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कम खर्च कर रसायन मुक्त सब्जियां उगा रहे यहां के किसान, अब जीरो बजट खेती की तरफ बढ़ रहा किसानों का रुझान

कृषि विभाग सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती योजना के तहत ऊना के सैकड़ों किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. ऊना में अभी तक करीब 130 किसान प्राकृतिक खेती द्वारा फसल उगा चुके हैं, जबकि अन्य किसान भी इसे अपनाने में रूचि ले रहे हैं.

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Published : Jun 12, 2019, 4:56 PM IST

Updated : Jun 12, 2019, 8:23 PM IST

डिजाइन फोटो.

ऊना: जिला ऊना को हिमाचल प्रदेश का कृषि प्रधान जिला कहा जाता है. सबसे ज्यादा अनाज व सब्जियां पैदा करने वाले जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग द्वारा सैकड़ों किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक किया जा रहा है, ताकि किसान बिना रसायन व कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से खेती कर सकें.

कृषि विभाग सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती योजना के तहत ऊना के सैकड़ों किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. कृषि विभाग की ओर से यह योजना जहर मुक्त अभियान के तहत शुरू की गई है. इसके साथ किसानों को प्राकृतिक खाद बनाने के बारे में भी जानकारी दी जा रही है. विभाग की ओर से जगह-जगह जागरूकता शिविरों का आयोजन कर प्राकृतिक खेती के फायदों के बारे में बताया जा रहा है.

कम खर्च कर रसायन मुक्त सब्जियां उगा रहे यहां के किसान (वीडियो).

कृषि विभाग के अनुसार आजकल खेतों में रसायनों और कीटनाशक दवाइयों के अत्यधिक प्रयोग से न सिर्फ भूमि बल्कि इंसानों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है. किसानों द्वारा खेती में डाले गए सैकड़ों विषैले रसायन इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी प्रभावित कर रहे हैं. विभाग के अनुसार विषैले रसायन मानव शरीर के पाचन तंत्र, रक्त और किडनी को धीरे-धीरे खराब कर देते हैं, जिसके चलते मानव शरीर में अनेक बीमारियां घर कर जाती हैं.

ये भी पढ़ें: सरहदों में सेवाएं देने के बाद राजनीति में उतरे ये रण बांकुर, अब उठाते हैं जनता के मुद्दे

कृषि अधिकारी बीआर तक्खी ने बताया कि किसानों को नेचुरल तरीके से खेती करने के लिए जिले के विभिन्न स्थानों पर जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, ताकि लोग रसायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक तरीके से खेतीबाड़ी करें. इसके लिए किसानों को सुभाष पालेकर खेती योजना के तहत जागरूक किया जा रहा है. जिले में अभी तक करीब 130 किसान प्राकृतिक खेती द्वारा फसल उगा चुके हैं, जबकि अन्य किसान भी इसे अपनाने के लिए तैयार हो रहे हैं. वहीं, विभाग की मानें तो प्राकृतिक खेती से पैदा हुई फसल व सब्जियों की बाजार में बड़ी ज्यादा मांग है. किसानों को इसके दाम भी उम्मीद से बेहतर मिल रहे हैं.

ऊना: जिला ऊना को हिमाचल प्रदेश का कृषि प्रधान जिला कहा जाता है. सबसे ज्यादा अनाज व सब्जियां पैदा करने वाले जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग द्वारा सैकड़ों किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक किया जा रहा है, ताकि किसान बिना रसायन व कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से खेती कर सकें.

कृषि विभाग सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती योजना के तहत ऊना के सैकड़ों किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. कृषि विभाग की ओर से यह योजना जहर मुक्त अभियान के तहत शुरू की गई है. इसके साथ किसानों को प्राकृतिक खाद बनाने के बारे में भी जानकारी दी जा रही है. विभाग की ओर से जगह-जगह जागरूकता शिविरों का आयोजन कर प्राकृतिक खेती के फायदों के बारे में बताया जा रहा है.

कम खर्च कर रसायन मुक्त सब्जियां उगा रहे यहां के किसान (वीडियो).

कृषि विभाग के अनुसार आजकल खेतों में रसायनों और कीटनाशक दवाइयों के अत्यधिक प्रयोग से न सिर्फ भूमि बल्कि इंसानों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है. किसानों द्वारा खेती में डाले गए सैकड़ों विषैले रसायन इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी प्रभावित कर रहे हैं. विभाग के अनुसार विषैले रसायन मानव शरीर के पाचन तंत्र, रक्त और किडनी को धीरे-धीरे खराब कर देते हैं, जिसके चलते मानव शरीर में अनेक बीमारियां घर कर जाती हैं.

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कृषि अधिकारी बीआर तक्खी ने बताया कि किसानों को नेचुरल तरीके से खेती करने के लिए जिले के विभिन्न स्थानों पर जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, ताकि लोग रसायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक तरीके से खेतीबाड़ी करें. इसके लिए किसानों को सुभाष पालेकर खेती योजना के तहत जागरूक किया जा रहा है. जिले में अभी तक करीब 130 किसान प्राकृतिक खेती द्वारा फसल उगा चुके हैं, जबकि अन्य किसान भी इसे अपनाने के लिए तैयार हो रहे हैं. वहीं, विभाग की मानें तो प्राकृतिक खेती से पैदा हुई फसल व सब्जियों की बाजार में बड़ी ज्यादा मांग है. किसानों को इसके दाम भी उम्मीद से बेहतर मिल रहे हैं.

Intro:जिला ऊना में किसान रासायनिक खेती को छोड़कर, प्राकृतिक खेती को रहे अपना, 130 के करीब किसानों द्वारा अपनाई जा रही है प्राकृतिक खेती करने की तकनीक, कृषि विभाग द्वारा सैकड़ों किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए किया रहा जागरूक, प्राकृतिक खेती से तैयार सब्जियों को खाने से नहीं होता सेहत को कोई नुकसान ।


Body:जिला ऊना को कृषि प्रधान जिला कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा सब्जियां पैदा करने व आलू उत्पादक के रूप में जिला ऊना को जाना जाता है । ऊना में पैदा हुए आलू व सब्जियों की उत्तर भारत की मंडियों में खूब डिमांड रहती है।

वहीं अब सबसे ज्यादा अनाज व सब्जियां पैदा करने वाले जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग ने किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है। कृषि विभाग सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती योजना के तहत जिला के सैकड़ों किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। ताकि किसान बिना रसायन व कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से खेती कर सकें। कृषि विभाग की ओर से यह योजना जहर मुक्त अभियान के तहत शुरू की गई है। इसके साथ किसान को प्राकृतिक खाद बनाने के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। कृषि विभाग की ओर से जगह-जगह जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है । कृषि विभाग की मानें तो आजकल खेतों में रसायनों कीटनाशक दवाइयों के अत्यधिक प्रयोग से ना केवल भूमि बल्कि इंसानों की सेहत पर भी गहरा असर पड़ रहा है। किसानों द्वारा खेती में डाले गए सैकड़ों विशायुक्त रसायन इंसानों के साथ साथ पशु-पक्षी को भी प्रभावित कर रहे हैं। यह विशायुक्त रसायन मानव शरीर के पाचन तंत्र रक्त और किडनी जैसे अंगों को धीरे धीरे खराब कर रहे हैं। जिसके चलते मानव शरीर में अनेक बीमारियां उभर कर सामने आ रही है । प्राकृतिक खेती करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है जिसके चलते बहुत से किसान प्राकृतिक खेती करने के लिए भी आगे आ रहे हैं। जिले में अभी तक करीब 130 किसान प्राकृतिक खेती द्वारा फसल उगा चुके हैं। जबकि अन्य किसान भी इसे अपनाने के लिए आगे आ रहे हैं।
वहीं विभाग की मानें तो प्राकृतिक खेती से पैदा हुई फसल व सब्जियों की बाजार में बड़ी ज्यादा मांग है। वहीं किसानों को इसके दाम भी उम्मीद से बेहतर मिल रहे हैं।


Conclusion:बाइट--बीआर तक्खी, (कृषि अधिकारी, ऊना)
NATURAL FARMING UNA- 4
वहीं कृषि विभाग ने बताया कि किसानों को नेचुरल तरीके से खेती करने के लिए जिले के विभिन्न स्थानों पर जागरूक शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। ताकि लोग रसायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक तरीके से खेतीबाड़ी करें। इसके लिए किसानों को सुभाष पालेकर खेती योजना के तहत जागरूक किया जा रहा है।

नोट शॉर्ट्स और बाइट मेल से उठा लें।
Last Updated : Jun 12, 2019, 8:23 PM IST
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