नई दिल्ली : ऐसे समय, जब अमेरिका में हुए हाउडी मोदी कार्यक्रम की यादें.. अब भी सबके जेहन में ताजा हैं, दुनिया एक बार फिर से एशिया के दो बड़े और दिग्गज नेताओं का आमना-सामना देखने के लिए तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग चेन्नई के मामल्लापुरम में अनौपचारिक बैठक करने जा रहे हैं. इस बैठक पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं.
अगले साल यानी 2020 में भारत और चीन के राजनयिक संबंधों की शुरुआत के 70 साल हो जाएंगे. लिहाजा इस बैठक का दोनों देशों के लिए खासा महत्व है. इस बैठक में दोनों देशों के बीच कई विवादास्पद विषयों पर बातचीत होगी. खासकर वैसे मुद्दे, जिनकी वजह से हाल के दशकों में दोनों देश आमने-सामने खड़े हो चुके हैं.
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव
चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की शुरुआत 2017 में की थी. यह एशिया, यूरोप और अफ्रीकी महाद्वीप से होकर गुजरेगा. बीआरआई में मुख्य रूप से ढांचागत परियोजनाओं पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है. चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर भी बीआरआई का हिस्सा है. यह पीओके से होकर गुजरता है.
मई, 2017 में नई दिल्ली ने बीआरआई का विरोध किया था. भारत का कहना था कि कोई भी देश संप्रुभता और क्षेत्रीय अखंडता के मुद्दे पर समझौता नहीं कर सकता है.
न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह 48 देशों की संस्था है. भारत की सदस्यता को लेकर चीन लगातार रोड़े अटकाता रहा है. चीन का मुख्य आधार है भारत का एनपीटी में शामिल नहीं होना. हालांकि, सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से रूस, अमेरिका ने भारत की सदस्यता का समर्थन किया है. परन्तु चीन अपनी जिद पर अड़ा हुआ है. एक बार फिर वियना बैठक से ठीक पहले रूस और अमेरिका ने एनएनसजी में भारत की सदस्यता पर बल दिया है.
चेन्नई में होने वाली अनौपचारिक बैठक के दौरान इस पर ठोस पहल होने की उम्मीद की जा सकती है. हो सकता है चीन अपनी राय बदल ले.
कश्मीर विवाद
कश्मीर को लेकर चीन अपना स्टैंड बदलता रहा है. यूएन जनरल असेंबली की 74वीं बैठक के दौरान चीन ने कश्मीर को लेकर पाक का साथ दिया था. हालांकि, बाद में चीन ने इसे द्विपक्षीय मुद्दा भी बताया.
सीमा विवाद
चेन्नई में होने वाली बैठक से ठीक पहले भारत में चीन के राजदूत सुन वीडोंग ने सकारात्मक बातें कही हैं. उनका कहना है कि एशिया की दो उभरती हुई शक्तियों को अपने बीच सीमा विवाद को किसी विवाद का हिस्सा बनने देना नहीं चाहिए. उनका कहना है कि दो पड़ोसी देशों के बीच सीमा विवाद होना सामान्य बात है. वीडोंग ने कहा कि भारत और चीन ने सीमा पर शांति कायम रखने का संयुक्त निर्णय लिया है और इसके नतीजे भी जरूर मिलेंगे.