ETV Bharat / bharat

हिमालय क्षेत्र में इंडियन प्लेट से टकरा रही यूरेशियन प्लेट, इस वजह से आ रहे भूकंप के झटके

पाकिस्तान के कई शहरों में मंगलवार को भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए. तो वहीं PoK में 19 लोगों की मौत हो गई है. जबकि अलग-अलग जगहों पर 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.

भूकंप
author img

By

Published : Sep 26, 2019, 1:52 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 2:07 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड राज्य अपने विषम भौगोलिक परिस्थितियों के साथ-साथ भूकंप के लिहाज से भी बेहद संवेदनशील है. वहीं, अगर उत्तराखंड के 13 जिलों की बात करें तो उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी और पिथौरागढ़ के क्षेत्र भूकंप के लिहाज से अतिसंवेदनशील क्षेत्रों की श्रेणी में आते हैं.

यही कारण है कि इन जिलों के क्षेत्रों में अक्सर भूकंप के झटके महसूस किए जाते रहते हैं. इसी तरह बीते मंगलवार को पीओके में आए भूकंप के झटके राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के कई हिस्सों में भी महसूस किये गये. हालांकि उत्तराखंड में यह झटका बहुत ही कम तीव्रता का था.

पढ़ें: फोन टैपिंग मामला: बेंगलुरु के पूर्व पुलिस आयुक्त के घर पर CBI की छापेमारी

देहरादून स्तिथ वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर में आये भूकम्प का केंद्र बिंदु पाकिस्तान के मीरपुर से तीन किलोमीटर साउथ वेस्ट की तरफ था. यह भूकंप 6.2 मैग्नीट्यूड का था, जो जमीनी सतह से करीब 35.5 किलोमीटर नीचे से आया था. साथ ही बताया कि इंडियन प्लेट का यूरेशियन प्लेट के भीतर घुसने की वजह से ही पूरे हिमालय में तनाव पैदा हो रहा है. यही नहीं हर साल इंडियन प्लेट, यूरेशियन प्लेट के भीतर 40 से 50 मिलीमीटर तक क्लोइड कर रहा है. जिस वजह से ही कश्मीर, नेपाल और पाकिस्तान में भूकंप आ रहे है. यही वजह है कि इससे पहले पाकिस्तान में साल 2005 में जो भूकंप आया था, वह भूकंप 7.6 मेग्नीट्यूड का था.

क्यों आता है भूकंप ?

वाडिया के वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार रूहेला ने बताया कि जब दो या दो से अधिक प्लेटें टकराती हैं या फिर प्लेटों के बीच घर्षण होता है तो उससे उस क्षेत्र में तनाव पैदा है. जिस वजह से भूकंप आता है. साथ ही बताया कि जो भूकंप हिमालय क्षेत्रों में आते हैं उसे टेस्टानिक भूकंप कहते हैं. सामान्यत हिमालय क्षेत्रों में जो भूकंप आते हैं, उसका केंद्र बिंदु जमीन की सतह से 10 से 20 किलोमीटर नीचे होता है.

वाडिया के वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार रूहेला जानकारी देते हुए
भूकंप के पूर्वानुमान के लिए नही है कोई तकनीकी

वैज्ञानिक सुशील ने बताया कि भूकंप से पहले भूकंप की लोकेशन और टाइम के बारे में प्रेडिक्शन करने की तकनीकी अभी तक विकसित नहीं हो पाई है. हालांकि, भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के किसी देश के पास कोई ऐसी तकनीकी नहीं है. जिससे वो भूकंप के आने से पहले भूकंप और उसकी जगह के बारे में बता पाएं. साथ ही बताया कि हिमालय रेंज में भूकंप के मेग्नीट्यूड को जानने के लिए भूकंप की जानकारी को इकट्ठा करने के लिए वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान द्वारा 54 ब्रॉडबैंड, सिस्मोग्राफ, 20 एक्सलोग्राफ और 40 जीपीएस को परमानेंट लगाया गया है, ताकि भूकंप के सरफेश में क्या होता है उसे समझा जा सके.

उन्होंने बताया कि जो पूरा गढ़वाल और हिमालय एरिया है, वह पूरा क्षेत्र तनाव में है. यही वजह है कि साल 2017 में इस दशक का सबसे बड़ा भूकंप रुद्रप्रयाग में आया था. जिसका रिक्टर स्केल 5.7 मैग्नीट्यूड मापा गया था. यही नहीं उसके बाद कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए है. यही नहीं इस समय रुद्रप्रयाग और धारचूला क्षेत्र के तरफ भूकंप की फ्रीक्वेंसी ज्यादा है.

उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में आये भूकंप के आंकड़े

साल भूकंप के झटके
2015 13
2016 17
2017 17
2018 12


उत्तराखंड समेत सभी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पिछले साल यानी 2018 में 350 से अधिक, भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे. जिसमे से 3.5 और 4.5 मैग्नीट्यूड के 12 भूकंप के हल्के झटके गढ़वाल और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर महसूस किए गए थे. इसके अवाला भारत समेत अन्य एशियन देशों में लगभग 3000 हल्की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.

देहरादून: उत्तराखंड राज्य अपने विषम भौगोलिक परिस्थितियों के साथ-साथ भूकंप के लिहाज से भी बेहद संवेदनशील है. वहीं, अगर उत्तराखंड के 13 जिलों की बात करें तो उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी और पिथौरागढ़ के क्षेत्र भूकंप के लिहाज से अतिसंवेदनशील क्षेत्रों की श्रेणी में आते हैं.

यही कारण है कि इन जिलों के क्षेत्रों में अक्सर भूकंप के झटके महसूस किए जाते रहते हैं. इसी तरह बीते मंगलवार को पीओके में आए भूकंप के झटके राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के कई हिस्सों में भी महसूस किये गये. हालांकि उत्तराखंड में यह झटका बहुत ही कम तीव्रता का था.

पढ़ें: फोन टैपिंग मामला: बेंगलुरु के पूर्व पुलिस आयुक्त के घर पर CBI की छापेमारी

देहरादून स्तिथ वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर में आये भूकम्प का केंद्र बिंदु पाकिस्तान के मीरपुर से तीन किलोमीटर साउथ वेस्ट की तरफ था. यह भूकंप 6.2 मैग्नीट्यूड का था, जो जमीनी सतह से करीब 35.5 किलोमीटर नीचे से आया था. साथ ही बताया कि इंडियन प्लेट का यूरेशियन प्लेट के भीतर घुसने की वजह से ही पूरे हिमालय में तनाव पैदा हो रहा है. यही नहीं हर साल इंडियन प्लेट, यूरेशियन प्लेट के भीतर 40 से 50 मिलीमीटर तक क्लोइड कर रहा है. जिस वजह से ही कश्मीर, नेपाल और पाकिस्तान में भूकंप आ रहे है. यही वजह है कि इससे पहले पाकिस्तान में साल 2005 में जो भूकंप आया था, वह भूकंप 7.6 मेग्नीट्यूड का था.

क्यों आता है भूकंप ?

वाडिया के वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार रूहेला ने बताया कि जब दो या दो से अधिक प्लेटें टकराती हैं या फिर प्लेटों के बीच घर्षण होता है तो उससे उस क्षेत्र में तनाव पैदा है. जिस वजह से भूकंप आता है. साथ ही बताया कि जो भूकंप हिमालय क्षेत्रों में आते हैं उसे टेस्टानिक भूकंप कहते हैं. सामान्यत हिमालय क्षेत्रों में जो भूकंप आते हैं, उसका केंद्र बिंदु जमीन की सतह से 10 से 20 किलोमीटर नीचे होता है.

वाडिया के वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार रूहेला जानकारी देते हुए
भूकंप के पूर्वानुमान के लिए नही है कोई तकनीकी

वैज्ञानिक सुशील ने बताया कि भूकंप से पहले भूकंप की लोकेशन और टाइम के बारे में प्रेडिक्शन करने की तकनीकी अभी तक विकसित नहीं हो पाई है. हालांकि, भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के किसी देश के पास कोई ऐसी तकनीकी नहीं है. जिससे वो भूकंप के आने से पहले भूकंप और उसकी जगह के बारे में बता पाएं. साथ ही बताया कि हिमालय रेंज में भूकंप के मेग्नीट्यूड को जानने के लिए भूकंप की जानकारी को इकट्ठा करने के लिए वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान द्वारा 54 ब्रॉडबैंड, सिस्मोग्राफ, 20 एक्सलोग्राफ और 40 जीपीएस को परमानेंट लगाया गया है, ताकि भूकंप के सरफेश में क्या होता है उसे समझा जा सके.

उन्होंने बताया कि जो पूरा गढ़वाल और हिमालय एरिया है, वह पूरा क्षेत्र तनाव में है. यही वजह है कि साल 2017 में इस दशक का सबसे बड़ा भूकंप रुद्रप्रयाग में आया था. जिसका रिक्टर स्केल 5.7 मैग्नीट्यूड मापा गया था. यही नहीं उसके बाद कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए है. यही नहीं इस समय रुद्रप्रयाग और धारचूला क्षेत्र के तरफ भूकंप की फ्रीक्वेंसी ज्यादा है.

उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में आये भूकंप के आंकड़े

साल भूकंप के झटके
2015 13
2016 17
2017 17
2018 12


उत्तराखंड समेत सभी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पिछले साल यानी 2018 में 350 से अधिक, भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे. जिसमे से 3.5 और 4.5 मैग्नीट्यूड के 12 भूकंप के हल्के झटके गढ़वाल और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर महसूस किए गए थे. इसके अवाला भारत समेत अन्य एशियन देशों में लगभग 3000 हल्की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.

Intro:उत्तराखंड राज्य अपने विषम भौगोलिक परिस्थितियों के साथ ही भूकंप के लिहाज से भी बेहद संवेदनशील है। वहीं, अगर उत्तराखंड के 13 जिलों की बात करें तो उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी और पिथौरागढ़ के क्षेत्र भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील क्षेत्रों की श्रेणी में आते हैं। यही कारण है कि इन जिलों के क्षेत्रों में अक्सर भूकंप के झटके महसूस किए जाते रहते हैं। इसी तरह बीते मंगलवार को पीओके में आये भूकंप के झटके राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के कई हिस्सों में भी महसूस किया गया। हालांकि उत्तराखंड में यह झटका बहुत ही कम तीव्रता का महसूस किया गया था। आखिर क्यों आता है भूकंप और क्या है भूकंप के पूर्वानुमान की स्तिथि, देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट........




Body:तो वही देहरादून स्तिथ वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर में आये भूकम्प का केंद्र बिंदु पाकिस्तान के मीरपुर से तीन किलोमीटर साउथ वेस्ट की तरफ का है। यह भूकंप 6.2 मैग्नीट्यूड का था, जो जमीनी सतह से करीब 35.5 किलोमीटर नीचे से आया था। साथ ही बताया कि इंडियन प्लेट का यूरेशियन प्लेट के भीतर घुसने की वजह से ही पूरे हिमालय में तनाव पैदा हो रहा है। यही नही हर साल इंडियन प्लेट, यूरेशियन प्लेट के भीतर 40 से 50 मिलीमीटर तक क्लोइड कर रहा है। जिस वजह से ही कश्मीर, नेपाल और पाकिस्तान में भूकंप आ रहे है। यही वजह है कि इससे पहले पाकिस्तान में साल 2005 में जो भूकंप आया था, वह भूकंप 7.6 मेग्नीट्यूड का था। 


क्यो आता है भूकंप.......

वाडिया के वैज्ञानिक डॉ सुशील कुमार रूहेला ने बताया कि जब दो या दो से अधिक प्लेटें आपस मे टकराती है या फिर प्लेटों के बीच घर्षण होता है तो उससे उस क्षेत्र में तनाव पैदा है। जिस वजह से भूकंप आता है। साथ ही बताया कि जो भूकंप हिमालय क्षेत्रो में आते हैं उसे टेस्टानिक भूकंप कहते हैं। और सामान्यतः हिमालय क्षेत्रो में जो भूकंप आते हैं, उसका केंद्र बिंदु जमीन की सतह से 10 से 20 किलोमीटर नीचे होता है। 


भूकंप के पूर्वानुमान के लिए नही है कोई तकनीकी.....

वही वैज्ञानिक सुशील ने बताया कि भूकंप से पहले भूकंप के लोकेशन और टाइम के बारे में प्रेडिक्शन करने की तकनीकी अभी तक विकसित नही हो पाई है। हालांकि भारत में ही नही बल्कि दुनिया के किसी देश के पास कोई ऐसी तकनीकी नही है। जिससे वो भूकंप के आने से पहले भूकंप और उसके जगह के बारे में बता पाए। साथ ही बताया कि हिमालय रेंज में भूकंप के मेग्नीट्यूड को जानने के लिए भूकंप की जानकारी को इकट्ठा करने के लिए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान द्धारा 54 ब्रॉडबैंड सिस्मोग्राफ, 20 एक्सलोग्राफ और 40 जीपीएस को परमानेंट लगाया गया है। ताकि भूकंप के सरफेश में क्या होता है उसे समझा जा सके। 


साथ ही वैज्ञानिक सुशील ने बताया कि जो पूरा गढ़वाल और हिमालय एरिया है, वह पूरा क्षेत्र तनाव में है। यही वजह है कि साल 2017 में इस दशक का सबसे बड़ा भूकंप रुद्रप्रयाग में आया था। जिसका रिक्टर स्केल 5.7 मैग्नीट्यूड मापा गया था। यही नही उसके बाद कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए है। यही नही इस समय रुद्रप्रयाग और धारचूला क्षेत्र के तरफ भूकंप की फ्रीक्वेंसी ज्यादा है। 


....उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में आये भूकंप के आंकड़े.......

साल 2015 में 13 भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

साल 2016 में 17 भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

साल 2017 में 17 भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

साल 2018 में 12भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।





Conclusion:यही नही उत्तराखंड समेत सभी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पिछले साल यानी 2018 में 350 से अधिक, भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे। जिसमे से 3.5 और 4.5 मैग्नीट्यूड के 12 भूकंप के हल्के झटके गढ़वाल और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर महसूस किए गए थे। इसके अवाला भारत समेत अन्य एशियन देशों में लगभग 3000 हल्की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

Last Updated : Oct 2, 2019, 2:07 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.