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कबाड़ को बनाया रोजगार का जुगाड़! एमबीए की पढ़ाई कर कचरा बेच रहे हैं शुभम

जुगाड़, भारत में ये बहुत चर्चित है. इसके जरिए सीमित संसाधन में काफी कुछ किया जा सकता है. एमबीए पढ़कर शुभम ने कबाड़ को रोजगार का साधन बनाकर कुछ ऐसा ही किया है. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए कबाड़ से उनके जुगाड़ की पूरी कहानी.

कबाड़ जुगाड़
कबाड़ जुगाड़
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Published : Oct 27, 2021, 7:31 AM IST

Updated : Oct 27, 2021, 12:38 PM IST

रांची : कहते हैं अगर इंसान में जुनून और जज्बा हो तो वह मिट्टी को भी सोना बना सकता है. झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र गुमला के रहने वाले शुभम कुमार जयसवाल ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया. उन्होंने कबाड़ को आमदनी और रोजगार का साधन बनाया.

वर्ष 2014 में एमबीए की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने नौकरी लेने का प्रयास किया ताकि वह अपना जीवन यापन अच्छी तरीके से कर सकें. लेकिन डिग्री होने के बावजूद भी उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिली. जिसके बाद उन्होंने ठान लिया कि वह स्वरोजगार की शुरुआत कर अपने राज्य और समाज के लोगों का उत्थान करेंगे.

कबाड़ को बनाया रोजगार का जुगाड़

शुभम जयसवाल बताते हैं कि एमबीए की डिग्री लेने के बाद उन्होंने नौकरी करने का प्रयास किया पर नौकरी नहीं मिली. आज की तारीख में सरकारी नौकरी बहुत ही मुश्किल है और निजी कंपनियां में जल्दी नौकरी नहीं मिल पाती है. इसी को देखते हुए उन्होंने स्वरोजगार करने की मन में ठान ली.

एक दिन अपने रोजगार की शुरुआत करने को लेकर शुभम जयसवाल विचार विमर्श कर रहे थे कि तभी कबाड़ी रिक्शेवाले से मुलाकात हुई. उन्होंने उनसे बात की और फिर उसी वक्त उन्होंने मन बना लिया कि अब एमबीए कर कबाड़ के खरीद-बिक्री का ही काम करना है और इसी व्यापार को आगे बढ़ाना है.

उन्होंने अपने कुछ मित्रों को साथ लेकर इस व्यापार की शुरुआत कर दी जिसमें उन्होंने एक kabadi.com वेबसाइट बनाया. जिसके माध्यम से लोग घर बैठे ही अपने घरों का कूड़ा और कबाड़ बेच सकते हैं.

Kabadi.com को अपने स्मार्टफोन पर प्ले स्टोर से डाउनलोड करें फिर उस ऐप पर जाकर अपने घर के सभी कबाड़ को बेचने के लिए संपर्क करें. इससे लोगों को कबाड़ी वाले के आने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अब लोग जैसे ही kabadi.com को सूचित करेंगे, इस कंपनी के लोग सीधे ग्राहक के घर पर पहुंचेंगे और उनके घर के कबाड़ को लेकर चले जाएंगे.

पढ़ें :- मजदूर महेश के आविष्कार को देख हंसते थे गांव वाले, अब बुला रहे 'इंजीनियर', जानिए मामला

शुभम बताते हैं कि 5 वर्ष पहले जब इस व्यापार की शुरुआत की थी तो उस वक्त उन्हें काफी नुकसान सहना पड़ा था. काम में जुड़े लोगों को अपनी जमा पूंजी से पैसा निकालकर सैलरी देनी पड़ रही थी. लेकिन धीरे-धीरे मुनाफा होने लगा. Kabadi.com के ऑफिस में काम कर रही लड़कियां बताती हैं कि वे पिछले 4 वर्षों से इस संस्था में काम कर रही है. शुरुआत के दिनों में जब वह लोगों को बताती थी कि उनका काम कबाड़ के समान को खरीदना और बेचना है, तो लोग उन्हें नीची निगाह से देखते थे. लेकिन जब धीरे-धीरे इस व्यापार को बढ़ावा मिलने लगा तो लोग भी इज्जत की नजर से देखने लगे.

Kabadi.com के संस्थापक शुभम जयसवाल बताते हैं कि इस व्यापार में सफलता मिलने के बाद हम आज के युवाओं को यही संदेश देंगे कि अपनी सोच को बदलें और किसी भी काम को छोटा या बड़ा ना समझे. शुभम बताते हैं कि लोग अगर अपनी सोच को बड़ा रखेंगे तभी कुछ बेहतर कर पाएंगे.

Kabadi.com से लाभान्वित हो रहे स्थानीय लोगों ने भी कहा कि आज की तारीख में सभी चीज डिजिटलाइज हो गई है. लोग चाहते हैं कि घर बैठे ही उन्हें सभी सुविधा मिल जाए. ऐसे में अगर घर बैठे कबाड़ बिक जाए तो यह निश्चित रूप से लोगों के लिए फायदेमंद है.

रांची : कहते हैं अगर इंसान में जुनून और जज्बा हो तो वह मिट्टी को भी सोना बना सकता है. झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र गुमला के रहने वाले शुभम कुमार जयसवाल ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया. उन्होंने कबाड़ को आमदनी और रोजगार का साधन बनाया.

वर्ष 2014 में एमबीए की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने नौकरी लेने का प्रयास किया ताकि वह अपना जीवन यापन अच्छी तरीके से कर सकें. लेकिन डिग्री होने के बावजूद भी उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिली. जिसके बाद उन्होंने ठान लिया कि वह स्वरोजगार की शुरुआत कर अपने राज्य और समाज के लोगों का उत्थान करेंगे.

कबाड़ को बनाया रोजगार का जुगाड़

शुभम जयसवाल बताते हैं कि एमबीए की डिग्री लेने के बाद उन्होंने नौकरी करने का प्रयास किया पर नौकरी नहीं मिली. आज की तारीख में सरकारी नौकरी बहुत ही मुश्किल है और निजी कंपनियां में जल्दी नौकरी नहीं मिल पाती है. इसी को देखते हुए उन्होंने स्वरोजगार करने की मन में ठान ली.

एक दिन अपने रोजगार की शुरुआत करने को लेकर शुभम जयसवाल विचार विमर्श कर रहे थे कि तभी कबाड़ी रिक्शेवाले से मुलाकात हुई. उन्होंने उनसे बात की और फिर उसी वक्त उन्होंने मन बना लिया कि अब एमबीए कर कबाड़ के खरीद-बिक्री का ही काम करना है और इसी व्यापार को आगे बढ़ाना है.

उन्होंने अपने कुछ मित्रों को साथ लेकर इस व्यापार की शुरुआत कर दी जिसमें उन्होंने एक kabadi.com वेबसाइट बनाया. जिसके माध्यम से लोग घर बैठे ही अपने घरों का कूड़ा और कबाड़ बेच सकते हैं.

Kabadi.com को अपने स्मार्टफोन पर प्ले स्टोर से डाउनलोड करें फिर उस ऐप पर जाकर अपने घर के सभी कबाड़ को बेचने के लिए संपर्क करें. इससे लोगों को कबाड़ी वाले के आने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अब लोग जैसे ही kabadi.com को सूचित करेंगे, इस कंपनी के लोग सीधे ग्राहक के घर पर पहुंचेंगे और उनके घर के कबाड़ को लेकर चले जाएंगे.

पढ़ें :- मजदूर महेश के आविष्कार को देख हंसते थे गांव वाले, अब बुला रहे 'इंजीनियर', जानिए मामला

शुभम बताते हैं कि 5 वर्ष पहले जब इस व्यापार की शुरुआत की थी तो उस वक्त उन्हें काफी नुकसान सहना पड़ा था. काम में जुड़े लोगों को अपनी जमा पूंजी से पैसा निकालकर सैलरी देनी पड़ रही थी. लेकिन धीरे-धीरे मुनाफा होने लगा. Kabadi.com के ऑफिस में काम कर रही लड़कियां बताती हैं कि वे पिछले 4 वर्षों से इस संस्था में काम कर रही है. शुरुआत के दिनों में जब वह लोगों को बताती थी कि उनका काम कबाड़ के समान को खरीदना और बेचना है, तो लोग उन्हें नीची निगाह से देखते थे. लेकिन जब धीरे-धीरे इस व्यापार को बढ़ावा मिलने लगा तो लोग भी इज्जत की नजर से देखने लगे.

Kabadi.com के संस्थापक शुभम जयसवाल बताते हैं कि इस व्यापार में सफलता मिलने के बाद हम आज के युवाओं को यही संदेश देंगे कि अपनी सोच को बदलें और किसी भी काम को छोटा या बड़ा ना समझे. शुभम बताते हैं कि लोग अगर अपनी सोच को बड़ा रखेंगे तभी कुछ बेहतर कर पाएंगे.

Kabadi.com से लाभान्वित हो रहे स्थानीय लोगों ने भी कहा कि आज की तारीख में सभी चीज डिजिटलाइज हो गई है. लोग चाहते हैं कि घर बैठे ही उन्हें सभी सुविधा मिल जाए. ऐसे में अगर घर बैठे कबाड़ बिक जाए तो यह निश्चित रूप से लोगों के लिए फायदेमंद है.

Last Updated : Oct 27, 2021, 12:38 PM IST
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