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नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : हैदराबादी युवा ने बनाया नॉन-प्लास्टिक वी-कार्ड

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए देश में अभियान चल रहा है. ईटीवी भारत भी इस मुहिम का एक अहम हिस्सा बना है. इसकी थीम नो प्लास्टिक लाइफ फैंटास्टिक रखी गई है. देखें इस मुहिम की 55वीं कड़ी पर विशेष रिपोर्ट...

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सिंगल यूज प्लास्टिक
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Published : Feb 5, 2020, 7:04 AM IST

Updated : Feb 29, 2020, 5:43 AM IST

हैदराबाद : कहते हैं कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.. इसी तथ्य को हैदराबाद के एक युवा विशाल रंजन ने साबित कर दिखाया है, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से नॉन-प्लास्टिक, यूपीआई बेस्ड क्रेडिट कार्ड बनाया है. इसका मकसद देश और दुनिया में बढ़ते प्लास्टिक कचरे को कम करना है.

हैदराबाद में स्नातक के छात्र विशाल रंजन को अपनी इस पहल के लिए अब तक न कहीं से सराहना मिली है और न ही किसी ने उनका समर्थन किया है, फिर भी वह नॉन-प्लास्टिक वी-कार्ड बनाने में सफल हुए हैं.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

इस वी-कार्ड का इस्तेमाल हम स्मार्ट फोन की मदद से कर सकते हैं और इसकी पूरी प्रक्रिया भी दूसरे क्रेडिट कार्ड की ही तरह होती है.

वी-कार्ड के CEO विशाल रंजन ने बताया कि इस वी-कार्ड में तीन मुख्य बातें हैं. यह एक मोबाइल क्रेडिट कार्ड है. यह यूपीआई पर आधारित एक मात्र क्रेडिच कार्ड है.

उन्होंने बताया कि एकमात्र यूपीआई बेस्ड क्रेडिट कार्ड होने से आप किसी के भी साथ आसानी से लेन-देन कर सकते हैं.

इसमें दो लाख रुपये की सीमा है और वी-कार्ड मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से काम करता है. भविष्य में पैसा निकालने के लिए आवश्यक राशि को ऐप खाते में जमा किया जा सकता है.

एक सामान्य कार्ड की तरह निकाली गई राशि को ट्रांसफर किये जाने के 30 दिनों के अंदर जमा किया जाता है. यहां तक की वी-कार्ड किस्तों और ईएमआई के रूप में भी लेन-देन की सुविधा देता है.

ये वी-कार्ड जितना आज काम कर रहा है, अगर आगे भी उतना ही कारगर साबित होता है तो सरकार इसके इस्तेमाल को बढ़ावा दे सकती है और पुराने विकल्पों को खत्म किया जा सकता है.

विशाल रंजन ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में नोटबंदी के बाद से 20 करोड़ लोगों ने क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन किया है और सिर्फ एक करोड़ लोगों को ही क्रेडिट कार्ड मिल सका है.

उन्होंने कहा, 'भारत की आबादी और यहां के लोगों की बढ़ती हुई जरूरतों को देखकर ये आंकड़ा बढ़ेगा और इससे पहले कि हमें और मुश्किलों का सामना करना पड़े, क्यों न हम इस विकल्प का इस्तेमाल करें.'

फिलहाल विशाल रंजन इस वी-कार्ड को और बेहतर बनाने का काम कर रहे हैं और अभी देश के 47 शहरों में वह ये सेवा दे रहे हैं. उनका मकसद है कि वह इसे देश के अन्य हिस्सों में भी पहुंचाएं और पर्यावरण को प्लास्टिक मुक्त बनाएं.

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देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

इस वी-कार्ड का इस्तेमाल हम स्मार्ट फोन की मदद से कर सकते हैं और इसकी पूरी प्रक्रिया भी दूसरे क्रेडिट कार्ड की ही तरह होती है.

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उन्होंने बताया कि एकमात्र यूपीआई बेस्ड क्रेडिट कार्ड होने से आप किसी के भी साथ आसानी से लेन-देन कर सकते हैं.

इसमें दो लाख रुपये की सीमा है और वी-कार्ड मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से काम करता है. भविष्य में पैसा निकालने के लिए आवश्यक राशि को ऐप खाते में जमा किया जा सकता है.

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ये वी-कार्ड जितना आज काम कर रहा है, अगर आगे भी उतना ही कारगर साबित होता है तो सरकार इसके इस्तेमाल को बढ़ावा दे सकती है और पुराने विकल्पों को खत्म किया जा सकता है.

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उन्होंने कहा, 'भारत की आबादी और यहां के लोगों की बढ़ती हुई जरूरतों को देखकर ये आंकड़ा बढ़ेगा और इससे पहले कि हमें और मुश्किलों का सामना करना पड़े, क्यों न हम इस विकल्प का इस्तेमाल करें.'

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Last Updated : Feb 29, 2020, 5:43 AM IST
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