नई दिल्ली : राज्य सभा में हंगामा करने के आरोप में बुधवार को सदन की कार्यवाही से निलंबित किए गए छह तृणमूल सांसदों में एक पर यह आरोप लगा है कि संसद परिसर में हमला किया गया है. उपसभापति हरिवंश ने सदन में बताया कि सभापति नायडू ने इस मामले का संज्ञान लिया है. हालांकि, उन्होंने आरोपी सांसद का नाम नहीं लिया.
उपसभापति हरिवंश ने तृणमूल कांग्रेस की एक सदस्य के, एक दिन पहले के आचरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उसकी निंदा की. उपसभापति ने कहा कि अशोभनीय व्यवहार के कारण तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को एक दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया था.
उन्होंने कहा कि जब सदन की बैठक दिन भर के लिए स्थगित हो गयी तो निलंबित सदस्यों में से एक ने सदन में प्रवेश करने की कोशिश की. इस क्रम में एक द्वार का शीशा टूट गया और एक महिला सुरक्षा अधिकारी को चोट भी आयी. उस अधिकारी ने इसकी शिकायत दर्ज करायी है और सभापति एम वेंकैया नायडू इस पर विचार कर रहे हैं. हरिवंश ने बुधवार की घटना को अत्यंत अशोभनीय और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए उसकी निंदा की.
जानकारी के मुताबिक आरोपी सांसद को 13वें दिन भी संसद की कार्यवाही से निलंबित किया गया है. इस पर तृणमूल सांसद सुखेन्दु शेखर रॉय ने आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि सदन के दरवाजे बंद होने के समय महिला सांसद अपना बैग लेने के लिए सदन में आना चाहती थीं. उसी समय कुछ अप्रिय घटना हुई, लेकिन सांसद का निलंबन ठीक नहीं है.
सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि जो आरोप लगाया गया है वह सही नहीं है क्योंकि उनकी पार्टी के सदस्यों को दिन भर के लिए सदन से निलंबित किया गया था और बैठक जब पूरे दिन के लिए स्थगित की गई तब सदस्य सदन में छूट गए अपने बैग को लेने के लिए अंदर आना चाह रही थीं. इसी प्रक्रिया में द्वार में लगा शीशा टूटा . उन्होंने कहा 'जबरदस्ती अंदर आने की कोशिश करने का आरोप सही नहीं है. सदस्य अपना बैग लेने के लिए अंदर आना चाह रही थीं लेकिन दरवाजा बंद कर उन्हें रोकने का प्रयास किया गया.'
इस मामले पर राज्य सभा में जबरदस्त हंगामा हुआ. हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को उपसभापति हरिवंश ने 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया.
दोबारा कार्यवाही शुरू होने के बाद पीठासीन सभापति भुवनेश्वर कालिता ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की. उन्होंने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से कहा कि वे सभापति के आसन पर आरोप नहीं लगा सकते. इसके बाद सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी गई.
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिवंगत भाजपा नेता और उच्च सदन के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली के उस बयान की ओर सदन को ध्यान दिलवाया कि 'बाधा डालना लोकतंत्र का एक अंग होता है.' उन्होंने कहा कि कल की घटना नयी नहीं है. उन्होंने कहा 'हम अपनी बात रखने के लिए जो कुछ भी करते हैं वह लोकतांत्रिक तरीके से करते हैं.'
सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सदस्य को अंदर आने से रोकने के लिए दरवाजा बंद नहीं किया गया था बल्कि नियमित प्रक्रिया के तहत, सैनिटाइजेशन के लिए दरवाजा बंद किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि सदस्य को अंदर आने से रोकने के लिए दरवाजा बंद करने का आरोप सही नहीं है.' गोयल ने कहा कि नियमित कार्य में किसी को बाधा नहीं डालनी चाहिए और इस तरह के आचरण से कर्मचारियों को मनोबल नहीं तोड़ना चाहिए.
गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) के 12वें दिन पेगासस जासूसी व अन्य मुद्दों पर सरकार के खिलाफ राज्य सभा और लोक सभा में नारेबाजी का दौर जारी रहा था. राज्य सभा के वेल में तख्तियों के साथ घुसे तृणमूल कांग्रेस के सांसदों को कार्यवाही (withdraw from Rajya Sabha proceedings) में भाग लेने से बाहर निकाल दिया.
राज्य सभा में तृणमूल कांग्रेस (TMC in Rajya Sabha) (टीएमसी) के जिन छह सांसदों को बाहर निकलने को कहा गया उनमें तृणमूल सांसद डोला सेन (Dola Sen), नदीमुल हक (Nadimul Haque) अर्पिता घोष (Arpita Ghosh), मौसम नूर (Mausam Noor), शांता छेत्री (Shanta Chhetri) और अबीर रंजन बिस्वास (Abir Ranjan Biswas) शामिल रहे. इनको सभापति के आसन के समक्ष खराब बर्ताव के लिए सदन की कार्यवाही से बाहर (withdraw from Rajya Sabha proceedings) निकाला गया.
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तृणमूल सांसदों पर राज्य सभा के वेल में घुस कर तख्तियों के साथ नारेबाजी (placards in Rajya Sabha well) करने और सदन की कार्यवाही को बाधित करने का आरोप लगा था. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने पेगासस जासूसी विवाद को लेकर आसन के समक्ष तख्तियां लेकर हंगामा कर रहे तृणमूल कांग्रेस के छह सदस्यों को पूरे दिन के लिए सदन से निलंबित (Naidu suspends 6 TMC MPs) कर दिया. उल्लेखनीय है कि नायडू ने सदन में तख्तियां प्रदर्शित करने पर छह सदस्यों को नियम 255 के तहत दिन भर के लिए निलंबित कर दिया था.
(एजेंसी इनपुट)