आहार में मिलने वाला स्टार्च हमारी सेहत को काफी फायदे पहुंचाता है , लेकिन यह भी सही है कि कुछ विशेष प्रकार के स्टार्च युक्त आहार के ज्यादा मात्रा में सेवन करने से वजन बढ़ने, पाचन में समस्या, ह्रदय रोग तथा और भी कई समस्याएं होने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि किस प्रकार का स्टार्च तथा उसका स्त्रोत (आहार) सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है.
स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद स्टार्च की बात करें तो जानकारों का मानना है कि रेजिस्टेंट स्टार्च युक्त आहार हमारी सेहत को बनाए रखने में काफी मददगार हो सकते हैं. यह हेल्दी स्टार्च का एक प्रकार है जो हमारे पेट के स्वास्थ्य तथा दिल के स्वास्थ्य को बनाए रखने के साथ ही कई बीमारियों को दूर रखने में मदद करते हैं.
क्या है स्टार्च
स्टार्च हमारे आहार में पाये जाने वाले प्रमुख तत्वों में से एक होता है, जो संतुलित मात्रा में हमारे शरीर के लिए जरूरी होता है. अनाज, चावल, आलू, मटर और कई सब्जियों में स्टार्च पाया जाता हैं. दरअसल कार्बोहाइड्रेट के तीन प्रकार माने जाते हैं, चीनी, फाइबर तथा स्टार्च. इनमें स्टार्च को जटिल कार्ब्स के स्वस्थ प्रकार के रूप में देखा जाता है. पोषण विशेषज्ञ डॉ दिव्या शर्मा बताती हैं कि सही मात्रा में और सही प्रकार के स्टार्च का सेवन शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा प्रदान करता है तथा पाचन में मदद करता हैं. लेकिन कुछ विशेष आहार में मिलने वाले स्टार्च का ज्यादा मात्रा में सेवन, शरीर में कई समस्याओं तथा रोग का कारण भी बन सकता है.
क्या है रेजिस्टेंट स्टार्च
रेजिस्टेंट स्टार्च युक्त आहार आजकल के भोजन ट्रेंड में काफी प्रचलित हो रहे हैं. क्योंकि रेसिस्टेंट स्टार्च से युक्त चीजों में ऐसे माइक्रोब होते हैं जो पेट और पाचन तंत्र को सेहतमंद रखते हैं. इसके साथ ही इनमें भरपूर मात्रा में प्री बायोटिक फाइबर तथा ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो पाचन तंत्र विशेषकर आंतों के स्वास्थ्य को और अधिक बेहतर बनाने में मदद करते है.
डॉ दिव्या बताती हैं कि रेजिस्टेंट स्टार्च कोई नई चीज नही है बल्कि यह एक प्रकार का फाइबर होता है जो कुछ स्टार्च युक्त आहार में विशेष परिस्तिथ्यों में उत्पन्न होता है. रेसिस्टेंट स्टार्च को सामान्य स्टार्च के मुकाबले शरीर के लिए ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. वह बताती हैं कि चूंकि रेजिस्टेंट स्टार्च को पचने में अधिक समय लगता है इसलिए इसके कण हमारी आंतों में ज्यादा समय तक रहते हैं, तथा उनमें गुड बैक्टीरिया की मात्रा को बढ़ा देते हैं. रेजिस्टेंट स्टार्च का सेवन करने से आंतों में शॉर्ट चेन फैटी एसिड्स बनते हैं जिससे कोलोन का स्वास्थ्य भी बना रहता है. वहीं रेजिस्टेंस स्टार्च सोल्यूबल फाइबर का भी प्रकार माना जाता है जो पाचन प्रक्रिया और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाने में फायदेमंद माने जाते हैं. इसके अलावा रेसिस्टेंट स्टार्च इंसुलिन सेंसेटिविटी को बनाए रखने में फायदेमंद होता है. जिससे शरीर में रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रण रहता है.
डॉ दिव्या बताती हैं कि वजन बढ़ने, मधुमेह तथा ह्रदय रोगों के लिए आमतौर पर गलत खान-पान के साथ ही ज्यादा स्टार्च वाले आहार को भी जिम्मेदार माना जाता हैं. दरअसल कई बार ज्यादा स्टार्च वाले खाद्य पदार्थ पेट में कब्ज तथा अन्य बीमारियां का कारण भी बन जाते है. इसलिए इन रोगों के लक्षण नजर आने पर चिकित्सक आमतौर पर पीड़ित को आहार में स्टार्च युक्त खाद्य पदार्थ जैसे चावल, आलू तथा कुछ विशेष सब्जियों व अनाज के सेवन से परहेज करने की सलाह देते हैं. इसके विपरीत कम स्टार्च वाला आहार या रेजिस्टेंट स्टार्च युक्त आहार गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल हेल्थ को बनाए रखने में अहम भूमिका निभा सकता हैं.
रेजिस्टेंट स्टार्च की बात करें तो पका हुआ स्टार्च युक्त आहार जब ठंडा हो जाता है तो उसमें मौजूद स्टार्च , रेजिस्टेंस स्टार्च में परिवर्तित हो जाता है. ठंडे चावल विशेषकर ब्राउन राइस, आलू , पास्ता, केला, शकरकंद तथा मकई से बनी चीजों में रेजिस्टेंस स्टार्च पाया जाता है.
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