जमशेदपुर: जीवन में स्वस्थ रहने के लिए योग जरूरी है. योग करने या सीखने की कोई उम्र नहीं होती है. अगर आप मन से ठान लें कि योग करना है तो आप योग कर सकते हैं, प्रोत्साहित करने के लिए लोग ऐसी तमाम बातें कहते हैं. लेकिन इन बातों को चरितार्थ करने वाले कुछ ही लोग होते हैं. जिनके लिए ना तो उम्र बाधा बनती है और ना ही उनका स्वास्थ्य. उनके दृढ़निश्चय के आगे सभी बाधाएं छोटी पड़ जाती हैं. इन सब खूबियों से परिपूर्ण ऐसे ही एक महिला हैं जयश्री चक्रवर्ती.
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झारखंड के जमशेदपुर की रहने वाली 75 वर्षीय जयश्री चक्रवर्ती को सभी योगा दादी के नाम से जानते हैं. 75 वर्ष की उम्र में योग सीख कर योगा दादी कई नेशनल लेवल की प्रतियोगिता में भाग ले कर पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी हैं. उनके घर की दीवार उनके द्वारा जीते कई मेडल और शील्ड से सजी हुई है.
2017 में किया योग करना शुरू: योगा दादी के नाम से विख्यात शहर की बुजुर्ग महिला जयश्री चक्रवर्ती आज सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं. जयश्री जमशेदपुर के सोनारी के आदर्श नगर 4th फेज में रहती हैं. जितनी दिलचस्प योगा दादी हैं, उतनी ही दिलचस्प उनकी योग सीखने की कहानी भी है. आज से 6 साल पहले तक जयश्री योग नहीं करती थीं. 2017 में उन्होंने अपनी पोती को योग करते देखा था. जिसके बाद उन्हें भी योग करने की इच्छा हुई. फिर उन्होंने धीरे-धीरे योग करना शुरू कर दिया. जयश्री ने बताया कि 2017 से वह योग कर रही हैं.
खुद क्लास लेती हैं योगा दादी: जयश्री के अनुसार वह अपनी पोती को योग सिखाने योगा शिक्षक के पास जाती थी. इस दौरान एक दिन उन्होंने योगा शिक्षक से पूछा कि क्या मैं भी योग कर सकती हूं कि नहीं? उसके बाद योगा शिक्षक ने जयश्री को कहा कि आप भी योग कर सकती हैं. उसके बाद जयश्री ने योग करना शुरू कर दिया. नतीजा यह निकला कि योग में वह इतनी ट्रेंड हो गईं कि वह खुद ही योगा क्लास भी लेने लगीं और योग के अलग-अलग होने वाले प्रतियोगिताओं में भाग लेना भी शुरू कर दिया. यही नहीं योग के जरिए ही जयश्री चक्रवर्ती ने अपने पति के स्वास्थ्य को भी ठीक किया. जयश्री की मनोकामना है कि वह अपने योग का प्रदर्शन एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने करे.
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योगा क्वीन से हुईं सम्मानित: योग के जरिए वो आज पूरे झारखंड में अपनी एक अलग पहचान चुकी हैं. अभी हाल ही में टाटा अर्बन सर्विस के द्वारा उन्हें योगा क्वीन अवार्ड से सम्मानित किया गया है. वे अपनी कला से जहां भी जाती हैं, अवॉर्ड लेकर ही लौटती हैं. वहीं जयश्री चक्रवर्ती के इस काम में उनके पति संतोष चक्रवर्ती भी सपोर्ट करते हैं. संतोष चक्रवर्ती का कहना है कि मुझे दूसरा जीवनदान मेरी पत्नी जयश्री ने ही दिया है. मेरी पत्नी मेरे लिए सावित्री है. वहीं जयश्री ने अपने लिए एक योग शिक्षक भी रखा है. जो जयश्री को योग करने में मदद करते हैं. साथ ही वह जयश्री को दूसरी जगहों में होने वाले योगा कंपटीशन की भी जानकारी देते हैं और उन्हें वहां लेकर भी जाते हैं.
कई राज्यों में जाकर जीत चुकी हैं पदक: जयश्री के परिवार में उनके पति के अलावा बेटा और पोता-पोती हैं. जयश्री के पति संतोष चक्रवर्ती टाटा स्टील से सेवानिवृत हैं. योग के कारण वे इस उम्र में भी काम करते हैं. इसी योग के कारण जयश्री जमशेदपुर के अलावा रांची, नासिक, विजयवाड़ा, कोलकाता के अलावा अन्य राज्यों में आयोजित प्रतियोगिताओं में कई तरह के पदक जीत चुकी है. उन्हें दो बार नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. जयश्री के अनुसार, स्वस्थ जीवन जीना है तो योग जरूर करें.