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गोबिंद सागर में कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा, बरसात के मौसम में जान खतरे में डाल रहे लोग

गोबिंद सागर झील के दीदार को आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग बेरोक-टोक झील के पानी में उतरकर अठखेलियां कर रहे हैं. जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

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Published : Aug 9, 2019, 4:57 PM IST

Gobind sagar lake

ऊना: हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील गोबिंद सागर पर्यटकों को अपने सौंदर्य के प्रति आकर्षित कर रही है. वहीं, झील के दीदार को आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग बेरोक-टोक झील के पानी में उतरकर अठखेलियां कर रहे हैं. जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

इससे पहले भी कई लोग झील में नहाने के चक्कर में अपनी जिंदगी से हाथ धो चुके हैं. कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में झील पर कई घाट बने हुए हैं जिसमें मंदली, बीहडू, रायपुर मैदान, कोलका, लठियानी घाट मुख्य हैं. इन घाटों पर रोजाना सैंकड़ों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु झील की सुंदरता का नजारा देखने पहुंचते हैं.

लोग झील की सुंदरता को निहारने के साथ-साथ झील में उतरकर तैराकी करने लगते हैं. नहाने वालों को झील की गहराई का पता नहीं होता. जिस कारण अक्सर यहां लोग अपनी जान गंवा देते हैं. गोबिंद सागर झील में तैराकी किसी हादसे को न्यौता देने से कम नहीं है क्योंकि मानसून के चलते झील का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है.

वीडियो.

गोबिंद सागर में अठखेलियां करते कई लोग आजतक मौत का ग्रास बन चुके हैं. लेकिन प्रशासन ने सिर्फ चेतावनी बोर्ड लगाकर इतिश्री कर ली है. स्थानीय लोगों की मानें तो प्रशासन को गोबिंद सागर झील में नहाने वाले लोगों के खिलाफ सख्ती से निपटना चाहिए ताकि बड़े हादसों से बचा जा सके.

डीसी ऊना संदीप कुमार ने लोगों से गोबिंद सागर झील में न जाने की अपील की है. वहीं. उन्होंने दावा किया है कि स्थानीय पंचायतों और पटवारियों को झील में लोगों के जाने पर पाबंदी लगाने के निर्देश दिए गए हैं.

ऊना: हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील गोबिंद सागर पर्यटकों को अपने सौंदर्य के प्रति आकर्षित कर रही है. वहीं, झील के दीदार को आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग बेरोक-टोक झील के पानी में उतरकर अठखेलियां कर रहे हैं. जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

इससे पहले भी कई लोग झील में नहाने के चक्कर में अपनी जिंदगी से हाथ धो चुके हैं. कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में झील पर कई घाट बने हुए हैं जिसमें मंदली, बीहडू, रायपुर मैदान, कोलका, लठियानी घाट मुख्य हैं. इन घाटों पर रोजाना सैंकड़ों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु झील की सुंदरता का नजारा देखने पहुंचते हैं.

लोग झील की सुंदरता को निहारने के साथ-साथ झील में उतरकर तैराकी करने लगते हैं. नहाने वालों को झील की गहराई का पता नहीं होता. जिस कारण अक्सर यहां लोग अपनी जान गंवा देते हैं. गोबिंद सागर झील में तैराकी किसी हादसे को न्यौता देने से कम नहीं है क्योंकि मानसून के चलते झील का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है.

वीडियो.

गोबिंद सागर में अठखेलियां करते कई लोग आजतक मौत का ग्रास बन चुके हैं. लेकिन प्रशासन ने सिर्फ चेतावनी बोर्ड लगाकर इतिश्री कर ली है. स्थानीय लोगों की मानें तो प्रशासन को गोबिंद सागर झील में नहाने वाले लोगों के खिलाफ सख्ती से निपटना चाहिए ताकि बड़े हादसों से बचा जा सके.

डीसी ऊना संदीप कुमार ने लोगों से गोबिंद सागर झील में न जाने की अपील की है. वहीं. उन्होंने दावा किया है कि स्थानीय पंचायतों और पटवारियों को झील में लोगों के जाने पर पाबंदी लगाने के निर्देश दिए गए हैं.

Intro:स्लग -- गोबिंद सागर झील में जान हथेली पर रख रोजाना सैंकड़ों लोग कर रहे अठखेलियां, हादसों के बाद भी प्रशासन रोक लगाने में असमर्थ, अब तक कई लोग झील में नहाने के चक्कर में गंवा चुके है जान।Body:एंकर -- कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में गोविंद सागर झील में पर्यटक और स्थानीय युवा अपनी जान को जोखिम में डालकर झील में उतरकर नहा रहे है। यह झील पहले भी कई लोगों को निगल चुकी है बाबजूद इसके रोजाना सैंकड़ों लोग बेपरवाह होकर गोबिंद सागर झील में डुबकियां लगा रहे है। वहीं प्रशासन ने भी अब तक हुए हादसों से भी कोई सबक नहीं लिया है। प्रशासन ने झील के किनारों पर सिर्फ चेतावनी बोर्ड लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। वहीं डीसी ऊना का दावा है कि स्थानीय पंचायतों और पटवारियों को ऐसे मामलों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए है।

वी ओ 1 -- हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील गोविंद सागर पर्यटकों को अपने सौंदर्य के प्रति आकर्षित कर रही है। वही झील के दीदार को आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग बेरोक टोक झील के पानी में उतरकर अठखेलियां कर रहे है। जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इससे पहले भी कई लोग झील में नहाने के चक्कर में अपनी जिंदगी से हाथ धो चुके है। कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में झील पर कई घाट बने हुए है जिसमें में मंदली, बीहडू, रायपुर मैदान, कोलका, लठियानी घाट मुख्य है। इन घाटों पर रोजाना सैंकड़ों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु झील की सुंदरता का नजारा देखने पहुँचते है । लेकिन लोग झील की सुंदरता को निहारने के साथ-साथ झील में उतरकर तैराकी करने लगते है। नहाने वालों को झील की गहराई का पता नहीं होता। जिस कारण लोग अपनी जान गंवा देते है। गोबिंद सागर झील में तैराकी किसी हादसे को न्यौता देने से कम नहीं है क्योंकि मानसून के चलते झील का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है। गोबिंद सागर में अठखेलियां करते कई लोग आजतक मौत का ग्रास बन चुके है। लेकिन प्रशासन ने सिर्फ चेतावनी बोर्ड लगाकर इतिश्री कर ली है। स्थानीय लोगों की माने तो प्रशासन को गोबिंद सागर झील में नहाने वाले लोगों के खिलाफ सख्ती से निपटना चाहिए ताकि बड़े हादसों से बचा जा सके।

बाइट -- मुकेश जसवाल (स्थानीय वासी)
GOBIND LAKE 4

बाइट -- विजय साहनी (स्थानीय वासी)
GOBIND LAKE 5


बाइट -- संदीप कुमार (डीसी ऊना)
GOBIND LAKE 6
डीसी ऊना संदीप कुमार ने लोगों से गोबिंद सागर झील में ना जाने की अपील की है। वहीँ डीसी ऊना का दावा किया है कि स्थानीय पंचायतों और पटवारियों को झील में लोगों के जाने पर पाबंदी लगाने के निर्देश दिए गए है। लेकिन डीसी ऊना के निर्देश गोबिंद सागर झील पर लागू होते दिखाई नहीं दे रहे है।
Conclusion:
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