नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र का आज 5वां दिन है. दोनों सदनों में जमकर शोर-शराबा हुआ. हालांकि, इसी बीच लोक सभा में फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) बिल, 2020 (Factoring Regulation Amendment Bill) से जुड़े कुछ अहम संशोधन पारित कराए गए. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने विधेयक से जुड़े संशोधनों को लोक सभा पटल पर रखा.
इस विधेयक में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों को ऋण सुविधा प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त रास्ते सुलभ कराने का प्रस्ताव किया गया है. निचले सदन में विधेयक को सदन से पारित करने की अपील करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2011 के कानून में सरकार कुछ संशोधन कर रही है. यू के सिन्हा समिति की सिफारिशों के आधार पर विधेयक में तीन संशोधन लाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि 14 सितंबर, 2020 में इस विधेयक को पेश किया गया था. 24 सितंबर को इसे स्थायी समिति को भेजा जाएगा. स्थायी समिति की सभी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है. वित्त मंत्री ने सदस्यों से कहा, 'एमएसएमएई को इससे लाभ मिलेगा . मैं अपील करती हूं कि आप लोग इस संशोधन विधेयक को पारित करें.'
हंगामे के बीच ही पीठासीन रमा देवी ने विधेयक पर पेश किए गए संशोधनों पर संक्षिप्त चर्चा कराई और संशोधनों को मंजूरी मिलने के बाद विधेयक को पारित घोषित किया गया.
उल्लेखनीय है कि जब एक पक्ष अपनी प्राप्तियां, जिनका भुगतान अभी नहीं किया गया है, उसे किसी दूसरे पक्ष को बेच देता है तो उसे फैक्टरिंग कहा जाता है. विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि इस बारे में वर्ष 2019-20 तथा वर्ष 2020-21 के बजट संबोधन में घोषणा की गई थी.
इन संशोधनों के माध्यम से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों की प्रत्यय सुविधा प्राप्त करने के लिये और रास्ते उपलब्ध कराकर, खासतौर पर व्यापार से प्राप्त होने वाली आय के माध्यम से सहायता प्रदान करने की बात कही गई है.
इसमें कहा गया है कि इसके तहत कार्यशील पूंजी की उपलब्धता में वृद्धि से सूक्ष्म, लधु और मध्यम उपक्रमों से जुड़े क्षेत्र के कारोबार में वृद्धि और देश में रोजगार को बढ़ावा मिल सकेगा. इसमें अन्य बातों के अलावा 'प्रेषण', 'फैक्टर कारोबार' और 'प्राप्तव्यों' की परिभाषा में संशोधन करने की बात कही गई है ताकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की परिभाषा के अनुरूप लाया जा सके.
बता दें कि इससे पहले लोकसभा में 14 सितंबर, 2020 को फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) बिल, 2020 को पेश किया गया था. पेश विधेयक से फैक्टरिंग रेगुलेशन एक्ट, 2011 में संशोधन किया गया. सरकार का कहना है कि कानून में संशोधन के बाद फैक्टरिंग बिजनेस करने वाली इकाईयों को इसके प्रावधानों से लाभ मिलेगा.
यह भी पढ़ें- स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई केंद्र की प्राथमिकता, रिसर्च को भी प्रोत्साहन : शिक्षा मंत्री
गौरतलब है कि फैक्टरिंग रेगुलेशन एक्ट (Factoring Regulation Act), 2011 के अंतर्गत फैक्टरिंग एक ऐसा बिजनेस है जिसमें एक इकाई (जिसे फैक्टर कहा जाता है) दूसरे इकाई (जिसे एसाइनर कहा जाता है) के रिसिवेबल्स को एक राशि के बदले हासिल करती है.
(पीटीआई-भाषा इनपुट)