पटना : बिहार के पटना में फुलवारीशरीफ का रहने वाला महादलित परिवार का एक बेटा अमेरिका में अपना भविष्य संवारेगा. दरअसल पटना के गोनपुरा गांव के 17 वर्षीय प्रेम कुमार को अमेरिका के प्रतिष्ठित लाफायेट कॉलेज (Lafayette College America) से पढ़ाई के लिए 2.5 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप (Prem Kumar From Patna Got Scholarship Of Rs 2.5 Crore) मिली है. दुनिया के 6 छात्रों में से प्रेम भारत से ये उपलब्धि हासिल करने वाला पहला महादलित छात्र है. जिसे लाफायेट कॉलेज से प्रतिष्ठित 'डायर फेलोशिप' प्राप्त होगी. प्रेम बिहार के महादलित मुसहर समुदाय से आता है और उसका परिवार बेहद गरीब है.
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2.5 करोड़ रुपये की मिली छात्रवृत्ति : प्रेम पिछले चार साल से पटना के एक ग्लोबल संस्थान से जुड़ कर पढ़ाई कर रहा है. संस्थान के द्वारा ही कुछ दिन पहले उसे सूचना मिली की लाफायेट में उसका सिलेक्शन हो गया है. कॉलेज द्वारा स्नातक और स्नातकोत्तर (UG & PG) की डिग्री हासिल करने के लिए उसे 2.5 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति मिली है. छात्रवृत्ति में पढ़ाई के साथ-साथ रहने के पूरे खर्च कवर होंगे. इनमें ट्यूशन फी, निवास, किताबें, स्वास्थ्य बीमा, यात्रा व्यय आदि शामिल हैं.
ऐसे हुआ चयन : वर्ष 1826 में स्थापित लाफायेट कॉलेज अमेरिका के टॉप 25 कॉलेजों में शामिल है. इसे अमेरिका के 'हिडन आइवी' कॉलेजों की श्रेणी में गिना जाता है. लाफायेट के अनुसार यह फेलोशिप उन चुनिंदा छात्रों को दी जाती है, जिनमें दुनिया की कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए आंतरिक प्रेरणा और प्रतिबद्धता हो. कॉलेज की तरफ से जो पत्र भेजा गया उसमें लिखा था कि आपकी (प्रेम कुमार) उपलब्धियों, संघर्ष, मेहनत और हाई स्कूल में परफॉर्मेंस के आधार पर चयन किया जा रहा है. चार वर्षों तक पूरा खर्च कॉलेज उठाएगा.
2020 में पास की मैट्रिक : पटना से सटे फुलवारी शरीफ के गोनपुरा के रहने वाले प्रेम कुमार के महादलित टोला में खुशी की लहर फैल गयी है. पहली बार कोई अमेरिका पढ़ने जा रहा है यह सोचकर प्रेम का पूरा परिवार और इलाके के लोग फूले नहीं समा रहे हैं. प्रेम ने बताया कि उसने 2020 में शोषित समाधान केंद्र उड़ान टोला, दानापुर से मैट्रिक पास की थी. सीबीएसई बोर्ड में उसने 435 अंक अर्जित किए थे. इसी कॉलेज से उसने 2022 में साइंस (मैथ) से इंटर की परीक्षा दी है. प्रेम पिछले चार साल से पटना के एक संस्थान से जुड़ कर पढ़ाई कर रहा है.
कुछ ऐसी है छात्र प्रेम की झोपड़ी: प्रेम का एक झोपड़पट्टी नुमा घर है. इसमें रोज यह एक अंधेरे कमरे में लाइट जला कर पढ़ाई करता है. घर की हालत देख परिवार की गरीबी का अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन अब इसी झोपड़ी से निकलकर प्रेम अमेरिका जाएगा. उसने अपने दम पर यह सबकुछ हासिल किया है. प्रेम के पिता जीतन मांझी मजदूर हैं. वह किसी तरह से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.
बचपन में ही उठ गया मां का साया: वहीं प्रेम के सर से मां कलावती देवी का साया बचपन में ही छिन गया था. प्रेम जब 12 साल का था तभी उसकी मां का देहांत हो गया था. मां की मौत का कारण भी गरीबी ही थी. जमीन पर सोने के कारण मां को लकवा मार गया था और अंतत: उनकी मौत हो गई. प्रेम अपनी पांच बहनों में इकलौता भाई है. बड़ी बात ये है कि प्रेम कॉलेज जाने वाला अपने परिवार का पहला सदस्य है.
प्रेम ने दिया लोगों को यह संदेश: प्रेम का कहना है कि समाज के विकास के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है. मेरा उद्देश्य है कि मैं अपनी शिक्षा का उपयोग समाज का उत्थान और निर्माण करने में करूंगा. हमारे समाज में शिक्षा का अभाव है. मैं सभी को यही संदेश देना चाहूंगा कि शिक्षा को अपना सर्वप्रथम अधिकार मानें और इसी पर अपना ध्यान केंद्रित करें. प्रेम कहते हैं कि शिक्षा के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. शिक्षा ही परिवर्तन, पहचान और धन है. मैकेनिकल इंजीनियर के साथ समाज सुधारक बनना उसका लक्ष्य है.
"बहुत खुशी मिल रही है. गरीबी हालत में अपने बेटे को हमने पढ़ाया है इसलिए आज इतनी बड़ी खुशी मिली है. पूरा परिवार बेटे की इस सफलता से काफी खुश है."- प्रेम के पिता
"मेरे माता-पिता कभी स्कूल नहीं जा सके. यह अविश्वसनीय है. डेक्स्टेरिटी ग्लोबल संस्था जो बिहार में महादलित बच्चों के लिए काम कर रही है, वो बहुत सराहनीय है. आज उन्हीं की वजह से आज मुझे ये कामयाबी मिली है. आज मैं बहुत खुश हूं."- प्रेम कुमार, छात्र
"साल 2013 से हमने बिहार में महादलित बच्चों पर काम शुरू किया. इस समुदाय के छात्रों के माध्यम से अगली पीढ़ी के लिए नेतृत्व तैयार करना, उन्हें सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में भेजना हमारा लक्ष्य है."- शरद सागर, सीईओ, डेक्सटेरिटी ग्लोबल
प्रेम को मिला डायर 'फेलोशिप': प्रेम को लाफायेट कॉलेज से प्रतिष्ठित ‘डायर फेलोशिप’ प्राप्त होगी. लाफायेट के अनुसार यह फेलोशिप उन चुनिंदा छात्रों को दी जाती है, जिनमें दुनिया की कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए आंतरिक प्रेणा और प्रतिबद्धता हो. 14 वर्ष की उम्र में प्रेम को राष्ट्रीय संगठन डेक्स्टेरिटी ग्लोबल द्वारा पहचाना गया. तब से उसे डेक्स्टेरिटी ने लगातार प्रशिक्षित किया. डेक्सटेरिटी ग्लोबल एक राष्ट्रीय संगठन है, जो शैक्षणिक अवसरों और प्रशिक्षण के माध्यम से भारत और विश्व के लिए नेतृत्व की अगली पीढ़ी तैयार करने में जुटा है.
स्कॉलरशिप से चार साल की पढ़ाई : ईस्टर्न पेनसिलवेनिया में साल 1826 में स्थापित लाफायेट कॉलेज को लगातार अमेरिका के टॉप 25 कॉलेजों में जगह मिली. इसे अमेरिका के 'हिडन आइवी' कॉलेजों की कैटेगरी में गिना जाता है. पटना के प्रेम लाफायेट कॉलेज में चार साल तक मैकेनिकल इंजीनियरिंग और इंटरनेशनल रिलेशनशिप की पढ़ाई करेंगे. 2.5 करोड़ की स्कॉलरशिप में पढ़ाई के साथ-साथ रहने के पूरे खर्चे भी कवर होंगे.
गरीब बच्चों की मदद करती है डेक्स्टेरिटी संस्था : दरअसल 14 वर्ष की उम्र में प्रेम को राष्ट्रीय संगठन डेक्स्टेरिटी ग्लोबल ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसे संस्थान में जगह दी. तब से उसे डेक्स्टेरिटी ने लगातार प्रशिक्षित किया. डेक्सटेरिटी ग्लोबल एक राष्ट्रीय संगठन है, जो शैक्षणिक अवसरों और प्रशिक्षण के माध्यम से भारत और विश्व के लिए नेतृत्व की अगली पीढ़ी तैयार करने में जुटा है.