नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद से यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि पूरा देश सीमा पर तैनात सैनिकों के साथ खड़ा है. इसे चीन के संदर्भ में देखा जा रहा है. ताजा घटनाक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारत-चीन गतिरोध को लेकर संसद में बयान दिया. रक्षा मंत्री ने कहा कि हम शांति चाहते हैं, किंतु हमारी सेना हर चुनौती से निबटने के लिए तैयार है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा में भारत चीन विवाद को लेकर कहा है कि भारत और चीन सीमा मुद्दा अभी भी अनसुलझा है. अब तक, पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान नहीं हुआ है. चीन ने एलएसी और आंतरिक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सेना की बटालियन और सेनाएं जुटाई हैं. पूर्वी लद्दाख, गोगरा, कोंगका ला, पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण में कई बिंदु हैं भारतीय सेना ने इन क्षेत्रों में काउंटर तैनाती की है.
सिंह ने कहा, मैं यह बताना चाहता हूं कि सरकार की विभिन्न इंटेलिजेंस एजेंसियों के बीच पूरा तालमेल है. टेक्निकल और ह्यूमन इंटेलिजेंस को इकट्ठा किया जाता है और सशस्त्र बलों से साझा किया जाता है.
राजनाथ सिंह ने सदन को अवगत कराया कि चाईना, भारत की लगभग 38,000 स्क्वायर किलोमीटर भूमि का अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है. इसके अलावा, 1963 में एक तथाकथित बाउंड्री एग्रीमेंट के तहत, पाकिस्तान ने PoK की 5180 स्क्वायर किलोमीटर भारतीय जमीन अवैध रूप से चाईना को सौंप दी है.
मैं यह भी बताना चाहता हूं कि अभी तक भारत-चीन के बॉर्डर इलाके में कॉमनली डेलीनिएटिड LAC नहीं है और LAC को लेकर दोनों की धारणा अलग-अलग है. चीन सीमा के पारंपरिक और प्रथागत संरेखण की पहचान नहीं करता है. हम मानते हैं कि यह संरक्षण अच्छी तरह से स्थापित भौगोलिक रियासतों पर आधारित है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमने चीन को कूटनीतिक माध्यमों से बताया है कि द्विपक्षीय समझौतों के उल्लंघन कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिशें की गई. चीनी सैनिकों का हिंसक आचरण पिछले सभी समझौतों का उल्लंघन है. हमारे सैनिकों ने हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए क्षेत्र में बलों की तैनाती की है.
दोनों देशों ने 6 जून को बैठक कर यह तय किया कि दोनों देश सेनाओं की तैनाती कम करेंगे, लेकिन चीन ने हिंसक टकराव किया. हमारे बहादुर जवानों ने जान का बलिदान दिया और चीन को भारी नुकसान पहुंचाया. हमारे बहादुर जवानों ने जहां संयम की जरूरत थी, वहां संयम और जहां शौर्य की जरूरत थी, वहां शौर्य दिखाया.
उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों सहमत हैं कि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए, द्विपक्षीय संबंधों के आगे विकास के लिए आवश्यक है. रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे जवानों ने सीमा ने पर दिलेरी दिखाई. जवानों की प्रशंसा की जानी चाहिए.
राजनाथ सिंह ने बताया कि समस्त देशवासी अपने वीर जवानों के साथ खड़े हैं. मैंने भी लद्दाख जाकर अपने शूरवीरों के साथ समय बिताया है और मैं आपको ये बताना चाहता हूं कि मैंने उनके अदम्य साहस और शौर्य को महसूस भी किया है.
सदन जानता है कि भारत-चीन की सीमा का प्रश्न अब तक हल नहीं हुआ है. भारत-चीन की सीमा का ट्रेडिशनल अलाइनमेंट चीन नहीं मानता. दोनों देश भौगोलिक स्थितियों से अवगत हैं. चीन मानता है कि इतिहास में जो तय हुआ, उस बारे में दोनों देशों की अलग-अलग व्याख्या है. दोनों देशों के बीच आपस में रजामंदी वाला समाधान नहीं निकल पाया है.
चीन की कार्रवाई का भारतीय सेना ने माकूल जवाब दिया है. सदन को आश्वस्त होना चाहिए और हमारी फोर्स पर गर्व करना चाहिए. अभी जो स्थिति बनी है वह संवेदनशील है, इस बारे में ज्यादा चर्चा नहीं करुंगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने बॉर्डर स्ट्रक्चर पर विकास किया है. चीन का बॉर्डर एरिया पर पहुंच बढ़ी है. लेकिन मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सेना हर परिस्थिति से निपटने को तैयार है. इस पर किसी को संदेह नहीं होना चाहिए. सीमा पर रह तरह की व्यवस्था की गई है. उनके उत्साह में किसी तरह की कोई कमी नहीं है. लद्दाख में भारत चुनौती का सामना कर रहा है. हमारी सेना विषम परिस्थिति में देश की सेवा में लगी है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत बातचीत के जरिए विवाद का हल चाहता है. इस उद्देश्य को पाने के लिए मैं चीन के रक्षा मंत्री से मॉस्को से मिला. मैंने साफ तरीके से चीन के सामने भारत का पक्ष रखा. हम चाहते हैं कि चीन हमारे साथ मिलकर काम करे. हमने यह भी साफ किया कि हम देश की संप्रभुता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर भी चीन के विदेश मंत्री से मिले. बीते समय में भी चीन से गतिरोध बना, लेकिन शांति से इसका समाधान निकाला.