नई दिल्ली : कांग्रेस ने कृषि संबंधी विधेयकों के खिलाफ शनिवार को सोशल मीडिया अभियान की शुरुआत की. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोगों से इससे जुड़ने की अपील करते हुए कहा कि किसानों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ सबको मिलकर आवाज उठानी चाहिए. कांग्रेस ने कृषि संबंधी विधेयकों के विरोध में 'स्पीक अप फॉर फार्मर्स' अभियान शुरू किया है. इस अभियान के तहत राहुल गांधी और कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने वीडियो जारी कर इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की.
मोदी जी, भारत की आवाज सुनो : राहुल गांधी
राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि किसानों की मांगें जायज हैं. मोदी जी, भारत की आवाज सुनो. राहुल गांधी ने अपने वीडियो में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आप पर लगातार हमला हो रहा है. पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब कोरोन के दौरान आपको कोई आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है. तीन कृषि बिलों के जरिए आपको उद्योगपतियों का गुलाम बनाकर मारने की कोशिश है. हम आपके साथ एकजुटता से खड़े हैं और हम इन बिलों को कानून बनने से रोकेंगे. साथ में हम इसके खिलाफ लड़ेंगे. गांधी ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि आपने बहुत बड़ी गलती की है, अगर किसान सड़क पर आ गए तो बहुत बड़ा नुकसान होगा. इन बिलों को तुरंत रोल-बैक करें और किसानों को एमएसपी की गारंटी दें.
एपीएमसी किसानों के लिए एक सुरक्षा : पी चिदंबरम
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि कृषि उपज विपणन (एपीएमसी) कानून आज किसानों के बड़े तबके के लिए एक सुरक्षा है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मूल्य निर्धारण का एक संकेत है, जिसके आधार पर बाजार कीमतें तय करता है. किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के तीन बिलों किसान और उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक 2020 और कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल 2020 का विरोध किया है.
भाजपा ने पूंजीवादी मित्रों की मदद की : केसी वेणुगोपाल
लोक सभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी प्रधानमंत्री को ट्वीट करके इन बिलों को लेकर सरकार पर निशाना साधा. ट्वीट कर लिखा कि नरेंद्र मोदी जी, आप सोच नहीं सकते कि किसानों में कितना गुस्सा है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इन विधेयकों को पारित कर भाजपा ने पूंजीवादी मित्रों की मदद की है. कांग्रेस नेता राजीव गौड़ा ने वीडियो में कहा कि जो तीन कृषि बिल पास किए गए हैं, वे किसान विरोधी हैं, उन्हें वापस लेना चाहिए. वे किसानों की स्थिति को कमजोर करते हैं.