देवघरः बारह ज्योतिर्लिंगों में से बाबा बैद्यनाथ को मनोकामना लिंग कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी भक्त अर्जी लगाते हैं उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. ऐसे में बाबा भोले के दरबार में श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होने पर कई ऐसी परंपरा है जैसे संतान के लिए थापा पूजा, कन्याओं की शादी-ब्याह के लिए गठबंधन आदि कई परंपराएं निभाई जाती हैं.
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ऐसी ही मनोकामना के पूर्ण होने पर एक भक्त बाबा मंदिर में सिर के बल घंटों रहा और इस श्रद्धालु की भक्ति भाव देखकर लोग भाव विभोर हो गए. वहीं, बताया जा रहा कि इनकी मनोकामना बाबा भोले ने पूरी की है और बाबा भोले से मनोकामना पूरी होने पर सिर के बल होकर मनोकामना पूर्ति के लिए बाबा के प्रांगण में शीर्षासन में रहे.
बहरहाल, अक्सर बाबा भोले जिन भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं वो भक्त बाबा की हाजरी लगाने पहुंचते हैं. ऐसे में इस भक्त की श्रद्धा देखते बनती है. हालांकि, यह भक्त मीडिया के सामने कुछ भी कहने से बचते दिखे.
पौराणिक कथाओं में बाबा बैद्यनाथ
पौराणिक कथा के अनुसार दशानन रावण भगवान शिव को खुश करने के लिए हिमालय पर तप कर रहा थे. वह एक-एक करके अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ा रहा था. 9 सिर चढ़ाने के बाद जब रावण 10वां सिर काटने वाला था तो भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिया और उससे वर मांगने को कहा. इस पर रावण ने 'कामना लिंग' लंका ले जाने का वरदान मांगा.
महादेव ने रावण की इस मनोकामना को पूरा किया पर साथ ही एक शर्त भी रखी. उन्होंने कहा कि अगर रावण ने शिवलिंग को रास्ते में कही भी रखा तो शिवलिंग वहीं स्थापित हो जाएगा और ऐसा ही हुआ. इस तरह ‘कामना लिंग’ देवघर में स्थापित हो गया.