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गर्मी ने दी दस्तक बढ़ी पिठोरिया गांव के ग्रामीणों की परेशानी, 2 हैंडपंप पर निर्भर पूरा गांव

भीषण गर्मी बढ़ने के साथ पानी के लिए हाहाकार मचना शुरू हो गया है. राजधानी रांची से सटे कांके विधानसभा के पिठोरिया गांव के लोग भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं. इस इलाके में अधिकांश हैंडपंप खराब हो चुका और कुंआ का भी जलस्तर नीचे आ गया है.

पानी की समस्या से परेशान ग्रामीण
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Published : May 17, 2019, 4:31 PM IST

रांची: गर्मी की दस्तक के साथ ही राजधानी रांची सहित आस-पास के ग्रामीण इलाकों से जलस्तर नीचे जाने की खबरें आनी शुरु हो गई हैं. भीषण गर्मी बढ़ने के साथ पानी के लिए हाहाकार मचना शुरू हो गया है. राजधानी रांची से सटे कांके विधानसभा के पिठोरिया गांव के लोग भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं. इस इलाके में अधिकांश हैंडपंप खराब हो चुका और कुंआ का भी जलस्तर नीचे आ गया है.


इस पठारी इलाका का 70% है ड्राई जोन
इस क्षेत्र के लोगों को गर्मी के मौसम में जल संकट से गुजरना बेहद आम हो गया है. यहां हर साल ग्रामीण पानी किल्लत से परेशान रहते है. दरअसल, पिठोरिया गांव पठारी इलाका है और यहां का 70% इलाका ड्राई जोन है. लेकिन इस इलाके में सरकार और प्रशासन ने जलसंकट को दूर करने के लिए कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं.


100 से ज्यादा हैंडपंप लेकिन सारे खराब
वहीं, लोगों ने ईटीवी भारत को बताया कि यहां के प्रतिनिधि विधायक जीतू चरण राम के द्वारा जल मीनार का निर्माण तो कराया गया लेकिन सरकारी पैसों का बंदरबांट कर लिया गया. क्योंकि जो बोरिंग जल मीनार के लिए कराया गया था उसमें पानी का एक बूंद तक नहीं निकला और स्थानीय विधायक को पता होने के बावजूद भी विधायक ने इसपर कोई पहल नहीं की. गांव में जल मीनार बस दिखावे के लिए रह गया है. इस इलाके में लगभग 100 से ज्यादा हैंडपंप हैं और सभी खराब हैं. जिसकी मरम्मत नहीं हो पा रही है.

पानी की समस्या से परेशान ग्रामीण


जनप्रतिनिधि देख रहे हैं अपना मुनाफा
समाजसेवी राम लगन महली ने कहा कि क्षेत्र में जनप्रतिनिधि पानी की समस्या दूर करने के बजाय अपनी मुनाफा कमाने के लिए जल मीनार बना तो देते हैं और उससे पानी का एक बूंद तक नहीं निकलता. इन परेशानियों को जानने के बाद भी ग्रामीणों की समस्या का हल नहीं किया जा रहा और लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं.


2 हैंडपंप पर आश्रित है पिठोरिया गांव के ग्रामीण
एक गांव के लोगों का समस्या को दूर करने का काम मुखिया का होता है. मुखिया को ब्लॉक लेवल से फंड दिया जाता है ताकि ग्रामीण इलाकों का खराब चापानल की मरम्मत कराएं. लेकिन मुखिया के द्वारा इस तरह का कोई भी कार्य नहीं कराया जा रहा है. इस क्षेत्र के लोग मात्र दो हैंडपंप पर आश्रित हैं और इसे लेकर ग्रामीणों ने गर्मी शुरू होने से पहले ही कई बार मुखिया से शिकायत की. लेकिन अब तक पानी की व्यवस्था लोगों के लिए नहीं की गई है.

रांची: गर्मी की दस्तक के साथ ही राजधानी रांची सहित आस-पास के ग्रामीण इलाकों से जलस्तर नीचे जाने की खबरें आनी शुरु हो गई हैं. भीषण गर्मी बढ़ने के साथ पानी के लिए हाहाकार मचना शुरू हो गया है. राजधानी रांची से सटे कांके विधानसभा के पिठोरिया गांव के लोग भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं. इस इलाके में अधिकांश हैंडपंप खराब हो चुका और कुंआ का भी जलस्तर नीचे आ गया है.


इस पठारी इलाका का 70% है ड्राई जोन
इस क्षेत्र के लोगों को गर्मी के मौसम में जल संकट से गुजरना बेहद आम हो गया है. यहां हर साल ग्रामीण पानी किल्लत से परेशान रहते है. दरअसल, पिठोरिया गांव पठारी इलाका है और यहां का 70% इलाका ड्राई जोन है. लेकिन इस इलाके में सरकार और प्रशासन ने जलसंकट को दूर करने के लिए कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं.


100 से ज्यादा हैंडपंप लेकिन सारे खराब
वहीं, लोगों ने ईटीवी भारत को बताया कि यहां के प्रतिनिधि विधायक जीतू चरण राम के द्वारा जल मीनार का निर्माण तो कराया गया लेकिन सरकारी पैसों का बंदरबांट कर लिया गया. क्योंकि जो बोरिंग जल मीनार के लिए कराया गया था उसमें पानी का एक बूंद तक नहीं निकला और स्थानीय विधायक को पता होने के बावजूद भी विधायक ने इसपर कोई पहल नहीं की. गांव में जल मीनार बस दिखावे के लिए रह गया है. इस इलाके में लगभग 100 से ज्यादा हैंडपंप हैं और सभी खराब हैं. जिसकी मरम्मत नहीं हो पा रही है.

पानी की समस्या से परेशान ग्रामीण


जनप्रतिनिधि देख रहे हैं अपना मुनाफा
समाजसेवी राम लगन महली ने कहा कि क्षेत्र में जनप्रतिनिधि पानी की समस्या दूर करने के बजाय अपनी मुनाफा कमाने के लिए जल मीनार बना तो देते हैं और उससे पानी का एक बूंद तक नहीं निकलता. इन परेशानियों को जानने के बाद भी ग्रामीणों की समस्या का हल नहीं किया जा रहा और लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं.


2 हैंडपंप पर आश्रित है पिठोरिया गांव के ग्रामीण
एक गांव के लोगों का समस्या को दूर करने का काम मुखिया का होता है. मुखिया को ब्लॉक लेवल से फंड दिया जाता है ताकि ग्रामीण इलाकों का खराब चापानल की मरम्मत कराएं. लेकिन मुखिया के द्वारा इस तरह का कोई भी कार्य नहीं कराया जा रहा है. इस क्षेत्र के लोग मात्र दो हैंडपंप पर आश्रित हैं और इसे लेकर ग्रामीणों ने गर्मी शुरू होने से पहले ही कई बार मुखिया से शिकायत की. लेकिन अब तक पानी की व्यवस्था लोगों के लिए नहीं की गई है.

Intro:रांची
ऑक्सपेप
बाइट--रामलगन महली समाजसेवी(ब्लू टी-शर्ट)
बाइट--मधु साहू स्थानीय निवासी(चस्मा पहने हुए)
बाइट--अमरेश महतो स्थानीय(लाल टी-शर्ट)



गर्मी की दस्तक के साथ ही राजधानी रांची सहित आस पास के ग्रामीण इलाकों से जलस्तर नीचे जाने की खबरें आनी शुरु हो गई है। भीषण गर्मी बढ़ने के साथ पानी के लिए हाहाकार मचाना शुरू हो गया। राजधानी रांची सटे कांके विधानसभा के पिठोरिया गांव के लोग भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं। क्योंकि इस इलाके में अधिकांश चापानल या तो खराब है। या फिर सूख चुके हैं यहां तक कि कुएं का भी जलस्तर काफी नीचे जा चुका है। इस क्षेत्र के लोगो की गर्मी के मौसम जल संकट से गुजरना आम बात है। क्योंकि पिठोरिया इलाके पठारी इलाका है और यहां का 70% इलाका ड्राई जोन है। लेकिन इस इलाके में जलसंकट को दूर करने के लिए ठोस कदम नही उठाया गया है।



Body:वहीं लोगों ने ईटीवी भारत को बताया कि यहाँ के प्रतिनिधि विधायक जीतू चरण राम के द्वारा जल मीनार का निर्माण तो कराया गया लेकिन या भी सरकारी पैसों का बंदरबांट करने के लिए किया गया है क्योंकि जो बोरिंग जल मीनार के लिए कराया गया था उसमें पानी का एक बूंद तक नहीं निकला और स्थानीय विधायक को पता होने के बावजूद थे जल मीनार बस दिखाओ एक लिए बना दिया गया। और लोग पानी के लिए तरस रहे हैं यहां तक ही इस इलाके में लगभग 100 से से ज्यादा चापानल है लेकिन वह भी बेकार पड़े हुए। कारण बस यही है कि स्थानीय मुखिया के द्वारा इसका मरम्मत भी नहीं कराया जा रहा है।


Conclusion:समाजसेवी राम लगन महली ने कहा कि क्षेत्र में जनप्रतिनिधि पानी की समस्या दूर करने के बजाय अपनी मुनाफा कमाने के लिए जल मीनार बना तो देते हैं लेकिन उससे पानी का एक बूंद तक नहीं निकलता। एक गांव के लोगों का समस्या को दूर करने का काम मुखिया का होता है मुखिया को ब्लॉक लेवल से फंड दिया जाता है ताकि ग्रामीण इलाकों का खराब चापानल का मरम्मत कराया जाए लेकिन मुखिया के द्वारा इस तरह का कोई भी कार्य नहीं कराया जा रहा है इस क्षेत्र के लोग मात्र दो चापानाल के सहारे आश्रित है। इस बाबत ग्रामीणों ने गर्मी शुरू होने से पहले ही कई बार स्थानीय मुखिया से शिकायत भी किया है लेकिन अब तक चापानलो का बरामती नहीं कराया गया है
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