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सांसद नवनीत कौर को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के उस फैसले पर रोक लगा दी जिसमें महाराष्ट्र में आरक्षित अमरावती निर्वाचन क्षेत्र की लोकसभा सांसद नवनीत कौर राणा का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया था.

नवनीत कौर
नवनीत कौर
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Published : Jun 22, 2021, 2:52 PM IST

Updated : Jun 22, 2021, 7:12 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के उस फैसले पर रोक लगा दी जिसमें महाराष्ट्र में आरक्षित अमरावती निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली लोकसभा सांसद नवनीत कौर राणा का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया था.

न्यायमूर्ति विनीत शरण और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने राणा की अपील पर विचार करते हुए महाराष्ट्र सरकार और सांसद के जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ शिकायत करने वाले व्यक्ति समेत अन्य को नोटिस जारी किए.

इससे पहले बंबई उच्च न्यायालय ने 9 जून को राणा के जाति प्रमाण पत्र को यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि उन्होंने इसे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी से हासिल किया है. अदालत ने राणा पर दो लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया था. राणा जिस अमरावती सीट से लोकसभा चुनाव जीती हैं वह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद नवनीत कौर का बयान

पढ़ें - हाईकोर्ट ने रद्द किया सांसद नवनीत कौर का जाति प्रमाण पत्र

बता दें कि बंबई उच्च न्यायालय ने कहा था कि राणा ने अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए 'मोची' जाति से संबंधित होने का दावा किया और यह इस श्रेणी के उम्मीदवार को उपलब्ध होने वाले विभिन्न लाभों को हासिल करने के इरादे से किया गया था जबकि उन्हें मालूम है कि वह उस जाति से संबंधित नहीं हैं.

नवनीत राणा (Navneet Rana) 2019 में महाराष्ट्र के अमरावती लोकसभा (Amravati Lok Sabha) क्षेत्र से निर्वाचित हुयी थीं.

अनुसूचित जाति के उम्मीदवार
उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा, 'आवेदन (जाति प्रमाण पत्र के लिए) जानबूझकर कपटपूर्ण दावा करने के लिए किया गया था ताकि प्रतिवादी संख्या 3 (राणा) को अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के वास्ते आरक्षित सीट पर संसद सदस्य के पद के लिए चुनाव लड़ने में सक्षम बनाया जा सके.' पीठ ने कहा था कि प्रमाणपत्र जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया था और इसलिए ऐसा जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया जाता है.

पढ़ें - शिवसेना नेता ने नवनीत कौर पर लगाए गंभीर आरोप, लोस सदस्यता रद्द करने की मांग

पीठ ने कहा, 'हमारे विचार में प्रतिवादी संख्या तीन ने जाति प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जाति जांच समिति से धोखे से सत्यापित करवाया था. इसलिए जाति प्रमाण पत्र रद्द कर उसे जब्त कर लिया गया है.'

राणा को 'मोची' जाति से संबंधित बताया था
उच्च न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता आनंदराव अदसुले की याचिका पर यह आदेश दिया जिसमें 30 अगस्त, 2013 को मुंबई के उपजिलाधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र रद्द (Caste Certificate Cancel) करने का अनुरोध किया था, जिसमें राणा को 'मोची' जाति से संबंधित बताया गया था.

अदसुले ने बाद में मुंबई जिला जाति प्रमाणपत्र जांच समिति में शिकायत दर्ज कराई, जिसने राणा के पक्ष में फैसला सुनाया और उसके जाति प्रमाण पत्र को मान्य किया. इसके बाद अदसुले ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की. याचिका में दावा किया गया था कि नवनीत राणा के पति रवि राणा के प्रभाव के कारण प्रमाण पत्र प्राप्त किया गया था, जो महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य थे. पीठ ने कहा कि नवनीत राणा के मूल जन्म प्रमाण पत्र में 'मोची' जाति का उल्लेख नहीं है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के उस फैसले पर रोक लगा दी जिसमें महाराष्ट्र में आरक्षित अमरावती निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली लोकसभा सांसद नवनीत कौर राणा का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया था.

न्यायमूर्ति विनीत शरण और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने राणा की अपील पर विचार करते हुए महाराष्ट्र सरकार और सांसद के जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ शिकायत करने वाले व्यक्ति समेत अन्य को नोटिस जारी किए.

इससे पहले बंबई उच्च न्यायालय ने 9 जून को राणा के जाति प्रमाण पत्र को यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि उन्होंने इसे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी से हासिल किया है. अदालत ने राणा पर दो लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया था. राणा जिस अमरावती सीट से लोकसभा चुनाव जीती हैं वह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद नवनीत कौर का बयान

पढ़ें - हाईकोर्ट ने रद्द किया सांसद नवनीत कौर का जाति प्रमाण पत्र

बता दें कि बंबई उच्च न्यायालय ने कहा था कि राणा ने अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए 'मोची' जाति से संबंधित होने का दावा किया और यह इस श्रेणी के उम्मीदवार को उपलब्ध होने वाले विभिन्न लाभों को हासिल करने के इरादे से किया गया था जबकि उन्हें मालूम है कि वह उस जाति से संबंधित नहीं हैं.

नवनीत राणा (Navneet Rana) 2019 में महाराष्ट्र के अमरावती लोकसभा (Amravati Lok Sabha) क्षेत्र से निर्वाचित हुयी थीं.

अनुसूचित जाति के उम्मीदवार
उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा, 'आवेदन (जाति प्रमाण पत्र के लिए) जानबूझकर कपटपूर्ण दावा करने के लिए किया गया था ताकि प्रतिवादी संख्या 3 (राणा) को अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के वास्ते आरक्षित सीट पर संसद सदस्य के पद के लिए चुनाव लड़ने में सक्षम बनाया जा सके.' पीठ ने कहा था कि प्रमाणपत्र जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया था और इसलिए ऐसा जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया जाता है.

पढ़ें - शिवसेना नेता ने नवनीत कौर पर लगाए गंभीर आरोप, लोस सदस्यता रद्द करने की मांग

पीठ ने कहा, 'हमारे विचार में प्रतिवादी संख्या तीन ने जाति प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जाति जांच समिति से धोखे से सत्यापित करवाया था. इसलिए जाति प्रमाण पत्र रद्द कर उसे जब्त कर लिया गया है.'

राणा को 'मोची' जाति से संबंधित बताया था
उच्च न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता आनंदराव अदसुले की याचिका पर यह आदेश दिया जिसमें 30 अगस्त, 2013 को मुंबई के उपजिलाधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र रद्द (Caste Certificate Cancel) करने का अनुरोध किया था, जिसमें राणा को 'मोची' जाति से संबंधित बताया गया था.

अदसुले ने बाद में मुंबई जिला जाति प्रमाणपत्र जांच समिति में शिकायत दर्ज कराई, जिसने राणा के पक्ष में फैसला सुनाया और उसके जाति प्रमाण पत्र को मान्य किया. इसके बाद अदसुले ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की. याचिका में दावा किया गया था कि नवनीत राणा के पति रवि राणा के प्रभाव के कारण प्रमाण पत्र प्राप्त किया गया था, जो महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य थे. पीठ ने कहा कि नवनीत राणा के मूल जन्म प्रमाण पत्र में 'मोची' जाति का उल्लेख नहीं है.

Last Updated : Jun 22, 2021, 7:12 PM IST
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