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केरल की पंचायत कार्यालय में अब कोई नहीं कहेगा 'सर' या 'मैडम' - सर' और 'मैडम' जैसे शब्दों के प्रयोग पर रोक लगाने का फैसला किया

केरल की एक पंचायत ने अपने कार्यलय परिसर में 'सर' और 'मैडम' जैसे शब्दों के प्रयोग पर रोक लगाने का फैसला किया है.

केरल पंचायत
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Published : Sep 2, 2021, 3:44 PM IST

पलक्कड़ : उत्तर-केरल के पलक्कड़ जिले में माथुर गांव पंचायत ने एक अनूठी पहल के तहत अपने कार्यालय परिसर में 'सर' और 'मैडम' जैसे औपनिवेशिक काल के आदरसूचक शब्दों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसका मकसद आम जनता, जन प्रतिनिधियों और नगर निकाय अधिकारियों के बीच खाई को भरना और एक-दूसरे के बीच प्यार तथा विश्वास बढ़ाना है.

इसके साथ ही माथुर इस तरह की सलामी के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाला देश का पहला नगर निकाय बन गया है. पंचायत परिषद की हाल की एक बैठक में सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला लिया गया और नए नियम का क्रियान्वयन शुरू किया गया है.

इसे भी पढ़ें-धनशोधन मामले में ईडी के समन के खिलाफ देशमुख ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

राजनीतिक मतभेदों को भूलकर 16 सदस्यीय कांग्रेस शासित गांव में माकपा के सात सदस्यों और भाजपा के एक सदस्य ने इस हफ्ते की शुरुआत में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया था. माथुर पंचायत के उपाध्यक्ष पी आर प्रसाद ने कहा कि इस कदम का मुख्य उद्देश्य पंचायत कार्यालय आने वाले आम लोगों और जन प्रतिनिधियों तथा अधिकारियों के बीच खाई को भरना है.

पंचायत सदस्यों का यह भी मानना था कि ये सम्मान सूचक शब्द औपनिवेशिक काल के अवशेष थे. उन्होंने कहा, लोकतंत्र में लोग सबसे ऊपर हैं और जन प्रतिनिधि और अधिकारी उनकी सेवा करते हैं. उन्हें अपने लिए कुछ कराने के लिए हमसे कोई अनुरोध करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन वे सेवा की मांग कर सकते हैं. क्योंकि यह उनका अधिकार है. पंचायत सदस्यों ने शासकीय भाषा विभाग से 'सर' और 'मैडम' शब्दों के विकल्प मुहैया कराने का भी अनुरोध किया है.

(पीटीआई-भाषा)

पलक्कड़ : उत्तर-केरल के पलक्कड़ जिले में माथुर गांव पंचायत ने एक अनूठी पहल के तहत अपने कार्यालय परिसर में 'सर' और 'मैडम' जैसे औपनिवेशिक काल के आदरसूचक शब्दों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसका मकसद आम जनता, जन प्रतिनिधियों और नगर निकाय अधिकारियों के बीच खाई को भरना और एक-दूसरे के बीच प्यार तथा विश्वास बढ़ाना है.

इसके साथ ही माथुर इस तरह की सलामी के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाला देश का पहला नगर निकाय बन गया है. पंचायत परिषद की हाल की एक बैठक में सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला लिया गया और नए नियम का क्रियान्वयन शुरू किया गया है.

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राजनीतिक मतभेदों को भूलकर 16 सदस्यीय कांग्रेस शासित गांव में माकपा के सात सदस्यों और भाजपा के एक सदस्य ने इस हफ्ते की शुरुआत में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया था. माथुर पंचायत के उपाध्यक्ष पी आर प्रसाद ने कहा कि इस कदम का मुख्य उद्देश्य पंचायत कार्यालय आने वाले आम लोगों और जन प्रतिनिधियों तथा अधिकारियों के बीच खाई को भरना है.

पंचायत सदस्यों का यह भी मानना था कि ये सम्मान सूचक शब्द औपनिवेशिक काल के अवशेष थे. उन्होंने कहा, लोकतंत्र में लोग सबसे ऊपर हैं और जन प्रतिनिधि और अधिकारी उनकी सेवा करते हैं. उन्हें अपने लिए कुछ कराने के लिए हमसे कोई अनुरोध करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन वे सेवा की मांग कर सकते हैं. क्योंकि यह उनका अधिकार है. पंचायत सदस्यों ने शासकीय भाषा विभाग से 'सर' और 'मैडम' शब्दों के विकल्प मुहैया कराने का भी अनुरोध किया है.

(पीटीआई-भाषा)

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