ऊना: पीजीआई सैटेलाइट सेंटर चिकित्सा सेवा क्षेत्र में जिला ऊना के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसका निर्माण केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से किया जा रहा है. यह जानकारी उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने परियोजना के निर्माण कार्यों की प्रगति को लेकर आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी.
बैठक में पीजीआई चंडीगढ़ के नोडल अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित रहे. डीसी राघव शर्मा ने बताया कि परियोजना के लिए रक्कड़ में पहले 33 केवी सिंगल सर्किट सब-स्टेशन का निर्माण प्रस्तावित था, जिसे सिंगल लाइन से जोड़ा जाना था. इसके लिए 1.15 करोड़ रूपये का आकलन तैयार किया गया था, लेकिन पीजीआई टीम के हाल ही के दौरे के दौरान दो विद्युत सब-स्टेशनों से जोड़कर विद्युत आपूर्ति करने के लिए इस पर दोबारा खर्च आकलन तैयार किया जा रहा है जिसे एक सप्ताह में पूरा कर लिया जाएगा.
ऊना बसोली से पीजीआई सैटेलाइट सेंटर तक 24 मीटर चौड़ी सम्पर्क सड़क के निर्माण के लिए 66.87 लाख रुपये की राशि में से 30 लाख रुपये की राशि लोक निर्माण विभाग को जारी कर दी गई है. भू-सीमांकन प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद और निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है. इसे मार्च, 2021 तक पूरा भी कर लिया जाएगा.
उपायुक्त ने विभाग को निर्देश दिए कि अतिरिक्त धनराशि जारी करने की मांग शीघ्र की जाए, ताकि निर्माण कार्य समयबद्ध पूरा हो सके. उपायुक्त ने पीजीआई अधिकारियों से कहा कि परियोजना परिसर में पेड़ों की कटाई के लिए आवेदन-पत्र वन विभाग को शीघ्र प्रेषित करें, ताकि इस लंबी प्रक्रिया को समयबद्ध पूर्ण किया जा सके.
राघव शर्मा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस महत्वकांक्षी परियोजना को निर्धारित समयावधि में पूरा किया जाए. इसके अलावा परियोजना से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों को सभी विभाग आपसी तालमेल से पूरा करना सुनिश्चित करें.
उपायुक्त ने जलशक्ति विभाग के अधिकारियों को बायो मेडिकल वेस्ट के समाधान के लिए संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए. इसके अलावा परियोजना के लिए अलग से जलापूर्ति योजना के निर्माण के लिए 4.91 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के मुकाबले एक करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी गई है, जिससे तीन में से दो बोरवैल का कार्य लगभग पूरा हो चुका है.
उपायुक्त ने पीजीई नोडल अधिकारी को अवगत करवाया कि शहर की सीवरेज प्रणाली सैटेलाइट केन्द्र से लगभग 5 किलोमीटर दूर है, जिससे परियोजना के सीवरेज को जोड़ना काफी खर्चीला और असंभव भी है. उन्होंने सुझाव रखा कि परियोजना के लिए अलग से सीवरेज प्लांट स्थापित करने के लिए लगभग सवा दो करोड़ धनराशि की आवश्यकता होगी, जो कम लागत वाली व कारगर भी रहेगी. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को उचित दिशा निर्देशों के साथ कार्य करने के निर्देश भी दिए.
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