वाशिंगटन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के संसदीय चुनाव के प्रचार अभियान में शहरी मध्यम वर्ग को आकर्षित करने और अपने पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के वास्ते राष्ट्रवाद से पूर्ण सांस्कृतिक रूप से मजबूत भारत को चित्रित करने के लिए ट्विटर का इस्तेमाल किया था. एक प्रवासी भारतीय (एनआरआई) प्रोफेसर के नेतृत्व में किए अध्ययन में यह दावा किया गया.
इस अध्ययन का शीर्षक ‘ट्वीटिंग टू विन: एनालिसिस सोशल मीडिया यूज इन इंडियाज 2019 नेशनल इलेक्शन’ है और तीन शोधकर्ता इसके सह-लेखक हैं. अन्य दो लेखक भावना वाल और उमाना अंजलिन हैं. एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया अध्ययन में दोनों नेताओं पीएम मोदी और राहुल गांधी के ट्वीट शामिल किए गए और ‘एनवीवो’ तकनीक का उपयोग करके उनका मात्रात्मक और गुणात्मक विश्लेषण किया गया.
उसमें कहा गया कि शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएम मोदी ने अपने अधिकांश ट्वीट (41 प्रतिशत) का इस्तेमाल देश भर में भाजपा की चुनावी रैलियों और कार्यक्रमों के बारे में बात करने के लिए किया, जबकि उनके 17 प्रतिशत ट्वीट उनके राजनीतिक विरोधियों, मुख्य रूप से विपक्षी कांग्रेस पर निशाना साधने पर केन्द्रित थे.
मजूमदार ने कहा कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि बड़ी संख्या में ट्वीट भाजपा के चुनावी कार्यक्रमों को समर्पित थे. भाजपा भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और इसका उद्देश्य अभियान के दौरान अपने कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए पार्टी के साथ लोगों का जुड़ाव दिखाना था.
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में राष्ट्रवाद पर जोर दिया. मजूमदार ने कहा कि उनके लगभग 13 प्रतिशत ट्वीट में राष्ट्रवाद का उल्लेख पाया गया, जिसे पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों के खिलाफ भारतीय हवाई हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
मजूमदार ने कहा कि इसका उद्देश्य पाकिस्तान के खिलाफ हवाई हमलों से उत्पन्न प्रभाव का इस्तेमाल चुनाव में करना था. संस्कृति दशकों से भाजपा के अभियान की आधारशिला रही है, पीएम मोदी के ट्वीट में भी इसका एक महत्वपूर्ण उल्लेख पाया गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएम मोदी ने अभियान के दौरान एक दिन में औसतन 10 से अधिक ट्वीट किए, जो अध्ययन के अनुसार, प्रधानमंत्री द्वारा सोशल मीडिया के बहुत प्रभावी उपयोग की ओर इशारा करता है.
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सांख्यिकीय विश्लेषण के जरिए शोधकर्ताओं ने तीन प्रमुख तथ्यों की पहचान की जिसमें पीएम मोदी ने राहुल गांधी से अधिक ट्वीट किए और वे थे राष्ट्रवाद, संस्कृति और राजनीतिक गठबंधन. जबकि, राहुल गांधी ने भारत की अर्थव्यवस्था की निराशाजनक स्थिति के बारे में ट्वीट किए और यह बताने की कोशिश की कि देश में सब ठीक नहीं है.
अध्ययन में पाया गया कि जबकि दोनों राजनेताओं ने कई मुद्दों के बारे में ट्वीट किया, लेकिन उन्होंने ग्रामीण गरीबों के विकास संबंधी मुद्दों पर कम ध्यान केन्द्रित किया. पीएम मोदी ने केवल तीन प्रतिशत और राहुल गांधी ने पांच प्रतिशत ट्वीट विकास के संबंध में किए. मजूमदार ने इसके लिए भारत में ग्रामीणों के बीच इंटरनेट की कमी को एक बड़ा कारण बताया.
साथ ही दोनों राजनेताओं के ट्वीट में धर्म और अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों का कम उल्लेख पाया गया. दोनों ने सुरक्षित राह चुनी और अभियान के दौरान विभाजनकारी मुद्दों में तल्लीन होने से परहेज किया.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी भारत के लिए एक वैकल्पिक योजना बताने के लिए ट्विटर का उपयोग करने में कम सफल रहे, जिसका पीएम मोदी ने पूरी निपुणता के साथ इस्तेमाल किया.
(पीटीआई-भाषा)