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जीएसटी चोरी का भंडाफोड़, फर्जी फर्में बनाकर लगाया करोड़ों का चूना

गगरेट स्थित एक फर्म पर जीएसटी चोरी का आरोप लगा है. फर्म ने अक्तूबर 2018 से लेकर अगस्त 2020 तक किसी भी स्तर पर कोई जीएसटी नहीं दिया और टैक्स की बड़े स्तर पर चोरी को अंजाम दिया गया.इस फर्जीवाड़े में शामिल लोगों के साथ-साथ फर्म के सीईओ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है.

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Published : Apr 23, 2021, 11:02 PM IST

ऊना: गगरेट स्थित एक फर्म पर गलत तरीके से तीन अन्य फर्जी फर्मों से अपने लिए खरीद दिखाकर टैक्स चोरी के आरोप लगे हैं. इस मामले राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने 4 करोड़ 35 लाख 90 हजार रूपये ब्याज सहित लगभग 30 करोड़ 40 लाख 72355 रुपये का जुर्माना लगाया है.

जानकारी देते हुए संयुक्त आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी मध्यम प्रर्वतन क्षेत्र ऊना राकेश भारतीय ने बताया कि अगस्त माह में निरीक्षण के दौरान पाया गया कि जीएसटी पोर्टल के माध्यम से गगरेट की एक फर्म गलत तरीके से फर्जी फर्मों से अपने लिए खरीद दिखा रही है, जबकि ये फर्में अस्तित्व में ही नहीं थी. इस तथ्य को फर्म के सीईओ ने शपथ पत्र देकर कबूल कर लिया है कि ये तीनों फर्में उन्होंने अनुचित रूप से आईटीसी का लाभ लेने के लिए पंजीकृत करवाईं थी.

उन्होंने बताया कि इस मामले की गहनता से जांच के दौरान एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी सामने आया कि तीनों फर्जी फर्मों के एक निदेशक के नाम पर भूमि क्रय की गई, जिसकी जानकारी निदेशक को भी नहीं थी. अन्य दो फर्मों के निदेशकों के जीएसटी पोर्टल पर दर्शाए गए पतों की लुधियाना में जाकर जांच की गई है. इसके साथ ही ये तीन फर्में जिनसे खरीद करती थी, वे भी जांच में फर्जी पाईं गई.

बैंक से ऋण लेने के लिए बनाए जाली बिल

राकेश भारतीय ने बताया कि फर्मों ने बैंक से ऋण लेने के लिए जाली बिल जारी किये. पूरे मामले में जीएसटी की बहुत बड़ी चोरी का मामला सामने आया है. इस मामले में फर्म ने अक्तूबर 2018 से लेकर अगस्त 2020 तक किसी भी स्तर पर कोई जीएसटी नहीं दिया और सर्कुलर बिलिंग करके लगभग 99 प्रतिशत बिल आपस में जारी करके टैक्स की बड़े स्तर पर चोरी को अंजाम दिया गया.

राकेश भारतीय ने बताया कि जीएसटी चोरी का मामला होने के कारण धारा 132 (5) में जीएसटी के अन्तर्गत यह अपराध संज्ञेय व गैर जमानती बनता है. इस फर्जीवाड़े में शामिल लोगों के साथ-साथ फर्म के सीईओ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में भीड़ ने छीना देवता का रथ, सोने समेत अष्टधातु के मोहरे गायब

ऊना: गगरेट स्थित एक फर्म पर गलत तरीके से तीन अन्य फर्जी फर्मों से अपने लिए खरीद दिखाकर टैक्स चोरी के आरोप लगे हैं. इस मामले राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने 4 करोड़ 35 लाख 90 हजार रूपये ब्याज सहित लगभग 30 करोड़ 40 लाख 72355 रुपये का जुर्माना लगाया है.

जानकारी देते हुए संयुक्त आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी मध्यम प्रर्वतन क्षेत्र ऊना राकेश भारतीय ने बताया कि अगस्त माह में निरीक्षण के दौरान पाया गया कि जीएसटी पोर्टल के माध्यम से गगरेट की एक फर्म गलत तरीके से फर्जी फर्मों से अपने लिए खरीद दिखा रही है, जबकि ये फर्में अस्तित्व में ही नहीं थी. इस तथ्य को फर्म के सीईओ ने शपथ पत्र देकर कबूल कर लिया है कि ये तीनों फर्में उन्होंने अनुचित रूप से आईटीसी का लाभ लेने के लिए पंजीकृत करवाईं थी.

उन्होंने बताया कि इस मामले की गहनता से जांच के दौरान एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी सामने आया कि तीनों फर्जी फर्मों के एक निदेशक के नाम पर भूमि क्रय की गई, जिसकी जानकारी निदेशक को भी नहीं थी. अन्य दो फर्मों के निदेशकों के जीएसटी पोर्टल पर दर्शाए गए पतों की लुधियाना में जाकर जांच की गई है. इसके साथ ही ये तीन फर्में जिनसे खरीद करती थी, वे भी जांच में फर्जी पाईं गई.

बैंक से ऋण लेने के लिए बनाए जाली बिल

राकेश भारतीय ने बताया कि फर्मों ने बैंक से ऋण लेने के लिए जाली बिल जारी किये. पूरे मामले में जीएसटी की बहुत बड़ी चोरी का मामला सामने आया है. इस मामले में फर्म ने अक्तूबर 2018 से लेकर अगस्त 2020 तक किसी भी स्तर पर कोई जीएसटी नहीं दिया और सर्कुलर बिलिंग करके लगभग 99 प्रतिशत बिल आपस में जारी करके टैक्स की बड़े स्तर पर चोरी को अंजाम दिया गया.

राकेश भारतीय ने बताया कि जीएसटी चोरी का मामला होने के कारण धारा 132 (5) में जीएसटी के अन्तर्गत यह अपराध संज्ञेय व गैर जमानती बनता है. इस फर्जीवाड़े में शामिल लोगों के साथ-साथ फर्म के सीईओ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है.

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