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देसी गायों के संरक्षण में जुटे गोसदन संचालकों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार

कुछ लोग देसी गाय को पालने के साथ सरक्षण करने में लगे हुए हैं. इन लोगों की माने तो यह देसी गाय अन्य गायों के मुकाबले दूध बेशक कम देती है, लेकिन इनका दूध गुणवत्ता वाला होता है. वहीं, यह लोग देसी गाय के पालन और गौ माता से जुड़ी अपनी संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

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Published : Aug 31, 2020, 5:00 PM IST

ऊना: जिला ऊना में वैसे तो कई गोसदन बनाए गए हैं, लेकिन देसी गोवंश के संरक्षण से जुड़े हुए कम ही गोसदन हैं. ऐसे में ऊना के एक समाजसेवी ने देसी गाय के पालन और गौ माता से जुड़ी अपनी संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है.

जैसा की सभी जानते हैं कि देसी गाय के दूध से पौष्टिक तत्व होते हैं और इससे कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है. हालांकि लोगों में जागरूकता ना होने के कारण देसी गाय के दूध की बिक्री बहुत ही कम मूल्य पर हो रही है, जिससे गोसदन के संचालकों के लिए खर्च उठाना काफी चुनौतिपूर्ण साबित हो रहा है. गोसदन संचालक का कहना है कि देसी गायओं की देखभाल के लिए मेहनत के साथ-साथ इनके खर्च भी बढ़ जाते हैं.

वीडियो.

ऐसे में उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह देसी गाय के सरंक्षण को बढ़ावा देने में उनका सहयोग करें. जिससे वह अपने गोवंश को संरक्षित कर उनकी सेवा कर सकें. कृषि मंत्रालय की ओर से गोसदनों को पांच हजार राशि देने व गोवंश को संरक्षित करने के लिए बेहतर कार्यप्रणाली तैयार की है, लेकिन देसी गोवंश को सरंक्षित करने के लिए सरकार को अलग से एक मुहिम चलाने को आवश्यकता है, जिससे देसी गाय गोवंश को आगे बढ़ाया जा सके.

वहीं, पशुपालन मंत्री विरेंद्र कंवर ने कहा कि मानव जीवन के लिए देसी गाय का दूध बहुत ही लाभदायक है. लोग ज्यादा दूध के चक्कर मे देसी गाय की तरफ कम ध्यान दे रहे हैं. जिस कारण हिमाचल में देसी गाय की नस्ल बहुत कम बची है. जयराम सरकार ने इसको लेकर सबसे पहले आते ही पहाड़ी गाय की रजिस्ट्रेशन करवाई है, इस योजना में 10 करोड़ रुपये खर्च किए जायंगे.

सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस ऊना में तैयार किए जाने की बात कही, जिस पर करीब 43 करोड़ रुपये खर्च किये जायंगे. इस ट्रेनिंग सेंटर सहित डेयरी भी स्थापित की जा रही है.

पढ़ें: हिमाचल में कोरोना ने बढ़ा दिया बेरोजगारी का आंकड़ा, 15 हजार से ज्यादा लोगों की गई नौकरियां

ऊना: जिला ऊना में वैसे तो कई गोसदन बनाए गए हैं, लेकिन देसी गोवंश के संरक्षण से जुड़े हुए कम ही गोसदन हैं. ऐसे में ऊना के एक समाजसेवी ने देसी गाय के पालन और गौ माता से जुड़ी अपनी संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है.

जैसा की सभी जानते हैं कि देसी गाय के दूध से पौष्टिक तत्व होते हैं और इससे कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है. हालांकि लोगों में जागरूकता ना होने के कारण देसी गाय के दूध की बिक्री बहुत ही कम मूल्य पर हो रही है, जिससे गोसदन के संचालकों के लिए खर्च उठाना काफी चुनौतिपूर्ण साबित हो रहा है. गोसदन संचालक का कहना है कि देसी गायओं की देखभाल के लिए मेहनत के साथ-साथ इनके खर्च भी बढ़ जाते हैं.

वीडियो.

ऐसे में उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह देसी गाय के सरंक्षण को बढ़ावा देने में उनका सहयोग करें. जिससे वह अपने गोवंश को संरक्षित कर उनकी सेवा कर सकें. कृषि मंत्रालय की ओर से गोसदनों को पांच हजार राशि देने व गोवंश को संरक्षित करने के लिए बेहतर कार्यप्रणाली तैयार की है, लेकिन देसी गोवंश को सरंक्षित करने के लिए सरकार को अलग से एक मुहिम चलाने को आवश्यकता है, जिससे देसी गाय गोवंश को आगे बढ़ाया जा सके.

वहीं, पशुपालन मंत्री विरेंद्र कंवर ने कहा कि मानव जीवन के लिए देसी गाय का दूध बहुत ही लाभदायक है. लोग ज्यादा दूध के चक्कर मे देसी गाय की तरफ कम ध्यान दे रहे हैं. जिस कारण हिमाचल में देसी गाय की नस्ल बहुत कम बची है. जयराम सरकार ने इसको लेकर सबसे पहले आते ही पहाड़ी गाय की रजिस्ट्रेशन करवाई है, इस योजना में 10 करोड़ रुपये खर्च किए जायंगे.

सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस ऊना में तैयार किए जाने की बात कही, जिस पर करीब 43 करोड़ रुपये खर्च किये जायंगे. इस ट्रेनिंग सेंटर सहित डेयरी भी स्थापित की जा रही है.

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