ऊना: जिला ऊना को हिमाचल प्रदेश का कृषि प्रधान जिला कहा जाता है. सबसे ज्यादा अनाज व सब्जियां पैदा करने वाले जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग द्वारा सैकड़ों किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक किया जा रहा है, ताकि किसान बिना रसायन व कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से खेती कर सकें.
कृषि विभाग सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती योजना के तहत ऊना के सैकड़ों किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. कृषि विभाग की ओर से यह योजना जहर मुक्त अभियान के तहत शुरू की गई है. इसके साथ किसानों को प्राकृतिक खाद बनाने के बारे में भी जानकारी दी जा रही है. विभाग की ओर से जगह-जगह जागरूकता शिविरों का आयोजन कर प्राकृतिक खेती के फायदों के बारे में बताया जा रहा है.
कृषि विभाग के अनुसार आजकल खेतों में रसायनों और कीटनाशक दवाइयों के अत्यधिक प्रयोग से न सिर्फ भूमि बल्कि इंसानों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है. किसानों द्वारा खेती में डाले गए सैकड़ों विषैले रसायन इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी प्रभावित कर रहे हैं. विभाग के अनुसार विषैले रसायन मानव शरीर के पाचन तंत्र, रक्त और किडनी को धीरे-धीरे खराब कर देते हैं, जिसके चलते मानव शरीर में अनेक बीमारियां घर कर जाती हैं.
कृषि अधिकारी बीआर तक्खी ने बताया कि किसानों को नेचुरल तरीके से खेती करने के लिए जिले के विभिन्न स्थानों पर जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, ताकि लोग रसायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक तरीके से खेतीबाड़ी करें. इसके लिए किसानों को सुभाष पालेकर खेती योजना के तहत जागरूक किया जा रहा है. जिले में अभी तक करीब 130 किसान प्राकृतिक खेती द्वारा फसल उगा चुके हैं, जबकि अन्य किसान भी इसे अपनाने के लिए तैयार हो रहे हैं. वहीं, विभाग की मानें तो प्राकृतिक खेती से पैदा हुई फसल व सब्जियों की बाजार में बड़ी ज्यादा मांग है. किसानों को इसके दाम भी उम्मीद से बेहतर मिल रहे हैं.