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शौचालय नहीं होने के कारण महिला ने खाया जहर, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप - नगर निगम

देवघर के बैरागी मुहल्ले के वार्ड नंबर 27 में रहने वाली महिला ने घर में शौचालय नहीं होने कारण जहर खाकर की खुदकुशी की कोशिश की. फिलहास उसका इलाज चल रहा है. जिला प्रशासन पर लगा लापरवाही का आरोप लगाया जा रहा है.

महिला ने घर में शौचालय नहीं होने कारण खाई जहर
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Published : May 27, 2019, 5:18 PM IST

देवघर: घर में शौचालय नहीं होने के कारण देवघर के बैरागी मुहल्ले के वार्ड नंबर 27 में रहने वाली महिला ने खुदकुशी जैसा कदम उठा लिया और आज अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है. यह कहानी उस महिला की है, जिसे खुले में शौच जाने से बेहतर मौत को ही अपना हमसफर चुनना सही लगा.


दरअसल, झारखंड सरकार की तरफ से देवघर नगर निगम क्षेत्र को काफी पहले ही खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ घोषित किया जा चुका है, लेकिन पीड़ित महिला के दावे ने न सिर्फ सिस्टम बल्कि, सरकार और उन सरकारी मुलाजिमों के गाल पर वह जोरदार तमाचा मारा है.

महिला ने घर में शौचालय नहीं होने कारण खाई जहर


महिला और इनके परिजनों का आरोप है कि सरकार की तरफ से मिलने वाली योजना आवास और हर घर शौचालय के लिए इसने भी आवेदन दिया था, लेकिन खुले में शौच जाने वाली इस महिला की गुहार अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाई. आखिरकार, लोकलाज और शर्मिंदगी का बोझ उठाते-उठाते थक चुकी महिला ने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया.


इस बाबत जब नगर निगम के सिटी मैनेजर से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल बंद पाया गया. वहीं, जब इस क्षेत्र के जोनल चेयरमेन रवि राउत से संपर्क किया गया तो इन्होंने कहा कि कुछ लोगों को चिन्हित किया था, जिनको कि शौचालय आवंटित किया जाना था और जिसका आवेदन भी जमा कराया गया था. मगर ठीकरा निगम अधिकारी पर थोपते हुए कहा कि कही न कही ये लापरवाही निगम अधिकारी की है. अगर पीड़ित महिला के पड़ोसियों की माने तो अक्सर यह देखा जाता था कि शौच के लिए इनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था.


बहरहाल, अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी इस महिला के शरीर से जहर का असर तो कम हो चुका है और खतरे से बाहर है. अब इंतजार इस बात की रहेगी कि इतना होने के बावजूद प्रशासन की क्या पहल होगी.

देवघर: घर में शौचालय नहीं होने के कारण देवघर के बैरागी मुहल्ले के वार्ड नंबर 27 में रहने वाली महिला ने खुदकुशी जैसा कदम उठा लिया और आज अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है. यह कहानी उस महिला की है, जिसे खुले में शौच जाने से बेहतर मौत को ही अपना हमसफर चुनना सही लगा.


दरअसल, झारखंड सरकार की तरफ से देवघर नगर निगम क्षेत्र को काफी पहले ही खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ घोषित किया जा चुका है, लेकिन पीड़ित महिला के दावे ने न सिर्फ सिस्टम बल्कि, सरकार और उन सरकारी मुलाजिमों के गाल पर वह जोरदार तमाचा मारा है.

महिला ने घर में शौचालय नहीं होने कारण खाई जहर


महिला और इनके परिजनों का आरोप है कि सरकार की तरफ से मिलने वाली योजना आवास और हर घर शौचालय के लिए इसने भी आवेदन दिया था, लेकिन खुले में शौच जाने वाली इस महिला की गुहार अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाई. आखिरकार, लोकलाज और शर्मिंदगी का बोझ उठाते-उठाते थक चुकी महिला ने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया.


इस बाबत जब नगर निगम के सिटी मैनेजर से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल बंद पाया गया. वहीं, जब इस क्षेत्र के जोनल चेयरमेन रवि राउत से संपर्क किया गया तो इन्होंने कहा कि कुछ लोगों को चिन्हित किया था, जिनको कि शौचालय आवंटित किया जाना था और जिसका आवेदन भी जमा कराया गया था. मगर ठीकरा निगम अधिकारी पर थोपते हुए कहा कि कही न कही ये लापरवाही निगम अधिकारी की है. अगर पीड़ित महिला के पड़ोसियों की माने तो अक्सर यह देखा जाता था कि शौच के लिए इनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था.


बहरहाल, अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी इस महिला के शरीर से जहर का असर तो कम हो चुका है और खतरे से बाहर है. अब इंतजार इस बात की रहेगी कि इतना होने के बावजूद प्रशासन की क्या पहल होगी.

Intro:देवघर शौच के लिए घर निकली महिला को अचानक आया खुदकुशी के ख़याल, और........।


Body:एंकर देवघर क्या आपने कभी शौच के लिए निकली महिला को अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ते देखा है!. अगर नहीं तो ज़रा दिल थाम कर बैठिये क्योंकि, जितनी अफसोसनाक यह ख़बर हैं, उससे भी शर्मनाक यह तस्वीर है जो, सरकार और सभ्य समाज को अपने गिरेबान में झांकने के लिए मज़बूर कर देगी। जी हां, यह कहानी उस गैरतमंद महिला की है जो वार्ड नंबर 27 के बैरागी मुहल्ले की है जिसे खुले में शौच जाने से बेहतर ज़हर को समझा और समाज के ठेकेदारों की फब्तियों और वहशी नज़रों से खुद को महफ़ूज़ रखने की खातिर आखिरकार मौत को ही अपना हमसफ़र चुनने का इरादा कर लिया लेकिन, इससे पहले की ज़हर अपना असर दिखता उस महिला की नज़रों के सामने उसकी  मासूम बच्ची की तस्वीर तैरने लगी औऱ फिलहाल वह महिला आंखों में शर्मिंदगी की बरसात लिए अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी है। दरअसल, झारखंड सरकार की तरफ से देवघर नगर निगम क्षेत्र को काफी पहले ही खुले में शौच से मुक्त यानी, ओडीएफ घोषित किया जा चुका है लेकिन, पीड़ित महिला के दावे ने न सिर्फ सिस्टम बल्कि, सरकार और उन सरकारी मुलाज़िमों के गाल पर वह ज़ोरदार तमाचा मारा है जिहोने फ़ाइलों को दौड़ा कर अपना टारगेट पूरा किया था। महिला ओर इनके परिजनों का आरोप है कि, सरकार की तरफ से मिलने वाली योजना आवास ओर हर घर शौचालय के लिए इसने भी आवेदन दिया था लेकिन, खुले में झाड़ फ़ानूस में चेहरा छिपा कर शौच जाने वाली इस महिला की गुहार, वातानुकूलित कमरे में बैठने वाले अफ़सरान तक नहीं पहुंच पाई और आखिरकार, लोकलाज और शर्मिंदगी का बोझ उठाते उठाते थक चुकी एक पत्नी, एक मां और एक महिला ने अपनी ज़िंदगी से ही तौबा करने की ठान ली। इस बाबत जब नगर निगम के सिटी मैनेजर से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल नंबर 8210085965 बंद पाया गया वही जब इस क्षेत्र के जोनल चेयरमेन रवि राउत से संपर्क किया गया तो इन्होंने कहा कि कुछ लोगो को चिन्हित किया गया था जिनको की शौचालय आवंटित किया जाना था जिसका आवेदन जमा कराया गया था। मगर ठीकरा निगम अधिकारी पर थोपते हुए कहा कि कही न कही ये लापरवाही निगम अधिकारी की है। अगर पीड़ित महिला के पड़ोसियों की माने तो अक्सर यह देखा जाता था कि शौच के लिए इनको काफी परेशानियो का सामना करनी पड़ती थी।




Conclusion:बहरहाल, अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी इस महिला के शरीर से ज़हर का असर तो कम हो चुका है लेकिन, खुले में शौच से मुक्त न पाने वाली इस महिला के जहन में समाज, सिस्टम और सरकारी लालफीताशाही के ख़िलाफ़ जो जहर भरा है उसे साफ करना फ़िलहाल मुश्किल ही मामूल पड़ता है।

बाइट मीता देवी पीड़ित महिला।
बाइट पीड़ित महिला की सास।
बाइट रवि राउत जोनल चेयरमेन।
बाइट पीड़ित का पड़ोसी महिला।
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