता को लुभाने में जुटे हैं. अपनी-अपनी घोषणा पत्र और ज्वलंत चुनावी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. सभी पार्टियां अपनी उपलब्धि और दूसरों नाकामी गिना रहे हैं. लेकिन इसबार पाकुड़ की जनता ने सोच लिया है कि वो किसी के बहकावे में नहीं आएंगे.

जानकारी देते स्थानीय लोग

पाकुड़ झारखंड के अंतिम छोर पर बसे अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित राजमहल संसदीय क्षेत्र में पड़ता है. जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों में रहने वाले मतदाता विकास के मुद्दे को ही लेकर वोट करेंगे. इस सीट पर कौन-कौन से दल अपना प्रत्याशी किसे बनाएंगे यह तो अभी तय नहीं हो पाया है. लेकिन इतना जरूर है कि इस बार इवीएम पर बटन दबाकर ऐसे ही जनप्रतिनिधि चुनने की बात यहां के मतदाता कर रहे हैं, जो एसी गाड़ी में घूमने वाला न हो, लोगों के सुखदुख में साथ खड़ा रहने वाला हो. पाकुड़ जिले का विकास करने वाला हो और क्षेत्र में रहने वाले लोगों को रोजगार देने वाला हो.

देश में कई प्रमुख मुद्दे राफेल लड़ाकु विमान खरीदारी में हेराफेरी, पुलवामा में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर किए गए एयर स्ट्राइक आदि को लेकर सत्ता और विपक्ष में आरोप प्रत्यारोप इन मुद्दों के चुनावी प्रचार-प्रसार में हावी रहने की चारो ओर चर्चा है, लेकिन मतदाता तो नए जनप्रतिनिधि को चुनने के लिए अपने मन में अलग ही मुद्दों को बैठा रखे हैं. मतदाताओं द्वारा दी गयी राय के मुताबिक इस बार के लोकसभा चुनाव में वे वैसा ही जनप्रतिनिधि चुनेंगे जो कम से कम पांच साल जनता के साथ रहे.

पाकुड़: 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल जनता को लुभाने में जुटे हैं. अपनी-अपनी घोषणा पत्र और ज्वलंत चुनावी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. सभी पार्टियां अपनी उपलब्धि और दूसरों नाकामी गिना रहे हैं. लेकिन इसबार पाकुड़ की जनता ने सोच लिया है कि वो किसी के बहकावे में नहीं आएंगे.

जानकारी देते स्थानीय लोग

पाकुड़ झारखंड के अंतिम छोर पर बसे अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित राजमहल संसदीय क्षेत्र में पड़ता है. जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों में रहने वाले मतदाता विकास के मुद्दे को ही लेकर वोट करेंगे. इस सीट पर कौन-कौन से दल अपना प्रत्याशी किसे बनाएंगे यह तो अभी तय नहीं हो पाया है. लेकिन इतना जरूर है कि इस बार इवीएम पर बटन दबाकर ऐसे ही जनप्रतिनिधि चुनने की बात यहां के मतदाता कर रहे हैं, जो एसी गाड़ी में घूमने वाला न हो, लोगों के सुखदुख में साथ खड़ा रहने वाला हो. पाकुड़ जिले का विकास करने वाला हो और क्षेत्र में रहने वाले लोगों को रोजगार देने वाला हो.

देश में कई प्रमुख मुद्दे राफेल लड़ाकु विमान खरीदारी में हेराफेरी, पुलवामा में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर किए गए एयर स्ट्राइक आदि को लेकर सत्ता और विपक्ष में आरोप प्रत्यारोप इन मुद्दों के चुनावी प्रचार-प्रसार में हावी रहने की चारो ओर चर्चा है, लेकिन मतदाता तो नए जनप्रतिनिधि को चुनने के लिए अपने मन में अलग ही मुद्दों को बैठा रखे हैं. मतदाताओं द्वारा दी गयी राय के मुताबिक इस बार के लोकसभा चुनाव में वे वैसा ही जनप्रतिनिधि चुनेंगे जो कम से कम पांच साल जनता के साथ रहे.

Intro:बाइट: आशिष दुबे, व्यवसायी
बाइट: जयनारायण भगत, स्थानीय
बाइट: शिवजी मिश्रा, पत्थर व्यवसायी
बाइट: संजीव खत्री, सचिव चेम्बर आॅफ काॅमर्स
पाकुड़ : 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल अपने अपने घोषणा पत्र एवं तत्कालिक चुनावी मुद्दे के आधार पर अभी से हर हथकंडा को चुनावी जीत का हथियार बनाने की जीतोड़ कोशिश में जुटे हुए है। कोई महागठबंधन तो कोई केंद्र एवं राज्य सरकार की विफलता, धर्मनिरपेक्षता की बहाली तो कोई किये गये विकास के मुद्दे को इस बार के चुनाव में जनता के बीच ले जाकर चुनावी जंग जितने की अभी से जुगाड़ में लगा हुआ है।



Body:कमोवेश सभी राजनीतिक दल एक दुसरे को इस बार के लोकसभा चुनाव में पटकनी देने के लिए हर हथियार का इस्तेमाल करेगी परंतु झारखंड के अंतिम छोर पर बसे अनुसूचित जनजाति सुरक्षित राजमहल संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले पाकुड़ जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रो में रहने वाले मतदाता विकास के मुद्दे को ही लेकर न केवल वोट करेंगे बल्कि अपने जनप्रतिनिधि को चुनने का भी अभी से मन बनाने लगे है।
झारखंड राज्य के अनुसूचित जनजाति बहुल राजमहल लोकसभा सीट पर कौन कौन से दल अपना प्रत्याशी किसे बनायेगा यह तो अभी तय नही हो पाया है परंतु इतना जरूर है कि इस बार इवीएम पर बटन दबाकर ऐसे ही जनप्रतिनिधि चुनने की बात यहां के मतदाता कर रहे है जो एसी गाड़ी में घुमने वाला न हो, लोगो के सुखदुख में साथ खड़ा रहने वाला हो, पीछड़े पाकुड़ जिले का विकास करने वाला हो और क्षेत्र में रहने वाले लोगो को रोजी रोजगार देने वाला हो।



Conclusion:फिलवक्त देश में कई प्रमुख मुद्दे राफेल लड़ाकु विमान खरीददारी में हेराफेरी, पुलवामा में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर किये गये एयर स्ट्राइक आदि को लेकर सत्ता और विपक्ष में आरोप प्रत्यारोप एवं इन मुद्दो के चुनावी प्रचार प्रसार में हावी रहने की चारो ओर चर्चा है परंतु मतदाता तो नये जनप्रतिनिधि को चुनने के लिए अपने मन में अलग ही मुद्दो को बैठा रखा है। मतदाताओ द्वारा दी गयी राय के मुताबिक इस बार के लोकसभा चुनाव में वे वैसा ही जनप्रतिनिधि चुनेंगे तो उनका कम से कम पांच साल जनता के साथ रहे।
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